आरोपों को लेकर हुई तूतू-मैंमैं

पंजाब के जलियावाला बाग से जनतंत्र यात्रा पर निकले अन्ना हजारे वैसे तो बनारस पहुंचे थे असली जनतंत्र के लिए जनता को जगाने. मगर उन्हें ये जानकर झटका लेगा कि बनारसमें उनके नाम पर ही कुछ लोगों ने भ्रष्टाचार कर डाला. उन्होंने ये भी जानने की कोशिश नहीं की ये लोग कौन हैं और ऐसा क्यों किया गया. ये जरूर था कि भ्रष्टाचार की शिकायत से नाराज अन्ना ने उस मंच पर पांव तक नहीं रखे जो उन्हें भाषण के लिए बनाया गया था. ऐतिहासिक भारत माता मंदिर मेंं मंगलवार की शाम आयोजित जनसभा में अन्ना ने अपनी यात्रा वाले वैन की छत पर से ही दो हजार से ज्यादा पब्लिक को एड्रेस किया.
 
अंत में किया खुलासा 

शाम करीब साढ़े पांच बजे जब अन्ना कई जगह से होते हुए भारत माता मंदिर पहुंचे तो उन्हें देखने और सुनने के लिए अचानक ही भीड़ दो गुनी हो गयी. अन्ना ने बड़ी ही सादगी के साथ अपनी यात्रा का उद्देश्य बताया. अपने बारे में बताया. इसके बाद लोगों से अपील की कि असली जनतंत्र लाना है तो पार्टी वाली राजनीति का विरोध करना होगा. इसके अपनी बात खत्म करने के पहले उन्होंने कहा कि मुझे पता चला है कि कुछ लोग मेरे नाम पर भ्रष्टाचार कर रहे हैं. चंदा इकठ्ठा कर रहे हैं. ऐसे लोगों से कहना चाहूंगा कि वो मेरे नाम पर वसूलना बंद करें. अन्ना ने ये भी खुलाया किया कि पता नहीं मंच किस तरह के पैसे से बना है इसलिए मैंने अपनी गाड़ी पर खड़े होकर भाषण देना पसंद किया.
 
सर्किट हाउस में घमासान

भारत माता मंदिर में अन्ना के जाते ही ऑर्गनाइजर्स सकते में आ गए. किसी को कुछ समझ ही नहीं आया कि क्या हुआ. अन्ना यहां से स्वर्गीय स्वालेह अंसारी के घर उनके भतीजे खालिद अंसारी की ओर से आयोजित रोजा इफ्तार पार्टी में शरीक हुए. इधर, भ्रष्टाचार के आरोपों से नाराज आर्गनाइजर्स में कुछ लोग सर्किट हाउस पहुंच गए. अन्ना जब जनरल वीके सिंह और संतोष भारतीय के साथ वहां पहुंचे तो तूतू-मैंमैं शुरू हो गयी. ऑर्गनाइजर्स नाराज थे कि उन पर बेवजह ये आरोप क्यों लगाया गया जबकि वसूली करने वाले लोगों ने ही जानबूझ कर हम लोगों का नाम रसीद में छपवा कर हमें बदनाम किया. हालांकि इस बहस का कोई नतीजा नहीं निकल सका.
कचहरी में भी बोले अन्ना
भारत माता मंदिर में आने से पहले दोपहर में अन्ना हजारे ने कचहरी में वकीलों को भी एड्रेस किया. वहां भी उन्होंने जनतंत्र की व्याख्या करते हुए पार्टियों वाली राजनीति के बहिष्कार की अपील की. उन्होंने कहा कि अब इसकी शुरूआत होनी जरूरी है. 


बिना लोकपाल के नहीं मरुंगा 

अन्ना हजारे ने बनारस में ललकारा कि जब तक देश में जनलोकपाल कानून नहीं लागू होता, वो नहीं मरने वाले. पूरी जिंदगी समाज और भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई लड़ी है और अब निर्णायक लड़ाई होगी. जनतंत्र यात्रा का उद्देश्य छह करोड़ लोगों को इस मुहिम से जोडऩा है. छह करोड़ लोगों के जुडऩे के बाद दिसम्बर-जनवरी में फिर रामलीला मैदान में लोकपाल के लिए निर्णायक लड़ाई होगी. जब छह करोड़ लोग साथ होंगे तो सरकार भी मजबूर होगी. क्योंकि वो सत्ता से जाना नहीं चाहेगी. अन्ना ने ये भी कहा कि पार्टियों वाली राजनीति संविधान के खिलाफ है. इसकी वजह से ही भ्रष्टाचार, सत्ता के लिए किसी भी हद तक गिरने की घटनाएं और राजनीति में अपराधियों का बोलबाला बढ़ा है. इसलिए पार्टियों वाली राजनीति खत्म होनी चाहिए. जनलोकपाल के साथ राइट टू रिजेक्ट और राइट टू रिकाल कानून लाया जाए. तभी सही मायने में जनतंत्र लागू होगा. 

साजिश का शिकार हुई जनसभा

अन्ना की जनसभा में भ्रष्टाचार का मुद्दा यूं ही नहीं हुआ. वास्तव में ये बहुत बड़ी साजिश थी. जानकारों की माने तो अन्ना के साथ जब इंडिया अगेंस्ट करप्शन के लोग जुड़े थे तभी अन्ना के कार्यक्रमों के लिए वसूली की शिकायतें आनी शुरू हो गयी थी. एक गुट ने इसका विरोध किया. उन लोगों को चिह्नित भी कर लिया गया जिन पर फैक्ट्स छुपा कर चंदा वसूली का आरोप था. बाद में इन्हें अन्ना के मूवमेंट से बाहर कर दिया गया. हालांकि खुद को बेदखल किये जाने से नाराज दूसरे गुट ने हार नहीं मानी और उन लोगों के खिलाफ लगातार साजिश में लगे रहे जो अन्ना के आंदोलन का झण्डा उठाये चल रहे थे. जब विद्यापीठ छात्रसंघ ने अन्ना को बुलाया तब भी साजिश हुई मगर दाल नहीं गल सकी. इसके बाद इस बार के कार्यक्रम के लिए साजिश करने वालों ने उन लोगों के नाम पर 500 और 1000 रुपये की रसीद बुक छपवा ली जो अन्ना के आंदोलन का झण्डा बनारस में उठाये चल रहे थे. उनकी छवि को देखते हुए हर किसी ने खुलकर चंदा दिया. बाद में इसी रसीद बुक को लेकर चंदा वसूलने वालों ने आयोजकों पर हमला बोल दिया. यानि जिनके नाम पर वसूली की, उन्हीं पर वसूली का आरोप लगा डाला. इतना ही नहीं, सोमवार को आयोजन से जुड़े कुछ लोगों के नाम पर फेसबुक पर फर्जी अपील भी जारी कर दी कि अन्ना की मांग संविधान विरोधी है इसलिए सभा का विरोध करें. वहां न जाएं. 
आरोपों को लेकर हुई तूतू-मैंमैं

 

पंजाब के जलियावाला बाग से जनतंत्र यात्रा पर निकले अन्ना हजारे वैसे तो बनारस पहुंचे थे असली जनतंत्र के लिए जनता को जगाने. मगर उन्हें ये जानकर झटका लेगा कि बनारसमें उनके नाम पर ही कुछ लोगों ने भ्रष्टाचार कर डाला. उन्होंने ये भी जानने की कोशिश नहीं की ये लोग कौन हैं और ऐसा क्यों किया गया. ये जरूर था कि भ्रष्टाचार की शिकायत से नाराज अन्ना ने उस मंच पर पांव तक नहीं रखे जो उन्हें भाषण के लिए बनाया गया था. ऐतिहासिक भारत माता मंदिर मेंं मंगलवार की शाम आयोजित जनसभा में अन्ना ने अपनी यात्रा वाले वैन की छत पर से ही दो हजार से ज्यादा पब्लिक को एड्रेस किया.

 

अंत में किया खुलासा 

 

शाम करीब साढ़े पांच बजे जब अन्ना कई जगह से होते हुए भारत माता मंदिर पहुंचे तो उन्हें देखने और सुनने के लिए अचानक ही भीड़ दो गुनी हो गयी. अन्ना ने बड़ी ही सादगी के साथ अपनी यात्रा का उद्देश्य बताया. अपने बारे में बताया. इसके बाद लोगों से अपील की कि असली जनतंत्र लाना है तो पार्टी वाली राजनीति का विरोध करना होगा. इसके अपनी बात खत्म करने के पहले उन्होंने कहा कि मुझे पता चला है कि कुछ लोग मेरे नाम पर भ्रष्टाचार कर रहे हैं. चंदा इकठ्ठा कर रहे हैं. ऐसे लोगों से कहना चाहूंगा कि वो मेरे नाम पर वसूलना बंद करें. अन्ना ने ये भी खुलाया किया कि पता नहीं मंच किस तरह के पैसे से बना है इसलिए मैंने अपनी गाड़ी पर खड़े होकर भाषण देना पसंद किया.

 

सर्किट हाउस में घमासान

 

भारत माता मंदिर में अन्ना के जाते ही ऑर्गनाइजर्स सकते में आ गए. किसी को कुछ समझ ही नहीं आया कि क्या हुआ. अन्ना यहां से स्वर्गीय स्वालेह अंसारी के घर उनके भतीजे खालिद अंसारी की ओर से आयोजित रोजा इफ्तार पार्टी में शरीक हुए. इधर, भ्रष्टाचार के आरोपों से नाराज आर्गनाइजर्स में कुछ लोग सर्किट हाउस पहुंच गए. अन्ना जब जनरल वीके सिंह और संतोष भारतीय के साथ वहां पहुंचे तो तूतू-मैंमैं शुरू हो गयी. ऑर्गनाइजर्स नाराज थे कि उन पर बेवजह ये आरोप क्यों लगाया गया जबकि वसूली करने वाले लोगों ने ही जानबूझ कर हम लोगों का नाम रसीद में छपवा कर हमें बदनाम किया. हालांकि इस बहस का कोई नतीजा नहीं निकल सका.

 

कचहरी में भी बोले अन्ना

 

भारत माता मंदिर में आने से पहले दोपहर में अन्ना हजारे ने कचहरी में वकीलों को भी एड्रेस किया. वहां भी उन्होंने जनतंत्र की व्याख्या करते हुए पार्टियों वाली राजनीति के बहिष्कार की अपील की. उन्होंने कहा कि अब इसकी शुरूआत होनी जरूरी है. 

 

बिना लोकपाल के नहीं मरुंगा 

 

अन्ना हजारे ने बनारस में ललकारा कि जब तक देश में जनलोकपाल कानून नहीं लागू होता, वो नहीं मरने वाले. पूरी जिंदगी समाज और भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई लड़ी है और अब निर्णायक लड़ाई होगी. जनतंत्र यात्रा का उद्देश्य छह करोड़ लोगों को इस मुहिम से जोडऩा है. छह करोड़ लोगों के जुडऩे के बाद दिसम्बर-जनवरी में फिर रामलीला मैदान में लोकपाल के लिए निर्णायक लड़ाई होगी. जब छह करोड़ लोग साथ होंगे तो सरकार भी मजबूर होगी. क्योंकि वो सत्ता से जाना नहीं चाहेगी. अन्ना ने ये भी कहा कि पार्टियों वाली राजनीति संविधान के खिलाफ है. इसकी वजह से ही भ्रष्टाचार, सत्ता के लिए किसी भी हद तक गिरने की घटनाएं और राजनीति में अपराधियों का बोलबाला बढ़ा है. इसलिए पार्टियों वाली राजनीति खत्म होनी चाहिए. जनलोकपाल के साथ राइट टू रिजेक्ट और राइट टू रिकाल कानून लाया जाए. तभी सही मायने में जनतंत्र लागू होगा. 

 

साजिश का शिकार हुई जनसभा

 

अन्ना की जनसभा में भ्रष्टाचार का मुद्दा यूं ही नहीं हुआ. वास्तव में ये बहुत बड़ी साजिश थी. जानकारों की माने तो अन्ना के साथ जब इंडिया अगेंस्ट करप्शन के लोग जुड़े थे तभी अन्ना के कार्यक्रमों के लिए वसूली की शिकायतें आनी शुरू हो गयी थी. एक गुट ने इसका विरोध किया. उन लोगों को चिह्नित भी कर लिया गया जिन पर फैक्ट्स छुपा कर चंदा वसूली का आरोप था. बाद में इन्हें अन्ना के मूवमेंट से बाहर कर दिया गया. हालांकि खुद को बेदखल किये जाने से नाराज दूसरे गुट ने हार नहीं मानी और उन लोगों के खिलाफ लगातार साजिश में लगे रहे जो अन्ना के आंदोलन का झण्डा उठाये चल रहे थे. जब विद्यापीठ छात्रसंघ ने अन्ना को बुलाया तब भी साजिश हुई मगर दाल नहीं गल सकी. इसके बाद इस बार के कार्यक्रम के लिए साजिश करने वालों ने उन लोगों के नाम पर 500 और 1000 रुपये की रसीद बुक छपवा ली जो अन्ना के आंदोलन का झण्डा बनारस में उठाये चल रहे थे. उनकी छवि को देखते हुए हर किसी ने खुलकर चंदा दिया. बाद में इसी रसीद बुक को लेकर चंदा वसूलने वालों ने आयोजकों पर हमला बोल दिया. यानि जिनके नाम पर वसूली की, उन्हीं पर वसूली का आरोप लगा डाला. इतना ही नहीं, सोमवार को आयोजन से जुड़े कुछ लोगों के नाम पर फेसबुक पर फर्जी अपील भी जारी कर दी कि अन्ना की मांग संविधान विरोधी है इसलिए सभा का विरोध करें. वहां न जाएं.