अन्ना के आंदोलन को सपोर्ट करने के लिए वो पूरे जोश में हैं। उनके आंदोलन में बैठने से एक दिन पहले मंडे को ही सिटी में भी समर्थक रूपरेखा तैयार करने में जुटे रहे। ट्यूजडे को सिटी के अलग-अलग हिस्सों में हजारों की संख्या में जन लोकपाल बिल को पास कराने के लिए जन सैलाब जुड़ेगा। फूलबाग गांधी प्रतिमा पर अन्ना टीम के रनजीत सिंह के नेतृत्व में समर्थक सांकेतिक आंदोलन करेंगे। वहीं इंडिया अगेंस्ट करप्शन की साइट पर कानपुराइट्स ने करप्शन के खिलाफ यूपी

ईस्ट के बाकी शहरों से ज्यादा रजिस्ट्रेशन कराया है. 

एक दर्जन से ज्यादा संगठन जुटेंगे

सिटी में करप्शन के खिलाफ एक दर्जन से ज्यादा संगठन अलग-अलग काम कर रहे है। लेकिन जब बात अन्ना मुहिम की हो तो सभी संगठन एक ही मंच पर जुटने को तैयार है। यूनिटी इज रियल पॉवर के तहत ट्यूजडे को कानपुर अगेंस्ट करॅप्शन, इंडिया अगेंस्ट करॅप्शन, अन्ना फैन्स एसोसिएशन सहित सभी ऑर्गनाइजेशन एक साथ जुड़ेंगे।

Kanpurites नंबर 1

यूपी ईस्ट के बाकी शहरों से ज्यादा कानपुराइट्स ने साइट पर अपनी उपस्थिति दर्ज करा कर भ्रष्टाचार के खिलाफ मुहिम में आगे आए।

अन्ना का प्रधानमंत्री को पत्र

1 पिछले एक साल में लोकपाल के मुद्दे पर सरकार ने कई वादे किए लेकिन हर बार देश की जनता के साथ धोखा हुआ। उन्होंने लिखा कि 5 अप्रैल को जब वो अनशन पर बैठे तो सरकार ने लोकपाल बिल ड्राफ्ट करने के लिए संयुक्त समिति बनाई, जिसमें पांच सदस्य अन्ना टीम के थे और पांच सरकार की तरफ से थे। उन्हें बहुत उम्मीद थी कि ये समिति एक अच्छा लोकपाल बिल बनाएगी लेकिन सरकार की मंशा साफ नहीं थी। संयुक्त समिति में सरकार ने उनके सभी प्रमुख सुझाव नामंजूर कर दिए। संयुक्त समिति से दो बिल निकले-एक अन्ना टीम और एक सरकार का। निर्णय हुआ कि दोनों बिल कैबिनेट में प्रस्तुत किए जाएंगे, लेकिन यहां भी सरकार ने धोखा दिया। कैबिनेट के सामने सरकार ने केवल अपना बिल रखा। अन्ना ने लिखा कि अगर सरकार को हमारी बातें ही नहीं माननी थी, खुद ही बिल बनाना था और अपना ही बिल पारित करना था तो ये संयुक्त समिति बनाने का ढोंग ही

क्यूं किया?

2 जेल से रिहा होने के बाद मैं रामलीला मैदान में अनशन के लिए बैठा। 27 अगस्त को इस देश की पूरी संसद ने यह प्रस्ताव पारित किया कि तीन मुद्दों को उचित व्यवस्था द्वारा लोकपाल के दायरे में लाया जाएगा- सिटीजन चार्टर, संपूर्ण अफसरशाही और राज्यों में लोकायुक्तों का गठन। प्रणव मुखर्जी ने इस बारे में दोनों सदनों में बयान भी दिया। तब आप ने मुझे पत्र लिखकर इस प्रस्ताव के बारे में बताया और मुझसे अनशन समाप्त करने के लिए निवेदन किया। इस पर मैंने 28 अगस्त को अपना अनशन समाप्त कर लिया। इस प्रस्ताव की कॉपी संसद की कार्यवाही समेत स्थायी समिति के अध्यक्ष अभिषेक मनु सिंघवी जी के पास भेजी गई। दुर्भाग्य की बात ये है कि अभिषेक मनु सिंघवी जी ने संसद की अवमानना करते हुए संसद के प्रस्ताव में तीन में से दो बिंदुओं को खारिज कर दिया। प्रश्न उठता है कि संसद की स्थायी समिति के अध्यक्ष यदि संसद के प्रस्ताव का इस तरह अपमान करेंगे तो हमारे देश में जनतंत्र का क्या भविष्य रह जाता है? स्थायी समिति की रिपोर्ट देश के साथ एक और धोखा थी।

अन्ना के प्रधानमंत्री को कुछ सुझाव

1 सीबीआई की भ्रष्टाचार निरोधी शाखा को लोकपाल की जांच एजेंसी बना दिया जाए। सरकार इसके लिए तैयार नजर नहीं आ रही है। आज तक हर पार्टी की सरकार ने चाहे वह बीजेपी की रही हो या फिर कांग्रेस की- उन्होंने सीबीआई का गलत इस्तेमाल किया है।

2 स्थायी समिति की सुझाई गई लोकपाल की चयन प्रक्रिया भी दूषित है। चयन समिति में राजनेताओं की बहुतायत है, जिनके भ्रष्टाचार के खिलाफ लोकपाल को जांच करनी है। खोज समिति की संरचना का कोई जिक्र ही नहीं है।