- नीलकंठ ग्रुप आफ इंस्टीट्यूट के वार्षिक उत्सव में प्रोफेशनल मॉडलों के साथ

Meerut : नीलकंठ ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूट के वाइब्रेशन ख्0क्भ् में देर शाम मस्ती और संगीत की जबरदस्त महफिल सजी। रैप गायिका हार्ड कौर ने अपने गानों से लोगों को दीवाना बना दिया।

डांस कॉम्पटीशन

संस्थान के वार्षिक उत्सव पर कार्यक्रम की शुरुआत सुबह ही हो गई थी। सुबह परमवीर चक्र विजेता कैप्टन बाना सिंह के उद्बोधन के बाद डांस कंपटीशन में कई स्कूलों के छात्र- छात्राओं ने भाग लिया। दिल्ली और मुंबई के पेशेवर 8 मॉडलों ने संगीत की धुन पर जब मंच पर कैट वाक किया। कोरियोग्राफर सागर मक्कड़ के निर्देशन में मॉडलों ने आधुनिक ग्रीष्म ऋतु के परिधान पहन कर कैट वाक किया। रैप गायिका हार्ड कौर ने चार बजे गए पार्टी अभी बाकी है, एक खलासी दो खलासी तीन खलासी चार, जैसे गानों से रैप डांस और म्यूजिक का जलवा बिखेरा। सीडीओ नवनीत चहल, एडीएमई , एडीम सिटी, सिटी मजस्ट्रेट, सीओ श्वेताभ पांडे समेत अन्य पुलिस और प्रशासनिक अधिकारी मौजूद रहे। चेयरमैन ब्रजवीर सिंह, डॉ। एमके मदान, अमर अहलावत, नितिन सिंह, आलोक गुप्ता, रवि चौरसिया, नितिन वर्मा, पुनीत राजपूत भी उपस्थित थे।

मॉडलों का प्रदर्शन

नीलकंठ इंस्टीट्यूट के वाईब्रेशन ख्0क्भ् का शुभारंभ मां शारदे की वंदना से हुआ। इसके पूर्व मुख्य अतिथि परमवीर चक्र विजेता कैप्टन बाना सिंह, मेडिकल कॉलेज के प्रिंसीपल डॉ। केके गुप्ता, मेजर अभिषेक सिंह, संस्थान के चेयरमैन ब्रजवीर सिंह, अमर अहलावत ने दीप प्रज्ज्वलित किया। टेक्नो कल्चरल फेस्ट में डांस कंपटीशन का आयोजन हुआ। वाइब्रेशन ख्0क्भ् में वैज्ञानिक और इंजीनिरंग मॉडलों का प्रदर्शन किया गया।

खद्दरधारियों ने देश का बेड़ा गर्क किया : बाना सिंह

नीलकंठ ग्रुप ऑफ इंस्टीटयूट के वार्षिक उत्सव के उद्घाटन समारोह में बतौर मुख्य अतिथि आए परमवीर चक्र विजेता कैप्टन बाना सिंह देश की मौजूदा राजनीति से बेहद व्यथित दिखे। उन्होंने कहा कि खद्दरधारियों ने देश का बेड़ा गर्क कर दिया। उन्होंने कहा कि देश का विभाजन ही ¨हदुस्तान के लिए सबसे बड़ी त्रासदी है। इसी से आतंकवाद, सांप्रदायिकता और दंगे जैसी समस्याएं देश को खोखला कर रही हैं। उन्होंने कहा कि अगर देश के नेताओं में अहं नहीं होता तो ¨हदुस्तान और पाकिस्तान एक होता। उनका इशारा नेहरू और जिन्ना के बीच प्रधानमंत्री की कुर्सी को लेकर हुए मतभेद की ओर था। उन्होंने कहा कि सरकार में बहुत ताकत होती है। अगर दोनों देश की सरकारें चाहे तो झगड़ा हमेशा के लिए खत्म हो सकता है। कहा कि साठ और सत्तर के दशक का युवा इस कदर धन और भौतिकवाद पर नहीं भागता था, जैसा आज का युवा अंधा होकर दौड़ रहा है। उन्होंने कहा कि हमें अपनी संस्कृति और संस्कारों से जुड़े रहकर ही अपना और देश की तरक्की का रास्ता प्रशस्त कर सकते हैं।