पूंजीपति व नौकरीपेशा ने रिश्तेदारों के नाम खरीदे हैं प्लॉट व फ्लैट

सरकार की घेरेबंदी से परेशान, संपत्तियों को ठिकाने लगाने की जुगत

ALLAHABAD: नोट बंदी के बाद प्रधानमंत्री के बेनामी संपत्ति पर किए गए हमले ने हजारों इलाहाबादियों के दिन का चैन और रातों की नींद छीन ली है। उन्हें अब यह डर सता रहा है कि जिस संपत्ति को उन्होंने ब्लैक मनी से खरीदा है, भले ही वह परिजनों व रिश्तेदारों के नाम हो, उस पर खतरा मंडराने लगा है। यही नहीं आयकर विभाग की कार्रवाई का डंडा अलग से चलने का भय सता रहा है। इलाहाबाद में बेनामी संपत्ति खड़ा करने वालों का जबर्दस्त काकस है, जो अब गुणा-गणित में जुटा हुआ है।

खूब बने और बिके अपार्टमेंट-फ्लैट

पिछले करीब दस वर्ष में इलाहाबाद में रियल स्टेट मार्केट ने जबर्दस्त छलांग लगाई है। शहर में चारों तरफ बने दर्जनों अपार्टमेंट में नौकरशाहों के साथ ही व्यापारियों ने भी धड़ाधड़ फ्लैट बुक कराए हैं। कुछ में तो फ्लैट बुक कराने वाले खुद रहते हैं, लेकिन ज्यादातर फ्लैट लोगों ने किराए पर उठा रखे हैं। क्योंकि उनके लिए फ्लैट संपत्ति बनाने का जरिया मात्र था।

अब कैसे बताएंगे किसका है

ब्लैक को व्हाइट करने के लिए जिन लोगों ने रियल स्टेट में पैसा इनवेस्ट किया, अब उनके लिए ये समस्या खड़ी हो गई है कि वे इसे कैसे छिपाएं। दोनों तरफ से परेशानी ही सामने आने वाली है। क्योंकि बेनामी संपत्ति को अगर अपनी दिखाते हैं तो यह साबित करना होगा कि धन कहां से आया। क्योंकि ज्यादातर फ्लैट की कीमत लोगों के नंबर एक से कमाए गए धन से कई गुना ज्यादा है। सरकार भी कम नहीं है। क्योंकि अब सर्किल रेट से रजिस्ट्री की कीमत पर आंकलन नहीं होगा, बल्कि उस समय के अनुमानित मार्केट मूल्य को ही सही माना जाएगा।

क्या है बेनामी संपत्ति

जिस प्रॉपर्टी को खरीदते समय लेन-देन उस व्यक्ति के नाम पर नहीं होता, जिसने इस प्रॉपर्टी की कीमत चुकाई है, मतलब प्रॉपर्टी का रजिस्ट्रेशन किसी और नाम पर होता है और पैसे का भुगतान कोई और करता है। ऐसी प्रॉपर्टी पत्नी, बच्चों या किसी रिश्तेदार के नाम पर खरीदी जाती है। उसे बेनामदार कहा जाता है। यदि किसी ने प्रॉपर्टी बेटे या बेटी के नाम पर खरीदी है, लेकिन उसे अपने इनकम टैक्स रिटर्न में डिक्लेयर इनकम का हिस्सा नहीं दिखाया है तो वह बेनामी संपत्ति मान ली जाएगी।

कागजात नहीं दिखाए तो जब्त होगी

यदि कोई ज्वाइंट प्रॉपर्टी है। मतलब एक प्रॉपर्टी जिसमें आपका नाम तो है लेकिन आपने इस खर्च का जिक्र अपने इनकम टैक्स में नहीं किया है तो उसे भी बेनामी मान लिया जाएगा। एक्ट में प्राविधान किया गया है कि सरकार द्वारा तय अधिकारी को लगता है कि कब्जे की प्रापर्टी बेनामी है तो वह नोटिस जारी कर प्रापर्टी के कागजात तलब कर सकता है। नोटिस के तहत 90 दिन के अंदर प्रॉपर्टी के कागजात दिखाने होंगे।