- अब तक चार हिरन की मौत से ग्रामीणों में फैला है आक्रोश

- जंगलों में शिकारियों की मौजूदगी का आरोप

MEJA (17 July, JNN): मेजा वन रेंज में हिरनों की रहस्यमय परिस्थितियों में मौत का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। शुक्रवार की सुबह भी रेंज के ककराही गांव में एक लाल हिरण की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई। सूचना पर पहुंचे वन कर्मियों ने कागजी कार्रवाई करते हुए शव का पीएम कराया। एक माह के दरम्यान यह चौथी घटना है जिसमें तीन काले हिरन समेत एक लाल हिरन की मौत हुई है।

रात में घात लगाकर करते हैं शिकार

क्षेत्र के ककराही गांव के ग्रामीणों ने सुबह देखा कि जंगल के बाहर एक हिरन का शव पड़ा हुआ है। इसके पहले इसी महीने में इस गांव में रहस्यमय परिस्थितियों में दो काले हिरन के शव बरामद हुए थे। इसके दो दिनों बाद ही जंगल के गरेडि़या गांव में एक काला हिरन मरा था। बहरहाल, घटनाओं को लेकर ग्रामीणों में खासा आक्रोश है। कुछ का कहना है कि शिकारी रात में घात लगा कर हिरन का शिकार करते हैं। उधर, वन क्षेत्राधिकारी मेजा ने जंगली कुत्तों द्वारा हमला कर हिरन को मारने की संभावना जताई है। उन्होंने रात में गश्त तेज किए जाने की बात कही है।

अंधाधुंध निर्माण बना जान का दुश्मन

निर्माणाधीन थर्मल पावर प्लांट एवं उसके आसपास हो रहे अंधाधुंध निर्माण कार्य ने मेजा व कोहड़ार के जंगलों के जानवरों के जीवन पर संकट पैदा कर दिया है जिसके चलते दुर्लभ हिरनों को अपनी जान बचाना मुश्किल साबित हो रहा है। हालात यह है कि हिरन अपनी प्यास बुझाने के लिए पानी ढूंढते हैं और इसका फायदा उठाकर शिकारी इनका शिकार कर लेते हैं। ककराही गांव के बुजुर्ग महाबीर सिंह बताते है कि कोहड़ार, चांद खमरिया आदि इलाकों में हजारों काले हिरन थे, लेकिन बिजली कारखाने के निर्माण के चलते इनका जीवन खतरे में पड़ गया है। वह छिप-छिपाकर अपना जीवन जी रहे हैं। यही कारण है कि उनकी मौतों का सिलसिला तेज हो गया है।