- केजीएमयू में नियमों को ताक पर रख हो रहा फर्जीवाड़ा

- खरीद डाले करोड़ों के एक्विपमेंट और रीएजेंट

- अब नहीं हो पा रहा पेमेंट, कम्पनियां डाल रही केजीएमयू प्रशासन पर पेमेंट का दबाव

sunil.yadav@inext.co.in

LUCKNOW: किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय का मेन काम टीचिंग, रिसर्च और पेशेंट्स का इलाज करना है, लेकिन केजीएमयू प्रशासन निर्माण कार्यो में कुछ ज्यादा ही रुचि ले रहा है। शायद इसीलिए नियमों को ताक पर रखकर परचेचिंग और डेवलपमेंट के कार्य कराए जा रहे हैं। जबकि इन्हें बिना टेंडर प्रक्रिया के नहीं कराया जा सकता। नियमों का पालन न होने के कारण पेमेंट फंस गया और इसके कारण केजीएमयू में बवाल खड़ा हो गया है। आखिर नियमों को दरकिनार कर किसे अनुचित लाभ पहुंचाया जा रहा है?

बिना टेंडर लगी भ्0 लाख की लिफ्ट

केजीएमयू के आरएएलसी और ओपीडी में दो लिफ्ट बिना टेंडर प्रक्रिया का पालन किये बिना ही लगा दी गई। दोनों में भ्0 लाख रुपए का खर्च आया। जिसका पेमेंट भी फाइनेंस ऑफिसर और रजिस्ट्रार ने रोक दिया। कम्पनी लगातार प्रशासन पर इसके लिए दबाव बना रही है। क्योंकि कम्पनी का भ्0 लाख रुपया फंसा हुआ है। समस्या यह है कि बिना टेंडर प्रक्रिया के इतना बड़ा एमाउंट कैसे जारी हो? लिहाजा फाइल वापस कर दी गई। लिफ्ट को लगे हुए 8 माह से ज्यादा हो गए हैं और अभी तक यह लिफ्ट मरीजों के लिए शुरू भी नहीं की जा सकी हैं।

लग गए ख्ख् लाख के साउंड सिस्टम

वीसी ने आते ही रिनोवेशन के नाम पर प्रशासनिक भवन में रिनोवेशन कराया गया। कंस्ट्रक्शन एंड डिजाइन सर्विसेज जल निगम ने यह निर्माण कराया। सूत्रों की माने तो इसमें यूनिवर्सिटी के लगभग डेढ़ करोड़ रुपए खर्च कर दिए गए। जिसमें वीसी ऑफिस, मीटिंग हॉल, कांफ्रेंस हॉल व अन्य कार्य कराए गए। कांफ्रेंस हाल में ख्ख् लाख रुपए के साउंड सिस्टम भी नियमों को दरकिनार कर लगा दिए गए। इसका काम भी बिना टेंडर प्रक्रिया के ही करा लिया गया। लेकिन इसके बजट का भी मामला फंस गया।

डीन भी नहीं मानते कानून

पैथोलॉजी विभाग में भी नियमों को किनारे रखते हुए 70 लाख से अधिक के रीएजेंट खरीद डाले गए। जबकि संस्थान के डीन प्रो। राज मेहरोत्रा स्वयं इस विभाग के एचओडी हैं। इन रीएजेंट के लिए एक्जीक्यूटिव काउंसिल में भी हंगामा हो चुका है। केजीएमयू सूत्रों की माने तो इस पेमेंट को लेकर फाइनेंस ऑफिसर और पैथोलॉजी के एचओडी के बीच झड़प भी हो चुकी है। उस समय वह एक्टिंग वीसी थे और पैथोलॉजी के एचओडी प्रो। राज मेहरोत्रा ही संस्थान में डीन है।

बात करने से किया इनकार

इस मुद्दे को लेकर जब आई नेक्स्ट रिपोर्टर ने जब फाइनेंस ऑफिसर और पैथोलॉजी के एचओडी से बात करने की कोशिश की तो दोनों ने इन मुद्दों पर बात करने से मना कर दिया। दोनों ने कहा कि इसके लिए रजिस्ट्रार से बात करें।

क्या है नियम

एक लाख से कम कीमत का सामान केजीएमयू प्रशासन बिना टेंडर किए ही खरीद सकता है। इसके अधिक कीमत का कोई भी सामान बिना टेंडर के खरीदा नहीं जा सकता।

वीसी ऑफिस में साउंड सिस्टम इमरजेंसी में लगाया गया था। मामला संज्ञान में हैं हमने फाइनेंस ऑफिसर से रिपोर्ट ली थी जिसमें कहा गया था कि प्रक्रियात्मक कार्यवाही न होने के कारण इसे नहीं लगाया जा सकता। जिसके बाद उसे हटवा दिया गया। अब यूपी राजकीय निर्माण निगम को लगाने के आदेश दे दिए गए हैं। पैथोलॉजी और लिफ्ट के प्रकरण मेरी नॉलेज में नहीं हैं। प्रोप्राइटरी आइटम्स को बिना टेंडर के ही खरीदा जा सकता है।

योगेश कुमार शुक्ल, रजिस्ट्रार, केजीएमयू