कनाडा में वैज्ञानिकों ने एक ऐसे वायरस को विकसित किया है, जो शरीर में कैंसर की कोशिकाओं को चुनकर उन्हें निशाना बनाता है। इस वायरस को इंजेक्शन के माध्यम से ख़ून में पहुँचाया जाता है।

कैंसर उन बीमारियों में शामिल है, जिनके कारण दुनियाभर में सबसे ज़्यादा लोगों की जान जाती है। कैंसर रोधी वायरस से इसका इलाज कोई नया नहीं है। पहले वायरस को सीधे ट्यूमर में पहुँचाया जाता था, ताकि वो प्रतिरोधक क्षमता से बच निकले। नेचर जर्नल के मुताबिक़ अब वैज्ञानिकों ने इस समस्या से निजात पा ली है।

शोध

वैज्ञानिकों ने इस 'वैक्सीनिया वायरस' में और सुधार किया है, जो चेचक के टीके को विकसित करने में इस्तेमाल के कारण चर्चित है। नए वायरस का नाम दिया गया है जेएक्स-594. शोध के दौरान इस वायरस को उन 23 रोगियों के ख़ून में डाला गया, जिनके शरीर में कैंसर काफ़ी फैल चुका था।

देखा गया कि सबसे ज़्यादा डोज़ लेने वाले आठ में से सात रोगियों में इस वायरस ने बार-बार ट्यूमर को निशाना बनाया, लेकिन स्वस्थ्य कोशिकाओं को छोड़ दिया। लेकिन इस वायरस से कैंसर का इलाज नहीं हुआ। लेकिन माना जा रहा है कि भविष्य में इस वायरस से सीधे कैंसर वाली कोशिकाओं का इलाज किया जा सकेगा।

प्रमुख शोधकर्ता और ओटावा यूनिवर्सिटी के प्रोफ़ेरस जॉन बेल ने कहा है कि वे नए शोध से काफ़ी उत्साहित हैं। हालाँकि उन्होंने स्वीकार किया कि शोध अभी अपने शुरुआती दौर में है। लेकिन उनका मानना है कि भविष्य में वायरस और अन्य जैविक थेरेपी से कैंसर के इलाज में बड़ा बदलाव आ सकता है।

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