- रिटायर्ड फार्मेसिस्ट एक साल से पेंशन बनवाने के लिए काट रहे थे चक्कर

- 30 हजार रुपये लेने के बाद ही पेंशन बनाने पर अड़ा हुआ था लेखाकार

- पेंशन न बनाने से परेशान रिटायर्ड फार्मेसिस्ट ने की एंटी करप्शन विभाग में की शिकायत

- शिकायत के बाद डीएम से अनुमति लेकर टीम ने रंगे हाथों पकड़ा लेखाकार

Meerut: मेरठ में काम करने की ऐवज में घूसखोरी की आदत किस तरह डिपार्टमेंटल कर्मियों और अधिकारियों को पड़ी हुई है, इसकी एक बानगी देखने को मिली। रिटायर्ड फार्मेसिस्ट से पेंशन बनाने के नाम पर तीस हजार रुपये मांगने वाले पेंशन विभाग के लेखाकार को एंटी करप्शन टीम ने मंगलवार को रंगे हाथों पकड़ लिया। आरोपी के खिलाफ सिविल लाइन थाने में मुकदमा कायम कर लिया गया है। रिटायर्ड फार्मेसिस्ट द्वारा रिश्वत के दिए गए दस हजार रुपये भी बरामद कर लिए गए हैं।

क्या है मामला

जाग्रति विहार सेक्टर सात के रहने वाले जेपी गुप्ता स्वास्थ्य विभाग में फार्मेसिस्ट पद पर कार्यरत रहे हैं। फ्क् जनवरी ख्0क्ब् को जेपी गुप्ता प्यारे लाल जिला अस्पताल से रिटायर्ड हो गए। रिटायर्ड होने के बाद से ही जेपी गुप्ता अपनी पेंशन बनवाने के लिए एमडीए परिसर स्थित कोषागार के पेंशन विभाग में चक्कर लगा रहे थे। एक साल दो महीने बीत जाने के बावजूद जेपी गुप्ता की पेंशन विभाग द्वारा नहीं बनाई गई है। जेपी गुप्ता से पेंशन बनाने के लिए विभाग के लेखाकार सतीश गुप्ता निवासी गोंडा ने तीस हजार रुपये की डिमांड की। जिस पर पिछले सप्ताह जेपी गुप्ता ने दस हजार रुपये सतीश को दे दिए, जबकि बाकी बीस हजार रुपये बाद में देने की बात तय हुई थी। जेपी गुप्ता ने लेखाकार की शिकायत एंटी करप्शन टीम से कर दी। जिस पर प्लानिंग के तहत सतीश को घेरने का सिलसिला शुरू हो गया।

रंगे हाथ पकड़ा गया

एंटी करप्शन टीम के इंस्पेक्टर सुरेंद्र चौधरी और जेपी काजला ने डीएम पंकज यादव से अनुमति मांगी, जिस पर डीएम ने गंभीरता से लेते हुए जिला कृषि अधिकारी जसवीर सिंह और तहसीलदार मेरठ कमलेश कुमार को गवाह के रूप में टीम के साथ भेजा। बाकी बचे बीस हजार रुपये में से दस हजार रुपये मंगलवार को जेपी गुप्ता द्वारा सतीश को देने थे। बाकी दस हजार रुपये बुधवार को देने की बात तय हुई थी। दस हजार रुपये पर एंटी करप्शन टीम ने केमिकल लगाया। उसके बाद जेपी गुप्ता एमडीए परिसर स्थित पेंशन विभाग के कार्यालय पहुंचे तो वहां ऑफिस के बाहर ही सतीश गुप्ता मिल गया। उन्होंने पूर्वी कचहरी गेट पर बने ढाबे पर खाना खाने की बात जेपी गुप्ता से कही। जिस पर दोनों ढाबे पर चले गए। वहीं पर एंटी करप्शन टीम के सुरेंद्र चौधरी, जेपी काजला, राजबीर सिंह, आनन्द स्वरूप शर्मा और राम निवास भी नजरें लगाए हुए थे। जैसे ही जेपी गुप्ता ने सतीश को दस हजार रुपये दिए तो टीम ने रंगे हाथ पकड़ लिया।

इन्होंने कहा

रिटायर्ड फार्मेसिस्ट को पेंशन बनाने के लिए रिश्वत मांगी गई थी, जिसने हमसे शिकायत की थी। हमने रंगे हाथों पकड़कर सिविल लाइन थाने की पुलिस को सौंपकर मुकदमा कायम कर कार्रवाई कर दी है। आज कोर्ट में पेश किया जाएगा।

जेपी काजला

इंस्पेक्टर

एंटी करप्शन

मेरठ।