- प्रमुख सचिव के आदेश पर अख्तियार किया कड़ा रुख

- एंटी रेट्रोवायरल थिरैपी का प्रयोग कर करें बेहतर इलाज

- पेशेंट्स को एक सेंटर से दूसरे सेंटर को रेफर करने की मिल रही थी शिकायत

GORAKHPUR: एड्स से खौफजदा होने के बजाय डॉक्टर्स बेहिचक पेशेंट्स का इलाज करें और एंटी रेट्रोवायरल थिरैपी का प्रयोग कर बेहतर इलाज मुहैया कराएं। डर कर एड्स रोगियों को रेफर न करें। पीडि़तों के इलाज के हीलाहवाली करना ठीक नहीं है। एड्स पीडि़तों को एक सेंटर से दूसरे सेंटर रेफर करने की शिकायतों के मद्देनजर प्रमुख सचिव ने यह निर्देश जारी किए। आदेश में उन्होंने कहा है कि राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण संगठन भारत सरकार द्वारा राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण नीति के अनुपालन में एचआईवी संक्रमित व्यक्तियों को समुचित उपचार दिया जाना जरूरी है।

डॉक्टर्स को मिलेगी सुरक्षा

जारी आदेश में कहा गया है कि एड्स रोगियों की सुरक्षा और देखभाल के साथ-साथ डॉक्टर्स व हेल्थ कर्मी को भी सुरक्षा प्रदान किए जाने का प्रावधान है, इसलिए उन्हें पूरी सुरक्षा दी जाएगी। उच्च न्यायालय ने वर्ष 2008 में एड्स रोगियों के इलाज को लेकर गाइड लाइन जारी की है, लेकिन इन आदेशों का कोई खास अनुपालन नहीं हो पा रहा है। अकसर एड्स पीडि़त को दूसरे हॉस्पिटल्स में भगाए जाने के मामले सामने आते रहे हैं। वहीं रोगी उपेक्षा के शिकार होते हैं। जिसके चलते उनकी बीमारी और अधिक बढ़ जाती है। इसके अलावा ज्यादा दबाव बढ़ने पर तत्काल उपचार के लिए बड़े सेंटर पर रेफर कर दिया जाता है।

आर्थिक रूप से कमजोर पीडि़त

आपके जेब में पैसा है तो हायर सेंटर पर इलाज संभव है, लेकिन पैसा नहीं है तो सिर्फ सरकारी अस्पतालों का सहारा है। इस दशा में आर्थिक रूप से कमजोर एड्स पेशेंट्स की मुसीबत और भी बढ़ जाती है। आर्थिक तंगी के अभाव में वह अपना उपचार नहीं करा पाते हैं। जिसकी वजह से उनकी बीमारी बढ़ जाती है और वह काल के गाल में समा जाते हैं। उन मरीजों को बेहतर उपचार उपलब्ध कराने के लिए कोर्ट और शासन स्तर पर पहल की गई है।