आप किसी ट्रेन से टाटानगर रेलवे स्टेशन आएं या फिर कहीं जाने के लिए वहां पहुंचते हैं। अपनी प्यास बुझाने प्लेटफॉर्म पर लगे नल की तरफ जाएं और आपको पता चले कि उससे पानी नहीं गिर रहा। तो आप क्या करेंगे? जाहिर सी बात है आप किसी स्टॉल पर जाकर पैकेज्ड ड्रिंकिंग वाटर का बॉटल लेने जाएंगे। स्टॉल पर अगर आप रेल नीर या अपने किसी पसंदीदा ब्रांड के वाटर बॉटल की डिमांड करेंगे तो शायद ही वह आपको अवेलेबल हो पाए। ऐसा इसलिए कि स्टेशन पर वैसे ही वाटर बॉटल की सेल होती है जिसमें ज्यादा मार्जिन हो। गर्मी और पानी का यह गोरखधंधा एक साथ स्टार्ट हो जाता है।

20 स्टॉल्स हैं टाटानगर रेलवे स्टेशन पर
टाटानगर रेलवे स्टेशन पर टोटल 20 स्टॉल्स हैं। इनमें आईआरसीटीसी के 6 स्टॉल्स हैं। इसके अलावा रेलवे द्वारा कांट्रैक्ट पर दिए गए दूसरे स्टॉल्स हैं इनमें नेस्ले के 3, बी नेचुरल के 5, स्टील सिटी के 3, सुधा का 1, एचपीएमसी का 1 और फूड प्लाजा का 1 स्टॉल है। ये सभी स्टॉल्स एक से चार नंबर तक के प्लेटफॉर्म पर स्थित है।

3100 से ज्यादा bottles की सेल डेली
प्लेटफॉर्म पर स्थित सभी स्टॉल्स पर डेली एवरेज 13 केस पैकेज्ड ड्रिंकिंग वाटर बॉटल की सेल होती है। एक केस में 12 बॉटल्स होते हैं। इस तरह एक स्टॉल पर सेल होने वाले बॉटल्स की संख्या 156 होती है। स्टेशन पर स्थित सभी 20 स्टॉल्स की बात की जाए तो सेल होने वाले पैकेज्ड ड्रिंकिंग वाटर बॉटल्स की संख्या 3120 होती है। 24 घंटे में हर घंटे का एवरेज निकालें तो 130 बॉटल की सेल होती है। जब रेलवे द्वारा एक घंटे भी ड्रिंकिंग वाटर सप्लाई बंद कर दिया जाता है तो यह सेल बढक़र 3-4 सौ बॉटल प्रति घंटे तक पहुंच जाता है।

कहीं यहां पर भी खेल तो नहीं चल रहा
स्टेशन पर कभी भी रेलवे द्वारा ड्रिंकिंग वाटर की सप्लाई बंद कर देना। लास्ट प्रायोरिटी वाली कंपनी के वाटर बॉटल ही स्टॉल पर अवेलेवल होना। जब इसके बारे में आई नेक्स्ट रिपोर्टर ने चक्रधरपुर रेलवे डिवीजन के सीनियर डीसीएम एके हलदर से बात की तो, उन्होंने कहा कि वाटर बॉटल की ज्यादा सेल के लिए चक्रधरपुर स्टेशन पर अक्सर रेलवे के वाटर सप्लाई को बंद कर दिया जाता था। डिपार्टमेंट द्वारा जांच किए जाने पर यह बात सामने आई। उन्होंने कहा कि टाटानगर रेलवे स्टेशन पर भी हो सकता है कि उसी तरह का कुछ चल रहा हो। उन्होंने इसकी जांच कराने का आश्वासन दिया।

रेलवे डिपार्टमेंट ने क्या कहा, क्या कर रहे हैं
स्टेशन पर पैकेज्ड ड्रिंकिंग वाटर बॉटल के  सेल के लिए रेलवे डिपार्टमेंट ने इंस्ट्रक्शन दे रखा है। इसमें प्रायोरिटी वाइज ब्रांड का नाम डिसाइड किया गया है। इसमें इंस्ट्रक्शन है कि फस्र्ट प्रायोरिटी रेल नीर को, सेकेंड बिसलरी को, थर्ड एक्वाफिना, फोर्थ किनले, फिफ्थ बेली, सिक्स्थ बेबो और लास्ट प्रायोरिटी ऑक्सीराइज को दिया गया है। इसमें यह भी कहा गया है कि अगर उपर के ब्रांड अवेलेवल ना हो तभी नीचे के ब्रांड के बॉटल सेल किए जा सकते हैं। लेकिन किसी स्टॉल पर इसेे फॉलो नहीं किया जा रहा। सभी स्टॉल्स पर फिफ्थ और सिक्स्थ प्रायोरिटी वाली कंपनी के बॉटल ही सेल किए जा रहे।


Do you know

आप यह सोच रहे होंगे कि रेलवे द्वारा पैकेज्ड ड्रिंकिंग वाटर बॉटल सेल करने के लिए प्रायोरिटी सेट कर दी है फिर उसको क्यों नहीं फॉलो किया जा रहा। इसका एक ही जवाब है, मार्जिन। रेलवे स्टेशन के स्टॉल पर लास्ट प्रायोरिटी वाले ब्रांड के बॉटल्स पर स्टॉल ओनर को लगभग डबल मार्जिन मिलता है। जी हां, स्टेशन पर उसी कंपनी की बॉटल सेल होती है जिसमें ज्यादा मार्जिन मिलता हो। आइए जानते हैं कि किस ब्रांड के बॉटल स्टॉल पर कितनी कीमत पर अवेलेवल कराई जाती है, कितने में सेल होती है और उसपर
स्टॉल ओनर को कितनी मार्जिन मिलती है।


इस बीच में रेल नीर की सप्लाई काफी कम हो गई है। कैटरिंग से हमें जिस कंपनी के बॉटल सेल करने के लिए दिए जाते हैं हम वही सेल करते हैं।
- पन्ना पोद्दार,  स्टॉलस्टाफ

हम तो वाटर सप्लाई कंटीन्यू करते हैं। कभी कोई खराबी हो जाती होगी तो सप्लाई बंद हो जाती होगी। हम इसमें ज्यादा कुछ नहीं कह सकते।
- एसके दास, आईओडब्ल्यू

प्लेटफॉर्म पर रेलवे के वाटर सप्लाई में कोई प्रॉब्लम हो तो मैं इसमें क्या कर सकता हूं। यह तो इंजीनियरिंग डिपार्टमेंट का काम है। हम उन्हें बस इंफॉर्म कर देते हैं प्रॉब्ल के बारे में।
- आर चौधरी, स्टेशन मास्टर टाटानगर रेलवे स्टेशन

बहुत जल्दी हम पैकेज्ड ड्रिंकिंग वाटर के लिए नया टेंडर करने वाले हैं। इसमें हम अच्छे ब्रांड को ही रखेंगे। चक्रधरपुर में पानी बेचने का खेल चल रहा था उसको बंद कर दिया गया है। टाटानगर में अगर ऐसा चल रहा है ता हम इसकी जांच करवाएंगे।
- एके हलदर, सीनियर डीसीएम चक्रधरपुर डिवीजन