- सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव की छोटी बहू

- सामाजिक कार्यो के साथ शास्त्रीय संगीत में रहा रुझान

- कैंट विधायक रीता बहुगुणा जोशी से हो सकता है मुकाबला

LUCKNOW: समाजवादी पार्टी ने रविवार को लखनऊ कैंट विधानसभा क्षेत्र से अपर्णा यादव को चुनाव मैदान में उतारने का ऐलान कर दिया। सपा के प्रमुख प्रवक्ता शिवपाल सिंह यादव ने इसकी अधिकृत घोषणा कर दी है। अपर्णा यादव सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव के छोटे पुत्र प्रतीक यादव की पत्‍‌नी हैं। राजधानी के लॉरेटो कॉन्वेंट की पढ़ीं अपर्णा मैनचेस्टर युनिवर्सिटी से इंटरनेशनल रिलेशंस एंड पॉलिटिक्स में मास्टर्स की डिग्री भी हासिल कर चुकी हैं। उनके पिता अरविंद सिंह बिष्ट पत्रकार होने के साथ सूचना आयुक्त भी हैं। सामाजिक कार्यो के साथ शास्त्रीय संगीत में रुझान रखने वाली अपर्णा यादव को टिकट मिलने के साथ ही लखनऊ कैंट सीट पर मुकाबला रोचक होने की संभावना है। मालूम हो कि लखनऊ कैंट से वर्तमान में कांग्रेस की रीता बहुगुणा जोशी विधायक हैं।

बी अवेयर संस्था की संस्थापक

अपर्णा यादव राजनीति में कदम रखने से पहले 'बी अवेयर' सामाजिक संस्था चलाती थीं। उन्होंने कई बार सामाजिक मुद्दों को लेकर आम जनता के साथ प्रदर्शन भी किए। महिलाओं की सुरक्षा और उत्थान के लिए संस्था ने तमाम कवायदें की जिससे अपर्णा यादव को खासी प्रसिद्धि भी मिली। पिछले कई दिनों से अपर्णा यादव के राजनीति में सक्रिय होने की अटकलें भी लगाई जा रही थी। चर्चा थी कि भाजपा या किसी अन्य दल का दामन भी थाम सकती हैं। कई बार उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी की तारीफ भी की। हाल में मोदी के राजधानी के अम्बेडकर युनिवर्सिटी में दीक्षांत समारोह में हिस्सा लेने के दौरान उन्होंने भी अपनी मौजूदगी दर्ज करायी थी। इन सभी कयासों पर रविवार को पार्टी ने उन्हें कैंट विधानसभा सीट का टिकट देकर विराम लगा दिया। इसके साथ ही पार्टी में महिला प्रत्याशियों की संख्या बढ़कर 13 हो गयी है। मालूम हो कि बीते शुक्रवार को पार्टी ने 141 सीटों पर अपने प्रत्याशियों के नामों की घोषणा की थी जिनमें 12 महिलाएं थी। वहीं राजधानी से पार्टी ने दो महिला प्रत्याशियों को टिकट दिया है। इससे पहले श्वेता सिंह को लखनऊ पूर्वी से टिकट दिया गया था।

कभी कैंट सीट नहीं जीती सपा

अपर्णा यादव के लिए कैंट सीट जीत पाना आसान नहीं होगा। लखनऊ कैंट सीट पर पिछले कई सालों से भाजपा का दबदबा रहा है। सपा कभी भी यहां फतह हासिल करने में कामयाब नहीं रही। आजादी के बाद इस सीट पर कांग्रेस का वर्चस्व रहा और सात बार चुनाव जीती। इसके बाद भाजपा ने इस सीट पर कब्जा जमाया और पांच बार चुनाव जीती। पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने फिर से इस सीट पर कब्जा जमाया और पार्टी की तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष रीता बहुगुणा जोशी ने जीत हासिल की। उन्होंने भाजपा प्रत्याशी सुरेश तिवारी को हराया जो तीन बार से चुनाव जीत रहे थे। रीता बहुगुणा जोशी ने उन्हें करीब 25 हजार वोटों से हराया था।

ब्राह्मण बाहुल्य सीट

कैंट विधानसभा क्षेत्र को ब्राह्मण बाहुल्य माना जाता है, इसी वजह से ज्यादातर दलों की कोशिश सवर्ण प्रत्याशियों को उतारने की रहती है। कैंट सीट में कुल मतदाताओं की संख्या करीब तीन लाख पन्द्रह हजार है। जातिगत समीकरणों की बात करें तो यहां सबसे ज्यादा एक लाख से अधिक ब्राह्मण, 50 हजार दलित, 40 हजार वैश्य, 30 हजार पिछड़े, 25 हजार क्षत्रिय और 25 हजार मुस्लिम हैं। चुनाव मे ब्राह्मणों के अलावा पहाड़ी, सिंधी, पंजाबी और दलित समुदाय के वोटर महत्वपूर्ण भूमिका अदा करते हैं। पिछले चुनाव में सपा ने कैंट से सुरेश चौहान को टिकट दिया था जो महज 13 फीसद वोट पाकर चौथे स्थान पर रहे थे। वहीं रीता बहुगुणा जोशी करीब 30 फीसद, सुरेश तिवारी को 26 फीसद व बसपा प्रत्याशी को 18 फीसद वोट मिले थे।

बहू-बेटी के बीच मुकाबला

अपर्णा यादव के मुकाबले यदि कांग्रेस दोबारा रीता बहुगुणा जोशी को चुनाव मैदान में उतारती है तो कैंट सीट पर सबसे दिलचस्प मुकाबला देखने को मिल सकता है। अपर्णा यादव सपा प्रमुख की छोटी बहू हैं तो रीता जोशी पूर्व मुख्यमंत्री हेमवती नंदन बहुगुणा की बेटी। इसे लेकर तमाम चर्चाएं भी शुरू हो गयी है कि कांग्रेस अपर्णा के मुकाबले किसी सशक्त उम्मीदवार को मैदान में नहीं उतारेगी हालांकि पिछले विधानसभा चुनाव में रायबरेली और अमेठी में कांग्रेस को करारी मात देने वाली सपा से बदला लेने के लिए कांग्रेस के लिए यह मुफीद मौका हो सकता है।