एलटी ग्रेड टीचर्स की भर्ती को लेकर संशय बरकरार

एक साल पहले अभ्यर्थियों से भर्ती के लिए मांगे गए थे आवेदन

ALLAHABAD: गर्वनमेंट स्कूलों में एलटी ग्रेड शिक्षकों की भर्ती के लिए एक साल पूर्व 26 दिसंबर 2016 को आवेदन मांगे गए थे। आवेदन के एक साल बाद भी आगे की प्रक्रिया अभी तक शुरू नहीं हो सकी है। अब अभ्यर्थियों को समझ नहीं आ रहा है कि भर्ती के लिए बची प्रक्रिया किस प्रकार पूरी की जाएगी। इससे अभ्यर्थियों में संशय की स्थिति है। शासन और विभाग की ओर से भी अभी तक कोई स्थिति स्पष्ट नहीं हो सकी है। सूबे में सत्ता परिवर्तन के बाद से रूकी भर्ती प्रक्रियाओं के रूकने के कारण अभ्यर्थियों में आक्रोश है। उनका कहना है कि इस प्रकार सरकार प्रतियोगियों के करियर के साथ खिलवाड़ कर रही है।

नौ लाख से अधिक आवेदन

सूबे में सरकारी स्कूलों में एलटी ग्रेड शिक्षक भर्ती के लिए लास्ट ईयर आवेदन मांगे गए थे। भर्ती प्रक्रिया के अन्तर्गत 9,342 रिक्त पदों के सापेक्ष रिकार्ड नौ लाख से अधिक अभ्यर्थियों ने आवेदन किया। आवेदन की प्रक्रिया पूरी होने के बाद से भर्ती प्रक्रिया अटकी पड़ी है। इसके पहले भर्ती की प्रक्रिया में बदलाव को लेकर विवाद चल रहा था। अभ्यर्थियों की मांग थी कि भर्ती लिखित परीक्षा के जरिए हो। इस पर प्रस्ताव बनाकर शासन को भेजा गया था। शासन की ओर से भर्ती प्रक्रिया पहले की तरह ही एकेडमिक मेरिट के आधार पर कराने की बात कही गई। आवेदन प्रक्रिया पूरी होने के बाद सूबे में सत्ता परिवर्तन हुआ। इसके बाद लिखित परीक्षा को लेकर फिर से प्रतियोगियों ने आवाज बुलंद की। मौजूदा सरकार ने भर्ती को लिखित प्रक्रिया से पूरी कराने का आश्वासन तो दिया, लेकिन उसके बाद से भर्ती को लेकर आगे की कार्रवाई अटकी पड़ी है।

वर्जन

राजकीय विद्यालयों का फार्म पड़े लगभग लगभग एक साल होने जा रहा है। सरकार की मंशा अस्पष्ट है कि एग्जाम होगा या मेरिट के आधार पर चयन होगा। प्रतियोगी संशय में हैं।

विक्की खान

राजकीय विद्यालय में सरकार को चाहिए कि जल्दी भर्ती प्रक्रिया पूरी करे और प्राविधिक कला को भी शामिल करे, जिस प्रकार चयन बोर्ड में इसे शामिल किया गया है।

चन्द्र पाल यादव

बेरोजगार एक नौकरी पाने की आस में प्रतिक्षारत हैं। सरकार को चाहिए के जल्द से जल्द राजकीय विद्यालयों में विज्ञापित पदों को भरने की कोशिश करें। ताकि प्रतियोगियों का भविष्य ठीक हो सके।

महेश पाल

बेरोजगार प्रतियोगियों को लेकर सरकार कितनी संवेदनशील है, यह उसकी कार्यशैली से पता चलता है। कई बार ज्ञापन देने के बाद भी अभी तक प्रक्रिया आगे नहीं बढ़ सकी। ऐसे में प्रतियोगी क्या करें। ये समझ नहीं आ रहा है।

अनिल कुमार