- प्रिंसिपल आरपी शर्मा ने डाक्टर्स से मांगे प्रस्ताव, मेडिकल कॉलेज के हर विभाग को एक नेटवर्क से जोड़ने को उठी थी मांग

-प्रमुख सचिव हेल्थ के दौरे के समय उठा था मुद्दा

GORAKHPUR : दिल्ली और लखनऊ की तर्ज पर अब गोरखपुर में भी डिजिटल मोड में वर्क होगा। ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (एम्स) और संजय गांधी पीजीआई की तर्ज पर बीआरडी मेडिकल कॉलेज को भी अपडेट करने की कोशिशें शुरू हो चुकी हैं। इसके लिए कॉलेज के पि्रंसिपल आरपी शर्मा ने सभी डॉक्टर्स से सुझाव मांगें हैं। मंडे को मेडिकल कॉलेज का दौरा करने आए प्रमुख सचिव हेल्थ आरपी सिंह के सामने भी मेडिसिन विभाग के हेड डॉ। मेहुल मित्तल पैथालॉजी डिपार्टमेंट के हेड डा। राजीव मिश्रा और असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ। राजकिशोर सिंह ने इस इस मामले से अवगत कराया था, जिसपर प्रमुख सचिव ने पॉजिटिव रिस्पांस देते हुए प्रपोजल मांगा था। इस प्रस्ताव के पास होने के बाद मेडिकल कॉलेज में भी पेशेंट्स को घर बैठे एक क्लिक में मनचाहे डॉक्टर का अप्वाइंटमेंट मिल जाएगा।

11 अगस्त को मीटिंग में होगा फैसला

बीआरडी को डिजिटल मोड में अपग्रेड करने के लिए जिम्मेदारों ने कोशिशें शुरू कर दी हैं। प्रिंसिपल ने इसके लिए सुझाव मांगे हैं। सब कुछ कलेक्ट करने के बाद 11 अगस्त को लखनऊ में प्रिंसिपल अपना प्रपोजल रखेंगे। प्रमुख सचिव हेल्थ 11 को प्रदेश के मेडिकल कॉलेजेज के प्रिंसिपल के साथ बैठक करेंगे। इसमें इस मामले पर भी चर्चा की जाएगी। बीआरडी मेडिकल कॉलेज को ऑनलाइन करने के बाद डॉक्टर्स और पेशेंट दोनों को ही आसानी हो जाएगी। डॉक्टर्स जहां पेशेंट की दवाओं, पैथालॉजी रिपोर्ट, सर्जरी संबंधी रिपोर्ट का डेटा फ्यूचर रिफरेंस के लिए अपने पास रख सकेंगे। वहीं पेशेंट्स को यह फायदा होगा कि गायब हो जाने की कंडीशन में भी उन्हें रिपोर्ट मिल सकेगी, साथ ही फ्यूचर में वह घर बैठे ही अपना रजिस्ट्रेशन करा सकेंगे, जिससे जाते के साथ ही वह डॉक्टर्स को दिखाकर लौट आएं।

मेडिसिन का भी रहेगा हिसाब

ऑनलाइन होने से मेडिसिन में होने वाली हेराफेरी पर भी काफी हद तक लगाम लगेगी। कॉलेज में मौजूद मेडिसिन का डाटा ऑनलाइन हो जाएगा, जिससे कौन सी दवा मौजूद है और किसकी जरूरत है, यह भी आसानी से मालूम हो जाएगा। इतना ही नहीं डॉक्टर्स दवाओं की अवेलबिल्टी के अकॉर्डिग ही दवा प्रिस्क्राइब करेंगे, जिससे कि पेशेंट्स को खाली हाथ नहीं लौटना पड़ेगा। इसके साथ ही मेडिकल कॉलेज एडमिनिस्ट्रेशन और शासन को भी इस बात की आसानी से जानकारी हो जाएगी कि मेडिकल कॉलेज में मंथली कितनी दवाओं की जरूरत पड़ती है और कितनी खपत होती है।

हर तरह के आंकड़े रहेंगे मौजूद

मेडिकल कॉलेज एडमिनिस्ट्रेशन से कई बार ऐसे आंकड़े डिमांड कर लिए जाते हैं, जिनको देने में उनके पसीने छूट जाते हैं। डिजिटल मोड में आने के बाद उन्हें इस मुसीबत से भी छुटकारा मिल जाएगा। रिसेप्शन से उन्हें यह बात पता चल जाएगी कि किस बीमारी के पेशेंट सबसे ज्यादा है, कितने उसमें इलाज कराकर दुरुस्त हो गए और कितने बीमारी का शिकार हुए। इसके साथ ही साल दर साल कौन सी बीमारी का प्रकोप रहा। इसके आंकड़े भी सेफ रखे जा सकेंगे।

प्रमुख सचिव हेल्थ आरपी सिंह के सामने डॉक्टर्स ने सजेशंस रखे थे। जिस पर उन्होंने सहमति जताई। डॉक्टर्स से प्लान तैयार कर 11 अगस्त को होने वाली प्रमुख सचिव की बैठक में इस पर चर्चा होगी।

- प्रो। आरपी शर्मा, प्रिंसिपल, बीआरडी मेडिकल कॉलेज