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LUCKNOW : बंदियों से ठसाठस भरी प्रदेश की जेलों का भार कम करने के लिये सजायाफ्ता कैदियों की समय पूर्व रिहाई पर प्रदेश सरकार बेहद संजीदा है। हालांकि, अब इन कैदियों की रिहाई में मनमानी नहीं चल सकेगी। शासन ने इसके लिये स्थायी नीति बना दी है और शासनादेश जारी किया है। गौरतलब है कि बीती 16 अप्रैल को अपने एक निर्णय में हाईकोर्ट ने सिद्धदोष बंदियों की समय पूर्व रिहाई के लिये स्थायी नीति बनाने की अपेक्षा की थी।

कमेटी करेगी संस्तुति
शासनादेश के मुताबिक हर वर्ष 26 जनवरी को आजीवन कारावास की सजा काट रहे सिद्धदोष बंदी समयपूर्व रिहा किए जाएंगे। इसके लिए प्रमुख सचिव कारागार प्रशासन एवं सुधार विभाग की अध्यक्षता में कमेटी गठित की गई है। समिति तय फार्मेट में नीति के नियमों के दायरे में आने वाले बंदियों की संस्तुति हर वर्ष 15 दिसंबर तक शासन को उपलब्ध कराएगी। जिन पर बंदियों की रिहाई का निर्णय होगा। शासन को विशेष प्रकरण में सजा में दी गई छूट निरस्त करने का भी अधिकार होगा। नीति में ऐसी व्यवस्था भी की गई है, जिसमें बंदी की समयपूर्व रिहाई का प्रस्ताव संबंधित कारागार के अधिकारियों के जिम्मे होगा।

गंभीर बीमारियों पर छूट
नीति के तहत महिला सिद्धदोष बंदियों के लिए न्यूनतम बिना छूट के 16 वर्ष की सजा पूरी करने, पुरुष सिद्धदोष बंदियों के लिए न्यूनतम बिना छूट के 20 वर्ष की सजा पूरी करने, गंभीर बीमारियों से ग्रसित होने का प्रमाणपत्र दिए जाने तथा बिना छूट के न्यूनतम 12 वर्ष की सजा पूरी करने, 70 वर्ष की आयु होने तथा 14 वर्ष की बिना छूट की सजा पूरी करने, 80 वर्ष की आयु होने तथा 12 वर्ष की बिना छूट की सजा पूरी करने सहित अन्य कई नियम निर्धारित किए गए हैं। जिनके दायरे में आने वाले बंदियों पर कारागार अधिकारियों की समिति अपनी संस्तुति शासन को भेजेगी। प्रमुख सचिव गृह अरविंद कुमार ने बताया कि सभी जेलों के अधिकारी नीति के तहत सिद्धदोष बंदी की पात्रता का परीक्षण करके तय प्रारूप में उनकी समयपूर्व रिहाई का प्रस्ताव भेजेंगे। हर स्तर पर प्रारूप भेजने की तिथि भी निर्धारित कर दी गई है। बंदियों की आयु व सजा का गणना 26 जनवरी 2019 के अनुसार की जाएगी।

 

 

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