धुंध और कोहरे में सांस के मरीजों का निकलना हुआ दूभर
बढ़ गए अस्थमा अटैक के चांसेज, बच्चे भी आए चपेट में
डॉक्टर्स बता रहे बचाव के तरीके, कैसे रखेंगे खुद को सेफ
ALLAHABAD: लगातार पड़ने वाले कोहरे और धुंध ने सांस के मरीजों की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। उनका खुली हवा में निकलना दूभर होता जा रहा है। यही कारण है कि हॉस्पिटल्स की ओपीडी में मरीजों की संख्या में खासा इजाफा हुआ है। इनमें बच्चे भी शामिल हैं। डॉक्टर्स की माने तो हवा में कोहरे में ऑक्सीजन की कमी होने और डस्ट पार्टिकल्स का घनत्व बढ़ जाने से दिक्कतें भी बढ़ सकती हैं।
मरीजों से भरी हॉस्पिटल्स की ओपीडी
पिछले एक सप्ताह से लगातार कोहरे और धुंध की मार ने लोगों को बेहाल कर दिया है। सूर्यदेव के दर्शन नहीं होने से विजिबिलिटी कम होने के साथ-साथ लोगों की दिनचर्या भी प्रभावित हुई है। खासतौर से अस्थमा और सीओपीडी के मरीजों को इस मौसम में सांस लेना मुश्किल साबित हो रहा है। यही कारण है कि हॉस्पिटल्स की ओपीडी में सांस के मरीजों की संख्या में बीस फीसदी तक इजाफा दर्ज किया जा रहा है। डॉक्टर्स की माने तो मौसम ऐसा ही रहा तो मरीजों की संख्या अधिक बढ़ सकती है।
मानक से अधिक हैं डस्ट पार्टिकल्स
जानकारों के मुताबिक घने कोहरे में ऑक्सीजन की मात्रा कम होती है और डस्ट पार्टिकल्स का घनत्व बढ़ जाता है। ऐसे में सांस के जरिए धूल के कणों का फेफड़े और श्वासं नली में पहुंचने से एलर्जी की संभावना बढ़ जाती है। ऐसे में जो लोग अस्थमा या सीओपीडी आदि बीमारियों से परेशान है, उनको सांस लेना मुश्किल होने लगता है। ऐसे मरीजों की सांस फूलना, धड़कन तेज होना, गले में घरघराहट, खांसी और कफ की समस्या अधिक हो जाती है और उन्हें हॉस्पिटल में इलाज के लिए भर्ती कराना पड़ता है। इस मौसम में अस्थमैटिक अटैक के चांसेज भी बढ़ जाते हैं।
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वैक्सीन दिलाएगी मुसीबत से निजात
डॉक्टरों के मुताबिक अस्थमा या सीओपीडी के मरीजों को इस मौसम में इन्फ्लूएंजा का टीका जरूर लगवाना चाहिए। इससे उन्हें सांस संबंधी बीमारियों का खतरा कम रहता है। यह टीका बाजार में उपलब्ध है। बड़ी संख्या में बच्चे भी इस मौसम में श्वांस नली और फेफड़ों में इंफेक्शन और एलर्जी से पीडि़त होते हैं। उनके लिए भी यह टीका कारगर साबित होता है।
बचाव के अन्य तरीके
सांस के मरीजों को सुबह और दिन ढलने के बाद घर से निकलने से बचना चाहिए।
घर से बाहर मास्क का उपयोग करना चाहिए।
मरीजों को अपने साथ इन्हेलर और जरूरी दवाएं रखनी चाहिए।
65 साल से अधिक उम्र के मरीजों को विशेष देखभाल की जरूरत होती है।
- अधिक तबियत खराब होने पर डॉक्टर से तत्काल संपर्क करें।
वर्जन
जिन लोगों को श्वांस संबंधी दिक्कते हैं उन्हें हर साल सितंबर या अक्टूबर के महीने में इन्फ्लूएंजा के टीके जरूर लगवाना चाहिए। ओपीडी में बढ़े हुए मरीजों में पांच से आठ फीसदी बच्चे भी शामिल हैं। यह वाकई चिंता की बात है।
डॉ। आशुतोष गुप्ता, चेस्ट स्पेशलिस्ट
सुबह और शाम को कोहरा काफी घना होता है। इस दौरान सांस के मरीजों को घर से निकलने में परहेज करना चाहिए। कोहरे में डस्ट पार्टिकल अधिक होते हैं जो श्वांस नली और फेफड़ों में इंफेक्शन को बढ़ाते हैं।
डॉ। ओपी त्रिपाठी, सीनियर फिजीशियन