-लिस्ट में सुशील, योगेश्वर, बजरंग सहित कई नाम है शामिल

-रियो के लिए रेसलर को दी जा रही है स्पेशल ट्रेनिंग

-एशियाड में निर्णायकों के कुछ फैसले रहे हमारे खिलाफ

-रेसलिंग टीम के प्रशिक्षक सतपाल सिंह और बजरंग पहुंचे दून

DEHRADUN : अर्जुन व द्रोणाचार्य व पद्मश्री अवॉर्ड से सम्मानित इंडियन रेसलिंग टीम के प्रशिक्षक सतपाल सिंह ने कहा कि इंचिओन में संपन्न हई एशियन गेम्स में भारतीय पहलवानों से ब् से भ् गोल्ड मेडल जीतने की उम्मीद थी लेकिन उम्मीद के मुताबिक कुछ रेसलर प्रदर्शन नहीं कर पाए। लेकिन, इसमें कुछ हद तक रेफरीज के डिसिजन भी हमारे खिलाफ गए हैं। इसके बावजूद पहलवानों ने अपना शत प्रतिशत योगदान देकर कुछ मेडल जरूर झटके। योगेश्वर दत्त ने गोल्ड मेडल जीता और बजरंग ने सिल्वर मेडल। सुशील कुमार चोट की वजह से इस बार भाग नहीं ले पाए, लेकिन वह अब पूरी तरह से फिट हैं।

तीन में दो प्लेयर ने जीता मेडल

हैरिटेज स्कूल के एनुअल डे प्रोग्राम में बतौर गेस्ट ऑफ ऑनर दून पहुंचे नेशनल कुश्ती टीम के कोच और एसजीएफआई के प्रेसीडेंट सतपाल सिंह ने कहा कि वर्ष ख्0क्म् के रियो ओलंपिक के लिए वह करीब क्8 से क्9 रेसलर को स्पेशल ट्रेनिंग दे रहे हैं। इनमें से सुशील कुमार, योगेश्वर दत्त, बजरंग कुमार के अलावा प्रवीण, पवन, अमित, वुमन में विनेश व बबीता के नाम भी शामिल है। सतपाल सिंह ने कहा कि भले ही इंडिया वर्तमान में कुश्ती में काफी अच्छा कर रहा है, लेकिन दूसरे देशों से तगड़ा कॉम्पिटीशन मिल रहा है। करीब क्म्7 देश रेसलिंग खेल में है। वर्तमान में कुश्ती में यूरोप का दबदबा है। इंडिया इसमें टॉप भ् में शामिल हैं। लंदन ओलंपिक में फ् प्लेयर गए थे, जिनमें से ख् ने मेडल जीता।

रियो की तैयारियों में जुटे

अब रियो ओलंपिक की तैयारी चल रही है। रियो की तैयारियों को मध्येनजर दीपावली के बाद इन प्लेयर्स यूएसए व बेलारूस में दो-दो महीने की प्रेक्टिस के लिए भेजे जाने की तैयारी है। हमारे पास भले ही दांव अधिक हैं, लेकिन हम टेक्नोलॉजी में दूसरे देशों से पीछे हैं। इसलिए प्रेक्टिस के दौरान भारतीय रेसलर वहां स्टेमिना बढ़ाने, पावर, चोट से बचने आदि का प्रशिक्षण लेंगे। इसके अलावा व‌र्ल्ड में डिफरेंट वेट कैटगरी के टॉप क्0 प्लेयर्स की हम लोग दांव-पेंच वीडियो के माध्यम से देख रहे हैं। ताकि उनकी कमजोरी और मजबूती के पक्ष को जान सके। कोच सतपाल ने कहा कि वह और उनके प्लेयर आपस में टीम वर्क से काम करते हैं। इसके लिए एक प्लेयर दूसरे प्लेयर की मदद करता है। दांव-पेंच सिखाने का काम करते हैं।

दांव में कर रहे हैं बदलाव

हमारे पहलवान अभी तक जिन दांव पर जीतते आ रहे हैं। अब हम उन दांव में कुछ बदलाव ला रहे हैं। ताकि विदेशी रेसलर उस दांव का तोड़ न ढ़ूंढ़ पाए। टेगा, फीतली व कैंची जैसे दांव में हमारी टीम कुछ बदलाव करने जा रही है। वर्तमान में हमारे पास करीब ब्00 से अधिक दांव है। छत्रसाल स्टेडियम में वर्तमान में सतपाल सिंह करीब फ्00 छोटे बच्चों को कुश्ती के दांव पेंच सिखा रहे हैं। जिन्हें वह वर्ष ख्0ख्0 के ओलंपिक के लिए तैयार कर रहे हैं।

कड़ी टक्कर मिल रही है दूसरे देशों से

वहीं हाल ही में एशियाड में सिल्वर मेडल जीतकर लौटे बजरंग कुमार ने कहा कि ईरान, एशिया, रसिया, मंगोलिया व जापान जैसे देशों से भारतीय रेसलर को कड़ा चैलेंज मिल रही है। जिसके लिए हमें अपने खेल में और भी विविधता लाने की जरूरत है। खेल में यह कोई नहीं कह सकता है कि उसने सब सीख लिया। क्योंकि हर दिन नया है। हर दिन कोई नया दांव और टेक्नोलॉजी आ रही है। बिना सीखे काम चलने वाला नहीं है। बजरंग ने कहा कि वह हरियाणा में झज्जर जिले के एक छोटे से गांव से हैं। इस खेल में आगे तक पहुंचने के लिए उन्होंने काफी मेहनत की है।

एक ही वेट कैटगरी थे दोनों

एक सवाल के जवाब में उन्होंने स्वीकार किया कि अभी तक योगेश्वर दत्त और वह एक ही वेट कैटगरी म्क् केजी में थे, जिस वजह से बड़ी प्रतियोगिताओं कुछ हद तक प्रॉब्लम हो रही थी। लेकिन अब योगेश्वर दत्त म्भ् केजी में लड़ेंगे। जबकि म्क् केजी वेट में ही मैदान पर होंगे। बजरंग ने बताया कि उनके नाम कॉमनवेल्थ, व‌र्ल्ड चैंपियनशिप, एशियाड सहित सभी प्रकार की चैंपियनशिप में मेडल हैं। लेकिन ओलंपिक में अभी मेडल लाना बाकी है। वर्ष ख्0क्म् में रियो ओलंपिक में गोल्ड मेडल जीतने पर अभी अपना पूरा ध्यान केन्द्रित कर रहे हैं।