अक्सर चीजों का दिमाग से स्लिप होना, हर तरफ अपना फैला काम देखकर उसका सॉल्यूशन निकालने के बजाय उसको सोच-सोचकर परेशान होना, इन सब बातों की वजह हम अपने काम के प्रेशर को मान लेते हैं. नतीजा, ‘अवॉइड इट!’

दिल्ली में रहने वाले ज्वेलर राहुल आहुजा को गड़बड़ होने का अंदाजा तब हुआ जब एक जरूरी क्लाइंट के साथ मीटिंग की बात भूलकर वह दोपहर में गर्लफ्रेंड के साथ लंच पर चले गए. राहुल कहते हैं,‘मुझे लगा कि मैं इतना अनऑर्गेनाइज्ड कैसे हो सकता हूं. मैं उसी दिन डॉक्टर के पास पहुंचा पर जब मुझे एडीडी सिंड्रोम के बारे में पता चला तो मैं हैरान रह गया.’

The major victims

इस बीमारी के सबसे बड़े शिकार हैं, यंग प्रोफेशनल्स. इनमें भी मेल प्रोफेशनल्स का नंबर सबसे ज्यादा है. रिसर्चेज से सेल फोन्स और ई-मेल्स कांसंट्रेशन कम होने की सबसे बड़ी वजह साबित हुए हैं. इन मामलों में ये सेक्शन काफी ज्यादा एक्टिव होता है, शायद इसीलिए इसके शिकार मेल प्रोफेशनल्स ज्यादा हैं.  

How it’s caused?

 इसका मेन रीजन है मल्टीटास्किंग.

2006 में पब्लिश हुई न्यूरॉन स्टडी में fMRI टेक्नोलॉजी के यूज से दिखाया गया कि एक साथ दो काम करने से ब्रेन के फ्रांटल लोब्स में न्यूरल बॉटलनेक हो जाता है और काम के बीच में इंटरप्शन से हमारा ब्रेन अपने पिछले काम को बहुत जल्दी याद नहीं कर पाता.

ड्राइविंग के वक्त फोन पर बातें करना न्यूरल बॉटलनेक होने की बड़ी वजह है. स्टडी के मुताबिक ड्राइविंग करते वक्त एक साथ दो सेल-फोन्स पर बात करना दो ड्रिंक्स लेने के बाद ड्राइव करने के बराबर है.

Treatment strategies:

इसका ट्रीटमेंट मेनली साइकोलॉजिकल है.

•मेडिसिन लेने से पहले डॉक्टर से कंसल्ट जरूरी है.

•रात में छह से आठ घंटे की नींद, दिन में होने वाले कंफ्यूजन को दूर करती है.

•सोते समय किसी भी तरह का डिस्टर्बेंस और इंटरफियरेंस अवॉइड करें.

•ऑर्गनाइज्ड वे में काम करने से आप अपनी कंफ्यूजन को काफी हद तक दूर कर सकते हैं.

•काम के बीच छोटे-छोटे ब्रेक लें और अपने पिछले काम को रिकॉल करने की कोशिश करें. दिमाग में बेवजह की उलझन ना रखें.

If you are victim of health problems like ADD take proper precautions to avoid & practice some treatment strategies to cure the problem.

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