- दहेज उत्पीड़न के मामले में अब नहीं होगी सीधे अरेस्टिंग

- जरा सी बात पर लगता है दहेज उत्पीड़न का आरोप

<- दहेज उत्पीड़न के मामले में अब नहीं होगी सीधे अरेस्टिंग

- जरा सी बात पर लगता है दहेज उत्पीड़न का आरोप

piyush.kumar@inext.co.in

ALLAHABAD: piyush.kumar@inext.co.in

ALLAHABAD: अब तो जरा सी बात भी बर्दाश्त नहीं होती। थोड़ी सी नोकझोंक हुई नहीं कि एक दूसरे से अलग होने का फैसला कर लेते हैं। मामला थाने पहुंच जाता है और एप्लीकेशन में दहेज उत्पीड़न का आरोप जुड़ जाता है। महिला पुलिस स्टेशन में ऐसे केसेज की भरमार है। डेली ही कई एप्लीकेशन पहुंचती हैं। इनमें दहेज उत्पीड़न का आरोप कामन होता है। पति के साथ उनके रिलेटिव भी आरोपी बनते हैं। बात भले ही थोड़ी ही हो लेकिन परेशानी कईयों की बढ़ जाती है। यही वजह है कि अब ऐसे केसेज में मजिस्ट्रेट के निर्देश के बाद ही आरोपियों की अरेस्टिंग की जा सकेगी। सुप्रीम कोर्ट का यह आदेश ऐसे मामलों में उन लोगों के लिए फायदेमंद होगा जो किसी गेम का शिकार हुए हैं।

दहेज उत्पीड़न अचूक हथियार

ऐसा नहीं है कि इलाहाबाद में महिलाओं को दहेज के लिए प्रताडि़त नहीं किया जाता। लेकिन ऐसे लोगों की संख्या बहुत ज्यादा है जिन्हें हसबैंड-वाइफ के विवाद में दहेज उत्पीड़न का आरोपी बनाया गया है। इलाहाबाद की पुलिस के रिकार्ड को खंगालें तो पता चलता है कि हसबैंड वाइफ के विवाद में सास, ससुर, ननद, जेठ, जेठानी और देवर-देवरानी को भी आरोपी बना दिया जाता है। सिर्फ महिला थाने की बात करें तो यहां पर ज्यादातर एप्लीकेशन में यही हाल है।

एफआईआर बढ़ा देती है प्रॉब्लम

एक बार अगर रिपोर्ट दर्ज हो जाए तो आप दोषी हों या न हों, मानसिक रूप से परेशान होना स्वभाविक है। नामजद रिपोर्ट दर्ज होने के बाद कहानी और जटिल हो जाती है। कोई भी पुलिस वाला अपनी जांच के दौरान इतनी आसानी ने उन लोगों का नाम एफआईआर से नहीं हटाता जो रिपोर्ट में दर्ज हैं। इसके बाद लोगों को मजबूरन एडवोकेट की मदद से पुलिस स्टेशन और आला अधिकारियों का चक्कर लगाना पड़ता है। क्योंकि थाने से हमेशा ही अरेस्टिंग का खतरा बना रहता है।

- महिला थाने में हर एरिया के लोग अपनी कंप्लेन लेकर आते हैं। वजह कोई भी हो लेकिन दहेज उत्पीड़न का आरोप लग जाता है। कोशिश की जाती है कि दोनों पक्षों को बुलाकर समझौता कराया जाए। लेकिन जब बात नहीं बनती तो रिपोर्ट दर्ज करनी पड़ती है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद दहेज उत्पीड़न के केस में अब डायरेक्ट अरेस्टिंग नहीं की जाती।

प्रतिमा सिंह

एसओ महिला थाना

हाल ही में दर्ज हुए मामले

केस वन-खुल्दबाद की रहने वाली रीतिका ने अपने पति और ससुराल वालों के खिलाफ दहेज उत्पीड़न का मामला दर्ज कराया है। इस मामले में पति के साथ चार अन्य लोग भी आरोपी बनाए गए हैं। महिला थाने की पुलिस मामले की जांच में जुटी है।

केस टू-शिवकुटी एरिया की रहने वाली मोना ने महिला थाने में दहेज उत्पीड़न और जान से मारने की धमकी देने का मामला दर्ज कराया है। इस केस में पति के अलावा ससुराल के छह लोग भी शामिल हैं।

केस थ्री- फूलपुर के रहने वाले सुभाष चन्द्र पटेल ने दहेज उत्पीड़न का मामला राकेश और उसके घर के आठ लोगों के खिलाफ दर्ज कराया है। यह उत्पीड़न का मामला शादी होने से पहले ही दर्ज हुआ है। आरोप है कि दहेज के चक्कर में ही शादी नहीं की।

सुप्रीम कोर्ट ने जो कहा

सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को असंतुष्ट वाइफ की ओर से हसबैंड और ससुराल के लोगों के खिलाफ दहेज विरोधी कानून के मिसयूज पर चिंता व्यक्त की थी। कोर्ट ने कहा कि ऐसे मामलों में पुलिस सीधे अरेस्टिंग नहीं कर सकती। पुलिस को ऐसा करने के पीछे कारण बताना होगा। जिसका न्यायिक परीक्षण किया जाएगा। इसके लिए सभी राज्यों को यह सुनिश्चित करना होगा कि दहेज उत्पीड़न सहित सात वर्ष तक की सजा वाले सभी अपराधों में अरेस्टिंग का सहारा न लिया जाए। कहा कि पुलिस आईपीसी ब्98 ए के मामले में सीधे अरेस्टिंग न करे। बल्कि वे सीआरपीसी की धारा ब्क् के प्रावधानों के अनुसार अरेस्टिंग की जरूरत महसूस होने पर ही ऐसा करे।