फोकस पत्रिका ने इस महीने के शुरु में पूरी दुनिया में लगातार थकान से होने वाले प्रभाव के बारे में एक रिपोर्ट प्रकाशित की है। शरीर में लगातार थकान का अहसास होना एक ऐसी बीमारी है, जिसके बारे में कहा जाता है कि इसका इलाज जितना मुश्किल है उससे ज्यादा मुश्किल उसे समझना है।

फोकस पत्रिका के सर्वे में दुनिया के 101 देशों के एक लाख लोगों ने हिस्सा लिया और इसमें 89 फीसदी लोगों ने कहा कि थकान से उनकी जिंदगी बुरी तरह प्रभावित हुई है। लेकिन आधे से अधिक लोगों ने माना कि वे इसका असर ही नहीं होने देते हैं। सुस्ती की इस बीमारी में आपको खुद ही इस पीड़ा को बर्दाश्त करना होता है। आपके अगल-बगल वैसा कोई भी आदमी नहीं होता है जो जानता है कि आप किस पीडा़ या व्यथा से गुजर रहे हैं।

लेकिन महत्वपूर्ण बात यह है कि जब आप लगातार थकान की बीमारी से ग्रस्त रहते हैं तो आपकी इस पीड़ा को समझने वाला होना चाहिए। इस बीमारी को लोग अनजाने में नहीं समझते हैं, तो भी आपका ही नुकसान होना है।

बीस वर्षो तक बीमार

इस बीमारी से परेशान एलिसन पॉट्स बताती हैं कि उन्होंने इस बीमारी को 20 वर्षों तक सहा है। उनका कहना है कि कभी-कभी तो उन्हें लगता था कि मुझे किसी गुफा में कैद करके रख दिया गया है।

वे बताती हैं, “मैं जब सवेरे जगती थी तो मुझे पता ही नहीं चलता था कि आखिर इतने आसान काम को मैं इतना मुश्किल क्यों समझती थी। मुझे अपने आप पर शक होने लगता था कि आखिर मैं ऐसा करती क्यों हूं.” समस्या यह है कि लोग सामान्य थकान को इस थकान से जोड़ देते हैं। वास्तविकता तो यह है कि ‘थकान’ शब्द इस बीमारी के नाम के साथ न्याय नहीं कर पाता है।

शब्द से पता नहीं

‘थकान’ एक ऐसी बीमारी है, जो तत्काल किसी को अपने चपेट में ले लेती है। इसमें आंख की रोशनी तो रहती है लेकिन सारा क्रिया-कलाप ठप सा हो जाता है, शरीर का संतुलन बिगड़ जाता है और ताकतें कम हो जाती हैं।

थकान नामक बीमारी की सबसे बड़ी समस्या यह है कि वह कभी भी, किसी को भी पल भर में अपनी चपेट में ले सकता है। जब वह आपको अपने चपेट में लेता है तो आपके मन में सहसा कई सवाल आने लगते हैं। फिर आप सोचने लगते हैं कि आप घर पहुंच पाएगें भी या नहीं। या फिर जब आपका काम पूरा नहीं होगा तो फिर क्या होगा। या फिर गाड़ी चलाना ठीक रहेगा या नहीं रहेगा।

एकाएक आपको अपनी जिंदगी पहेली सी लगने लगती है। आपको लगता है कि क्या आपके हाथ से सारा कुछ निकल जाएगा या फिर कुछ बचा भी रहेगा। और ना कुछ कर पाने के दवाब में ऐसा कुछ कर देते हैं जो हम करना ही नहीं चाहते थे, इसलिए वह काफी बुरा होता है।

एलिसन पॉट्स अपनी एक सहेली सारा का उदाहरण देती हैं। वह कहती हैं कि उनके जन्म दिन पर वर्ष 2005 में दोस्तों ने उनसे खाना खिलाने के लिए दवाब डाला। हालांकि वे जानती थी कि उन्हें परेशानी होगी लेकिन वे यह भी जानती थी कि उनके दोस्त इस बात को नहीं स्वीकार करेगें कि सारा उन्हें खाना खिलाने के लिए ना ले जाए।

बहुत वक्त लगता है

सारा वहां चली तो गई, लेकिन उन्हें इससे निकलने में तीन महीने लग गए। एलिसन का कहना है कि दोस्तों की तरफ से जबरदस्ती करना भी अपनी ही गलती है।

वास्तविकता यह है कि आज लोग काफी व्यस्त हो गए हैं। किसी के पास कुछ न कुछ करने के लिए है। एलिसन के अनुसार, “हो सकता है कि मिलने पर लोगों को लगे कि असे उनमें और मुझमें कोई असमानता ही नहीं है फिर वह ऐसा व्यवहार क्यों कर रही हैं.”

एलिसन की बातें सर्वे में सही साबित होती है जब सर्वे अपने निष्कर्ष में बताता है,“थकान से पीड़ित लोगों को आराम करने की जरूरत है, लेकिन सबसे जरूरी ये है कि लोग उनकी स्थिति को समझे.”

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