>RANCHI: सुखदेवनगर थाना पुलिस ने आठ मोबाइल चोरों को गिरफ्तार करने में सफलता पाई है। सूत्रों के मुताबिक, ये सभी साहेबगंज जिले के तीन पहाड़ी गांव के हैं, जो यहां रेलवे स्टेशन, बस स्टैंड सहित अन्य जगहों पर किराए का मकान लेकर रह रहे थे और बाजार तथा भीड़-भाड़ वाले इलाके में मोबाइल टपाने का काम करते थे।

पुलिस को इन लोगों ने बताया है कि जब भी ये लोग घर से बाहर निकलते थे तो गुरु के कहने पर पूजा करते थे। इनके घरों से काफी मात्रा में मूर्तियां भी मिली हैं। बच्चों ने बताया कि उनलोगों को सिखाया जाता था कि कोई भी काम करने से पहले ईश्वर की पूजा जरूर कर लो? वे लोग घर में ही पूजा करते थे। इसके बाद इलाके तय होते थे। फिर, गिरोह बनाकर मोबाइल छिनतई आदि का काम किया करते थे।

एक साथ रहते थे दो-दो उचक्के

पिक पॉकेटिंगऔर मोबाइल या पर्स छिन कर भाग रहे उचक्के का दूसरा साथी विक्टिम के पास जाता, शोर मचाता और हुलिया वगैरह पूछकर बैग छीनने वाले के पीछे दौड़ जाता था। इससे दो लोगों को एक के पीछे भागते देख पब्लिक पीछे नहीं दौड़ती थी और उचक्का आसानी से सामान लेकर फरार हो जाता था।

क्7 फरवरी के अंक में प्रकाशित हुई थी खबर

गौरतलब हो कि क्7 फरवरी के अंक में बच्चों को सिखाई जाती है चोरी और छिनतई शीर्षक से खबर प्रकाशित हुई थी। उसमें कहा गया था कि बच्चे ठेके पर बेचे जाते हैं, जिसका खुलासा जगन्नाथपुर थाना पुलिस के हत्थे चढ़े बाल अपराधियों ने किया था। उनलोगों ने कहा था कि उनके गुरु शातिर चोर होते हैं। वे उन्हें पिक पॉकेटिंग, झूठ बोलने, राह चलते पर्स उड़ाने तक की ट्रेनिंग देते हैं। इसके बाद बच्चों की परीक्षा होती है। पास होने वाले को बेस्ट बाल चोर का खिताब भी दिया जाता है, साथ में पुरस्कार भी। फिर, उन्हें बच्चा गैंग का लीडर घोषित किया जाता है और झारखंड के विभिन्न जिलों में गिरोह बनाकर भेजा जाता है।

पकड़े जाने पर कहते हैं खुद के खोने की बात

जब पुलिस बच्चों को थाना लाती है और चाइल्ड हेल्पलाइन लाइन में पूछताछ होती है, तो ये बच्चे कहते हैं कि मां के साथ यात्रा कर रहे थे, रास्ते में बिछड़ गए हैं। कुछ बताते हैं कि मां-बाप नहीं रहे। कुछ खाने के लिए दे दो तो कुछ पीने के लिए दे दो।