- नामुमकिन है पब्लिक के मिजाज को समझना

- लोकसभा और विधानसभा चुनावों में अलग रहा पब्लिक का रुख

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Meerut : चुनावी समर में हर पार्टी और उनके कैंडीडेट अपने वोट बैंक का गणित लगाते हैं। कोई जाति के आधार पर तो कोई धर्म के आधार पर वोट बैंक को तैयार करता है। कोई परंपरागत वोट बैंक की बात करता है। सवाल ये है कि आखिर पब्लिक क्या चाहती है? पब्लिक का क्या रुख है? अगर पिछले दो विधानसभा और एक लोकसभा के वोटिंग पैटर्न और नतीजों पर नजर डालें तो समझ में आएगा कि पब्लिक अब किसी के कहने या बहकाने पर वोट डालने को बिल्कुल भी तैयार नहीं है। आइए आपको भी बताते हैं कि आखिर पिछले तीन चुनावों में जिले में कौन सी पार्टी को कितने वोट पड़े। ताकि आने वाले चुनाव का अंदाजा लगाया जा सके कि किस पार्टी का दबदबा हो सकता है।

विधानसभा ख्007

पार्टी भाजपा कांग्रेस सपा बसपा

किठौर ख्भ्98ख् क्7क्7 ब्फ्70क् ब्0ख्7म्

मेरठ ब्7ब्क्फ् ब्ख्7क् क्7भ्0भ् ब्8भ्0ख्

हस्तिनापुर क्म्म्क्7 ख्7क्7ब् क्89म्भ् फ्ब्ख्00

सिवालखास क्887म् म्ब्क्ख् क्0ख्क्7 ब्ख्क्70

कैंट भ्म्78भ् क्ख्म्फ्ख् ख्00फ्8 ब्0म्क्8

इस विधानसभा चुनाव में वोट काफी कम पड़े थे। सबसे पहले किठौर कि बात करें तो सपा ने अपने सिटिंग एमएलए को टिकट दिया और जीत भी हासिल की। उसे ब्फ् हजार 70क् वोट पड़े थे। बसपा ने ब्8 हजार से ज्यादा वोटों के साथ शहर सीट को अपने नाम किए थे। भाजपा ब्7 हजार वोट के साथ दूसरे नंबर पर थी। तीसरे नंबर कांग्रेस और चौथे पर सपा थी। कैंट सीट पर हमेशा से ही भाजपा का ही कब्जा रहा है। भाजपा ने उस सीट पर भ्भ् हजार से भी ज्यादा वोट ह सिल किए थे। जबकि बसपा ब्0 हजार से कुछ ज्यादा वोट ही डलवा सकी थी। यहां कांग्रेस सपा से भी पीछे रही थी। हस्तिनापुर में बसपा ने कब्जा बरकरार रखा और करीब फ्ब् हजार वोट हासिल किए। कांग्रेस को महज ख्7 हजार वोट लेकर ही संतोष करना पड़ा। भाजपा देहात की इस सीट पर ज्यादा वोट हासिल नहीं कर सकी। सिवालखास की सीट पर भी कुछ ऐसा ही नजारा देखने को मिला। बसपा ब्ख् हजार वोटों के साथ सबसे आगे रही। भाजपा क्8 हजार वोट के साथ दूसरे नंबर पर रही। सपा को दस हजार तथा कांग्रेस को 7000 वोट ही मिले।

लोकसभा ख्009

पार्टी भाजपा कांग्रेस सपा बसपा

मेरठ ब्म्708 9भ्ब्म् ब्88ख्म् क्ब्फ्0फ्

कैंट म्भ्भ्म्9 ख्ख्म्9म् क्भ्8ब्क् फ्7ब्ब्क्

दक्षिण ब्ब्ख्0ख् क्ख्0ख्फ् ब्0ख्क्8 ब्ब्म्89

हापुड़ फ्9म्7फ् क्0फ्0फ् फ्क्0म्फ् फ्9970

किठौर फ्भ्9क्फ् म्ब्क्क् ब्7भ्म्9 भ्0भ्ब्8

इन लोकसभा चुनाव में परिसीमन बदला और मेरठ के साथ हापुड़ मिला। अगर हम विधानसभा सीटों के अनुसार वोट देखें तो दक्षिण में भाजपा और बसपा को करीब बराबर वोट पड़े। सपा को बस थोड़े ही कम वोट पड़े। कांग्रेस की स्थिति सबसे खराब रही। सिटी में भाजपा और सपा में कड़ी टक्कर देखने को मिली। कैंट में सबसे अधिक भाजपा वोट हासिल किए। हापुड़ की बात करें तो भाजपा और बसपा को करीब करीब बराबर ही वोट पड़े। किठौर में सबसे ज्यादा बसपा को वोट पड़े। जबकि ये सपा गढ़ माना जाता है सपा को करीब तीन हजार कम वोट पड़े।

विधानसभा ख्0क्ख्

पार्टी भाजपा कांग्रेस सपा बसपा

किठौर क्म्,70ख् फ्ब्,79क् 7फ्,0क्भ् म्क्,909

मेरठ म्8,क्भ्ब् फ्क्,89भ् म्क्,87म् क्फ्,क्म्ब्

कैंट 70,8ख्0 ब्ब्,म्भ्9 9,म्99 म्7,ख्07

दक्षिण 7क्,भ्8ब् ख्भ्,क्भ्0 ब्9,क्0फ् म्क्,800

इस विधानसभा चुनाव की सबसे खास बात ये दिखी कि वोटर्स बाहर निकला और करीब म्0 फीसदी वोट पड़े, जिसका परिणाम ये निकला कि देहात में सपा और सिटी में भाजपा को खासी बढ़त मिली। मेरठ सिटी, दक्षिण, कैंट की सीटों पर भाजपा काबिज हो गई। वहीं नए परिसीमन के तहत बनी दक्षिण सीट पर भाजपा को सबसे ज्यादा करीब 7क् हजार वोट पड़े। दूसरे नंबर पर बसपा करीब म्ख् हजार तक पहुंचे। वहीं सपा भ्0 हजार वोट भी नहीं पा सकी। सबसे बुरा हाल कांग्रेस का रहा। किठौर में सपा ने हैट्रिक बनाते हुए 7फ् हजार से भी ज्यादा वोट हासिल किए। बसपा करीब म्ख् हजार वोट पड़े। वहीं कांग्रेस की स्थिति भाजपा के मुकाबले काफी ठीक हुई। फ्ब् हजार वोट पड़े। जबकि भाजपा को क्म् हजार वोट पड़े। सिटी में सपा की स्थिति बसपा बेहतर हुई। इस चुनाव में सिवालखास में कांग्रेस और सपा की स्थिति को काफी मजबूती मिली। सीट भले ही सपा को मिली हो लेकिन कांग्रेस को भ्भ् हजार वोट मिले थे। कैंट सीट की बात करें तो यहां बसपा और भाजपा में काफी कांटे की टक्कर थी। ख्007 में जीत का अंत जो क्म्000 हजार भी वो महज फ् हजार का रह गया। सपा भी पहले के मुकाबले डाउन हो गई। कांग्रेस तीसरे नंबर रही।