ऐसे आते हैं आतंकी
झारखंड में अवैध कारोबारी बांगलादेश के मुर्शिदाबाद पहुंचते है, फिर गंगा नदी होकर पाकुड़ आते हैं। फिर देश के विभिन्न एजेंट पाकुड़ में जुटते हैं और पूरे देश भर में हथियारों की सप्लाई की जाती है। पाकुड़ के छह रास्ते ऐसे हैैं, जहां से बांगलादेशी घुसपैठिए आसानी से झारखंड में इंट्री कर रहे हैैं। पाकुड़ के रास्ते आतंकी और हथियार आ रहे हैं। इस काम के लिए आतंकी स्थानीय लोगों से हाथ मिला चुके हैं। स्थानीय होने की वजह से इन पर कोई शक नहीं करता है। ये स्थानीय लोग दो से तीन बार गंगा नदी पार कर मुर्शिदाबाद चले जाते हैं। फिर यही लोग आम्र्स झारखंड में लाते हैं। इन छह रास्तों में धुलियान- पाकुड़ पथ, हिरणपुर-कोटलापोखर, गोपालग्राम- राजग्राम, पाकुडिय़ा- रामपुर हाट पथ, महेशपुर- सोनारापाड़ा और बंगाल को मुर्शिदाबाद से जोडऩेवाली गंगा नदी शामिल हैैं।

गंगा नदी बनी माध्यम
गंगा नदी झारखंड को बंगाल के मुर्शिदाबाद से जोड़ती है। इस नदी को पार करने के बाद दस किमी तक चलने पर बांगलादेश आ जाता है। यहां से नकली नोट, हथियार, बांगलादेशी लड़कियां आदि की खेप आसानी से झारखंड पहुंचता है। इन बांगलादेशी लड़कियों में कुछ  ऐसी भी हैं, जो आतंकियों के लिए काम करती है।

आंतरिक सुरक्षा में सेंध
भारत के दम पर जिस बांगलादेश का निर्माण हुआ है, दुर्भाग्य से वह आंतरिक सुरक्षा में सेंध लगा रहा है। एक ओर पाकुड़ के रास्ते नकली नोट को भारत में फैला कर यहां की इकोनॉमी को बर्बाद कर रहा है, तो दूसरी ओर मादक पदार्थो और देह व्यापार के लिए बांगलादेशी लड़कियों को भेज कर युवा पीढ़ी को भी बर्बाद कर रहा है। साथ ही आतंकी गतिविधियों में इस रास्ते का इस्तेमाल बखूबी किया जा रहा है।

मिले हैं अमेरिकन राइफल,  पाकिस्तानी कार्टिज
झारखंड में आतंकी नक्सली संगठनों से मिलकर लगातार खुद को मजबूत कर रहे हैैं। मॉडर्न आम्र्स से लैस हो रहे हैैं। नक्सलियों के कुनबे में एक से बढ़कर संसाधन लगातार बढ़ रहे हैं। झारखंड पुलिस लगातार हथियारों की बरामदगी से कंफ्यूज है। शायद यही कारण है कि अब झारखंड पुलिस ने नक्सलियों की इकोनॉमी की जांच के लिए एनआइए के सामने हाथ फैला दिए हैं। झारखंड पुलिस का कहना है कि नक्सली विदेशी हथियारों से जंग लड़ रहे हैं। ऐसे में उनके इस टेरर लिंक की जानकारी हासिल करना बिना एनआईए के सहयोग के संभव नहीं है।

रेड कॉरिडोर बनी है पाकुड़ की गंगा नदी
झारखंड में पिछले साल पुलिस की छापेमारी में जो हथियार और संसाधन नक्सलियों के पास से मिले हैं, पुलिस उसे देखकर हैरान है। झारखंड के हजारीबाग से अमेरिकन राइफल और बुलेट प्रुफ जैकेट मिले, तो सिमडेगा से पाकिस्तान की फैक्टरी में बने कारतूस। यानी नक्सली अमेरिकन राइफल में पाकिस्तानी कारतूस भरकर पुलिसकर्मियों को अपना निशाना बना रहे हैं, जबकि अपने बचाव के लिए ये ब्रिटेन का बुलेट प्रूफ जैकेट यूज कर रहे हैं। नक्सली विदेशों से हथियार ला रहे हैं।

पाक भेज रहा है झारखंड में आम्र्स
नक्सलियों के पास से अमेरिकन आम्र्स और पाकिस्तान मेड कारतूस जŽत किए जाने के बाद इन दिनों झारखंड पुलिस की नींद उड़ी हुई है। सिमडेगा में पुलिस -नक्सली मुठभेड़ के बाद बरामद गोलियोंं का पाकिस्तान  मेड होना इस बात की तरफ इशारा कर रहा है कि नक्सलियों का संबंध पाकिस्तान से जुड़ चुका है। साधारण बंदूक की गोलियों सरीखे दिखनेवाली इन गोलियों ने झारखंड पुलिस सहित तमाम सुरक्षा एजेंसियों को बैचेन कर दिया है। वजह है इन पर पाकिस्तान में बने होने की मुहर का होना। अब ये एजेंसिया इस बात की गुत्थी को सुलझाने में लगी हैैं कि आखिरकार ये गोलियां इतनी दूर से इन नक्सलियों तक किस माध्यम से पहुंचीं।

आइएसआई का हाथ होने की आशंका
खुफिया विभाग को शक है कि पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई पर्दे के पीछे रहकर पूरी साजिश को अंजाम दे रही है। ज्ञात हो कि आईबी ने कुछ समय पहले स्टेट गवर्नमेंट को भेजी अपनी रिपोर्ट में सिम्मी और नक्सल के बीच गंठजोड़ होने की बात कही थी। इतना ही नहीं, पिछले दिनों हजारीबाग में मिले अमेरिकन एमपी-6 गन मिलने के बाद एनआईए और देश की खुफिया एजेंसियों के ऑफिसर्स ने बकायदा हजारीबाग दौरा कर मामले की तह तक जाने की कोशिश की.  सूत्रों के मुताबिक, इनकी जांच में ये भी बताया गया है कि आतंकी संगठन सिम्मी और पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई राज्य में अपनी गतिविधियों को तेज कर नक्सलियों  के साथ सांठ-गांठ कर रहे हैैं, ताकि किसी बड़े वारदात को अंजाम दिया जा सके।

आंध्रप्रदेश और नेपाल से भी जुड़ा है कॉरिडोर
झारखंड  के अधिकांश जिलों में अलग-अलग नक्सली गुट अपनी पैरलल गवर्नमेंट चलाते हैं। वैसे में नक्सलियों का पाकिस्तान कनेक्शन की बात सामने आने से पुलिस में बैचेनी बढऩा लाजिमी है। गौरतलब है कि झारखंड का सिंहभूम इलाके का जंगल जहां एक ओर आंध्रप्रदेश औ र नेपाल तक के कॉरिडोर का एक हिस्सा है, वहीं राज्य के संथाल परगना का एक इलाका बांगलादेश बॉर्डर को भी छूता है। ऐसे में खुफिया विभाग ने आशंका जताई है कि विदेशी आम्र्स इन्हीं रास्तों से झारखंड पहुंच रहे हैं।

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