उन्होंने इसको लेकर पीएम मनमोहन सिंह को एक कांफिडेशियल लेटर भी लिखा था. इसमें कहा गया है कि आर्मी के टैंक का गोला बारूद खत्म हो चुका है. हवाई सुरक्षा के उपकरण अपनी ताकत खो चुके हैं. इतना ही नहीं पैदल सेना के पास हथियार तक नहीं है. इस लेटर के मीडिया में लीक होने के बाद शुरू हुई सियासी जंग और वर्ड्स वार के बीच देश की आम जनता के बीच में यह सवाल भी आ रहा है कि यह वतन किसके हवाले है और हम कितने सेफ हैं.

आर्मी चीफ ने पीएम को लिखे अपने लेटर में साफ कहा है कि दो विरोधी पड़ोसियों से देश की सुरक्षा सेना की क्षमताओं से जुड़ी है. इस वजह से सेना की खामियों को तत्काल प्रभाव से दूर करने की जरूरत है. देश के प्रमुख हथियारों की हालत भयावह है. इनमें मैकेनाइज्ड फोर्सेज, तोपखाने, हवाई सुरक्षा, पैदल सेना और स्पेशल फोर्सेस के साथ ही इंजीनियर्स और सिग्नल्स भी शामिल हैं.

हालांकि इस लेटर के लीक होने के बाद संसद से लेकर सरकार तक में खलबली मच गई है, वहीं डिफेंस मामलों के एक्सपट्र्स भी इस मामले को सीरियसली लेने की बात कह रहे हैं. डिफेंस एक्सपर्ट भरत वर्मा का कहना है कि जो मामला सामने आया है वह वाकई में सेंसटिव है और सरकर को इस पर फौरन ध्यान देना चाहिए. यह देश की सुरक्षा का मामला है.

पहले भी दी जा चुकी जानकारी

इंडियन आर्मी को दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी आर्मी कहा जाता है, लेकिन इस लेटर के आने के बाद यह सवाल खड़ा हो गया है कि क्या हम वाकई में इतने पावरफुल हैं और क्या हमारी आर्मी हमें महफूज रखने के काबिल है? खासकर उस समय जब अपने पड़ोस में दो दुश्मन, पाकिस्तान और चीन हर समय हम पर हमले की ताक पर रहते हैं, क्या हम युद्ध के लिए तैयार हैं.

किसके हवाले वतन साथियों ?

रक्षा मामलों के जानकार भरत वर्मा कहते हैं कि इंडियन आर्मी की जिस कंडीशन का खुलासा आज हुआ है वह हालत करीब ढाई दशक से है. सिर्फ आर्मी चीफ वीके सिंह ने ही इस तरह का कोई लेटर नहीं लिखा, बल्कि इसके पहले भी समय-समय पर सक्षम आर्मी ऑफिसर्स सरकार को आर्मी की इस कमजोरी के बारे में बता चुके हैं. लेकिन इन पर इतना गौर नहीं किया गया. पहली बार किसी आर्मी चीफ ने  इस स्तर पर आकर सरकार से सामना करने की कोशिश की है.

सेफ नहीं हैं हम

रक्षा मामलों के जानकार भरत वर्मा का कहना है कि हम भले ही अपने आर्मी की ताकत की बात करते हैं लेकिन हम कहीं न कहीं काफी कमजोर हैं. हमारे पड़ोसी मुल्क डिफेंस के सेक्टर में लगातार डेवलपमेंट करते जा रहे हैं. अपना डिफेंस बजट बहुत अधिक बढ़ा रहे हैं, लेकिन हम अपनी पुरानी कमियों को भी नहीं पूरा कर पाए. उनका कहना है कि जिस देश की आर्मी के पास पर्याप्त गोला-बारूद न हो. एयर स्ट्राइक से डिफेंड करने की क्षमता न हो, नए इक्विपमेंट न हों, भला वह ताकतवर कैसे हो सकती है.

किसके हवाले वतन साथियों ?

इसीलिए पड़ोसी करते हैं परेशान

इंडिया के दो पड़ोसी देश पाकिस्तान और चीन हर समय देश पर हमले की फिराक में रहते हैं. समय-समय पर कई इंटेलीजेंस रिपोर्ट और अन्य अधिकारी इस बात की चेतावनी भी देते रहे हैं कि चीन हमारी जमीन को हथियाना चाहता है, उसका मेन कारण यही है कि वह इंडियन आर्मी की हकीकत से परिचित हैं. अपने पड़ोसी मुल्कों को लगता है कि अगर हम इंडिया पर हमला कर देंगे तो शायद उसपर जीत भी हासिल कर लें. १९६२ में इंडो-चाइना वॉर का उदाहरण देते हुए भरत वर्मा ने कहा है कि उस समय भी हमारी सरकार ने आर्र्मी की वार्निंग और अपनी जमीनी हकीकत को सीरियसली नहीं लिया, जिसके कारण चीन के युद्ध में हमें मुंह की खानी पड़ी. अगर अब भी हम इस मामले को गंभीरता से नहींलेते हैं तो परिणाम गंभीर हो सकते हैं.

यह ठीक नहीं..

इस पूरे इश्यू पर जब हमने मेरठ में डिफेंस स्टडी के एचओडी डा. सोमनाथ मिश्रा से बात की तो उनका जवाब था कि इस तरह से इस मुद्दे का सामने आना बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है. उन्होंने कहा कि जिस तरह से आर्मी चीफ और मिनिस्ट्री ऑफ डिफेंस के बीच एक के बाद एक डिफरेंसेज सामने आ रहे हैं, उससे कहीं  न कहीं देश की छवि पर असर पड़ रहा है. इंडियन आर्मी दुनिया की मजबूत सेनाओं में से एक है और ऐसे में इस तरह के इश्यूज सामने आना ठीक नहीं है. डा. मिश्रा ने कहा कि देश के सामने इस समय कई बड़ी समस्याएं हैं. इनमें चीन, पाकिस्तान और दक्षिण चीन सागर जैसी समस्याएं काफी अहम हैं. इन समस्याओं पर फोकस करना चाहिए. इसके साथ ही वो मानते हैं कि यह पूरे देश का मामला है.

लेकिन हम तैयार हैं

उन्होंने माना कि इस पूरे इश्यू से कहीं न कहीं सेना और देशवासियों के मनोबल पर भी असर पड़ेगा. उन्होंने कहा कि इस तरह के इश्यूज देश को खतरे में ढकेल रहे हैं. दूसरी ओर यह भी उन्होंने कहा कि इंडियन आर्मी अभी भी काफी ताकतवर है और किसी भी हमले के समय दुश्मन को मुंहतोड़ जवाब देने के लिए पूरी तरह से तैयार है.

सवाल दर सवाल

1. आखिर आर्मी चीफ अब तक चुप क्यों रहे?2.   जब सरकार को यह लेटर लिखा गया तो कोई कार्रवाई क्यों नहीं की गई?

3.   इतना सेंसटिव लेटर आखिर लीक कैसे हुआ?

4.   क्या लेटर पब्लिक होने से देश की सिक्योरिटी पर खतरा बढ़ जाएगा?

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