लिया कब्जा

किला रोड से जयभीमनगर मुर्गी फॉर्म लिंक रोड पर कैंट बोर्ड की ट्रंचिंग ग्राउंड है। सीईओ का पदभार संभालने के बाद डा। यादव ने ट्रंचिंग ग्राउंड का दौरा किया था और दस्तावेजों से पता किया कि यहां लगभग 21 एकड़ भूमि कैंट बोर्ड की है। इसमें 15 एकड़ भूमि का इस्तेमाल कुछ स्थानीय किसान और ठेकेदार कर रहे थे। शुरुआत में सीईओ को पूरे भू-भाग की सूचना तक मुहैया विभागीय स्तर पर मुहैया नहीं करायी गई थी।

जुलाई में ही लेना था कब्जा

ट्रंचिंग ग्राउंड के क्षेत्र की भूमि की माप-जोख रक्षा संपदा कार्यालय, कैंट बोर्ड और मिलिट्री फॉर्म के बीच पांच से सात जुलाई के बीच हुई। 21 एकड़ भूमि होने की पुष्टि के बाद सीईओ ने पीलर लगाकर कब्जा लेने का निर्देश दिया था लेकिन उस समय धान की फसल खड़ी होने की वजह से और पानी लगे होने की वजह से घेरी नहीं गई थी। मामला चल ही रहा था कि एक दिन आलू के बुवाई की खबर की सूचना मिली। इस पर शनिवार को सीईओ स्वयं अपने 40-50 कर्मचारियों की टीम लेकर मौके पर पहुंचे और अपने समूची जमीन को कब्जे में ले लिया। जहां-जहां जुताई की गई थी, वहां कूड़ा डाल सीमाबंदी की गई।

तो आ जाती अड़चन

इस बार भी अगर आलू की बुवाई हो जाती और फसल खड़ी हो जाती तो कैंट बोर्ड के लिए बड़ी अड़चन हो जाती। ऐसी दशा में अगर कब्जा लेने की कोशिश होती तो खड़ी फसल के नाम पर किसानों को स्टे भी मिल सकता था, लेकिन कब्जे की कार्रवाई उससे पहले ही हो गई।

अध्यक्ष को देंगे गड़बड़ी की रिपोर्ट

जिस तरह से 15 एकड़ की भूमि सालों तक कैंट बोर्ड के कब्जे से बाहर रही है, उसे सीईओ गंभीरता से ले रहे हैं। उनका कहना है कि इस प्रकरण में गोलमाल भी हो सकता है। विभागीय जांच हो या नहीं, इसे लेकर पूरे प्रकरण को अध्यक्ष को अवगत कराया जाएगा। बोर्ड के समक्ष भी मुद्दा ले जाएंगे।

'लंबे अर्से से हमारी 15 एकड़ भूमि पर दूसरे लोग खेती करते आ रहे थे, उस पर कब्जा लेने की प्रक्रिया पूरी कर ली गई है.'

-डा। डीएन यादव, सीईओ, कैंट बोर्ड