द मैन एंड हिज टाइम्स ने किया खुलासा

सेना के करिश्माई प्रभाव वाले अधिकारी फील्ड मार्शल सैम मानेकशा पर लिखी एक पुस्तक में ऐसे कई किस्सों का उल्लेख है. सेना में लंबे समय ते मानेकशा के सहयोगी रहे ब्रिगेडियर (सेवानिवृत्त) बेहराम पांथाकी और उनकी पत्नी जेनोबिया ने नयी किताब 'फील्ड मार्शल सैम मानेकशा : द मैन एंड हिज टाइम्स' लिखी है. किताब के अनुसार सेना की  इकाइयों के अग्रिम क्षेत्रों में ही रहने के कारण सेना मुख्यालय ने सिफारिश की थी कि उस साल गणतंत्र दिवस परेड रद्द कर दी जाये. लेकिन पीएम इंदिरा गांधी जश्न मनाना चाहती थीं. भारत की जीत का जश्न मनाना था और श्रद्धांजलि भी अर्पित करनी थी. पुस्तक में जिक्र मिलता है कि अल्पकालिक नोटिस पर इंडिया गेट के नीचे अमर जवान ज्योति प्रज्जवलित की गयी. 26 जनवरी 1972 को परेड शुरू होने से पहले इंदिरा गांधी खुली जीप में राजपथ पहुंची, जिसके बाद शहीदों को श्रद्धांजलि दी गयी.

'आपको मार्चिंग आदेश मिला गया'

किताब के अनुसार जब 1947 में पाकिस्तानी घुसपैठिये घाटी की ओर बढ़ रहे थे, तो तत्कालीन पीएम जवाहरलाल नेहरू सेना को कश्मीर भेजने के बारे में संयुक्त राष्ट्र से परामर्श लेना चाहते थे. तभी सरदार पटेल ने उन्हें सैनिकों को भेजने का आदेश देने के लिए मना किया. घटनाक्रम के अनुसार सरदार ने प्रधानमंत्री से पूछा, 'जवाहर तुम कश्मीर चाहते हो या उसे हाथ से जाने देना चाहते हो?' इस पर जब नेहरू ने सख्त लहजे में जवाब दिया, जाहिर है, मैं कश्मीर चाहता हूं'. तभी सरदार पटेल सैम मानेकशा की ओर मुखातिब हुए और कहा,'आपको मार्चिंग आदेश मिल गया है'. इसके बाद 16 नवंबर तक घाटी से घुसपैठियों को खदेड़ दिया गया था और श्रीनगर तथा हवाई अड्डे को बचा लिया गया.

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