मेडल ने दिलाई आर्मी में जॉब
बशारतपुर निवासी प्रदीप का सपना था सिर्फ दौडऩा और दौडऩा। वह किसी भी हाल में रुकना नहीं चाहता था। सरकारी नौकरी कर रहे सिरताज कनौजिया अपने बेटे को पढ़ा-लिखा कर जॉब दिलाना चाहते थे। मगर प्रदीप पढ़ाई से अधिक अपने गेम को प्रिफर कर रहा था। कई स्टेट खेलने के बाद प्रदीप ने 2003 में पहला नेशनल खेला। कोयंबटूर में हुए साउथ नेशनल में प्रदीप ने 5000 और 3000 मीटर रेस में गोल्ड मेडल जीत कर सभी को चौंका दिया। इसके बाद प्रदीप लगातार 12 नेशनल चैंपियनशिप में अपना दम दिखाता रहा। लगातार मेडल जीतते देख प्रदीप को 2005 में आर्मी ने जॉब दे दी। तब शायद पूरा परिवार खुश था। मेडल से प्रदीप का सपना पूरा हुआ तो जॉब ने पिता के सपने को भी अधूरा नहीं रहने दिया। अब प्रदीप आर्मी की ओर से रेगुलर प्रैक्टिस करने के साथ विभिन्न कॉम्पटीशन में पार्टिसिपेट कर मेडल जीत रहा है। तीन माह पहले मोतीराम अड्डा में 6 किमी रेस, सोनभद्र में 10 किमी रेस और देवरिया में 12 किमी मैराथन में पार्टिसिपेट किया और गोल्ड मेडल जीता। अब रानीखेत में केआरसी रेजीमेंट में तैनात प्रदीप 21 किमी मैराथन में मेडल जीतने के लिए रेगुलर प्रैक्टिस कर रहा है।