- आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग को लेकर हंगामा

- तीन महीने पहले दर्ज कराया था महिला थाने में मुकदमा

- मानसी ने कराया वकील, आरोपियों को दिलाई जाएगी सजा

Meerut: ससुरालियों की प्रताड़ना से बीमार हुई आरती ने रविवार को प्यारे लाल जिला अस्पताल में उपचार के दौरान दम तोड़ दिया। हद तो तब हो गई जब किसी अधिकारी ने मौके पर पहुंचकर मामला संज्ञान नहंी लिया। इस मामले में पुलिस की लापरवाही भी सामने आई है। पुलिस ने मुकदमा दर्ज करने के बावजूद आरोपियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की, यदि कार्रवाई होती तो शायद आरती को कुछ हौसला मिलता। समाजिक संगठन की सहायता से उसका इलाज भी हो सकता था। पुलिस ने शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेजा।

क्या था मामला

परतापुर थाना एरिया के शताब्दी नगर में रहने वाले प्रेमनाथ दिल्ली में सिलाई का काम करते हैं। उन्होंने अपनी बेटी आरती की शादी ख्009 में शादी समारोह में लाइटिंग का काम करने वाले शास्त्रीनगर सेक्टर दो निवासी विक्की पुत्र ईश्वर से की थी। शादी के बाद से ससुरालियों ने बहू का जीना मुहाल कर दिया था। सास ओमशा और पति विक्की ने दहेज के लिए उससे प्रताडि़त करना शुरू कर दिया था। विक्की चरस और स्मैक का धुआं उसके मुंह के अंदर छोड़ता था। जिससे आरती की हालत बिगड़ गई और टीबी हो गई थी। सुसराल पक्ष ने पांच साल तक बंधक बनाकर उससे प्रताडि़त किया। अब आरती का इलाज प्यारे लाल जिला अस्पताल में चल रहा था। जहां रविवार दोपहर उसने दम तोड़ दिया। आरती की मौत के बाद भाई भूपेंद्र, पिता प्रेमनाथ का रो-रोकर बुरा हाल था।

पुलिस ने नहीं लिया संज्ञान

क्म् सितंबर ख्0क्ब् को आरती के पिता प्रेमनाथ ने पति विक्की, ससुर ईश्वर, सास ओमशा, देवर सुन्दर और रामबाबू के खिलाफ महिला थाने में मुकदमा कायम कराया था। प्रेमनाथ ने आरोप लगाया था कि आरती के साथ सब मिलकर मारपीट करते हैं। दहेज की मांग को लेकर प्रताडि़त किया जाता है। बंधक बनाकर पांच साल से मारपीट कर रहे थे। इस मामले में महिला थाने में ब्98ए, फ्ख्फ्, भ्0म् आईपीसी की धाराओं में मुकदमा कायम किया गया था। इस मामले की जांच अलका पंवार ने हेड कांस्टेबल संतोष कुमारी को दी थी, लेकिन पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की।

नहीं आए अधिकारी

आरती की दर्दनाक मौत की कहानी पर पुलिस अधिकारियों को जरा भी तरस नहीं आया। मानसी संस्था की अध्यक्षा साधना श्रीवास्तव ने मौके पर पहुंचकर एसपी क्राइम समेत तमाम पुलिस अधिकारियों को फोन करके जानकारी दी, लेकिन किसी ने भी जानकारी नहीं ली। पीडि़त परिवार पुलिस अधिकारी से अपने दर्द की कहानी बयां करना चाह रहे थे

इन्होंने कहा

मामला मेरे संज्ञान में है। हमने तहरीर के आधार पर पहले मुकदमा कायम कर दिया था। इस मामले में काउंसलिंग के लिए तारीख भी लगाई गई थी। महिला टीबी की मरीज थी। पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।

-अलका पंवार

थाना प्रभारी, महिला थाना

गंभीर विषय है कि तीन महीने पहले मुकदमा दर्ज हो चुका है, और पुलिस ने ससुराल वालों पर कार्रवाई नहीं की है। पुलिस को इस पर एक्शन लेना चाहिए था और पीडि़ता को अच्छे उपचार के लिए दिल्ली रेफर कराना चाहिए था। पुलिस की भूमिका इस मामले में सही नहीं है।

-रामकुमार शर्मा

एडवोकेट

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प्रदेश की कानून व्यवस्था बहुत बिगड़ी हुई है। पुलिस का ससुराल पक्ष के खिलाफ एक्शन न लेना गंभीर विषय है। सही कानून व्यवस्था का दावा करने वाली पुलिस की पोल खुल गई है। यदि पहले पुलिस ध्यान देती तो आरती को बचाया जाता और आरोपियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई भी होती।

-मीनल गौतम

पूर्व उपाध्यक्ष, सीसीएस छात्रसंघ

आरती के साथ बहुत बुरा हुआ, आरती को जीते जी इंसाफ मिल सकता था, लेकिन पुलिस की भूमिका काफी खराब रही। मुकदमा दर्ज होने के बावजूद पुलिस द्वारा कार्रवाई न करना गंभीर विषय है। पहले पता होता तो उसके इलाज के लिए पैसा एकत्र करके उपचार अच्छा कराया जा सकता था। डीएम से मिलकर पीडि़ता को इंसाफ दिलाया जाएगा।

-साधना श्रीवास्तव

अध्यक्षा, मानसी संस्था