उगाए नहीं बनाए गए पेड़
ये पेड़ उगाए नहीं गए हैं, बनाए गए हैं। इनमें पत्ते नहीं हैं। इनकी सिर्फ आकृति पेड़ों की है। पश्चिमोत्तर फ्रांस में ऐसे कुछ पेड़ लगाए गए हैं। ये लगभग 26 फीट ऊंचे हैं। इसमें इलेक्ट्रोमैकेनिकल पदार्थ का उपयोग किया गया है। इसे तकनीकी भाषा में पोलीविनीलिडीन फ्लोराइड कहते हैं।

कैसे बनेगी बिजली
इस परियोजना का नेतृत्व कर रहे रियान हार्न के मुताबिक, इन पेड़ों में लगे पत्तों में ब्लेड लगे हैं जो हवा और गाडिय़ों के चलने से पैदा होने वाली काइनेटिक ऊर्जा को इनमें लगे सेंसर तक पहुंचाते हैं। ये सेंसर इन्हें बिजली की ऊर्जा में बदलते हैं। उनका कहना है कि सामान्य तौर पर इस काइनेटिक ऊर्जा का कोई उपयोग नहीं होता। इससे बिजली बनाने का यह प्रयोग सफल रहा और इसमें खर्च कम आने लगा तो बड़े-बड़े टरबाइन की जरूरत नहीं होगी।

होता कैसे है
इस तरह बिजली तैयार करने वाली टीम का कहना है कि हवा की सामान्य गति का हमें अंदाजा भी नहीं होता। जब किसी पुल से गाडिय़ों की आवाजाही होती है तो यह थरथराने लगता है। सड़क पर चलते समय कार में कंपन होता है लेकिन कार में लगे सस्पेंशन उन्हें कम कर देते हैं इसलिए यह सवारी हमें आरामदायक लगती है। इन सबको ही काइनेटिक ऊर्जा कहते हैं। इनमें से कुछ का ही बिजली बनाने में उपयोग करने का प्रयास है। पारंपरिक पवन चक्की से इनकी क्षमता लगभग दोगुनी होने का भी इस टीम का दावा है। इसकी क्षमता में हवा की गति और दिशा से भी कोई अंतर नहीं होगा।

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