- मेरठ समेत आसपास के जिलों में मेरठ की मूर्तियों की मांग बढ़ी

देसी दीपावली -----

मेरठ। दिवाली के लिए सजे-धजे बाजारों में इस बार चीन से आने वाली मूर्तियां पूरी तरह गायब हैं। जिसका फायदा मेरठ के कारीगरों को मिल रहा है। मेरठ के कारीगरों के हाथ की मेहनत से बनी मिट्टी और पीओपी की मूर्तियां मेरठ समेत आसपास के प्रदेशों में काफी पसंद की जा रही है। जिससे कारीगरों के चेहरे खिल रहे हैं। मेरठ के शिल्पकार दिल्ली से लेकर हरियाणा तक के बाजार पर पूरी तरह से हावी हो चुके हैं।

कोलकाता की कारीगरों से टक्कर

मेरठ के अलावा हर साल की तरह इस साल भी कोलकाता से आई मूर्तियां भी बाजार में बिक रही हैं। लेकिन इस बार कोलकाता से ज्यादा मेरठ के कारीगरों की डिमांड अधिक है। मूर्ति की बनावट और कलरिंग बेहतर होने के कारण लोकल मेड मूर्तियां अधिक पंसद की जा रही हैं।

मजबूत मूर्तियों की मांग

दिवाली पर मूर्तियों की खरीद पूजन और सजावट के लिए की जाती है। ऐसे में ग्राहक ऐसी मूर्तियां चाहते हैं जो मजबूत हो। जबकि चाइना की मूर्तियां कुछ दिनों में ही खराब हो जाती हैं। इस वजह से अब चीन की मूर्तियों की मांग में कमी आई है।

60 से 70 प्रतिशत मेरठ की सप्लाई

दिल्ली समेत हरियाणा, राजस्थान, पंजाब प्रदेश और नोएडा, गाजियाबाद, सहारनपुर, रुड़की, बरेली आदि शहरों के मूर्तियों के बाजार में 60 से 70 प्रतिशत पर मेरठ की मूर्तियों की बिक्री हो रही है। मेरठ देश का प्रमुख मूर्ति निर्माण का केंद्र बन गया है। मेरठ के कारीगर उतनी ही कीमत पर मूर्तियां उपलब्ध करा रहे हैं जितना व्यापारियों को चीन से आर्डर देने पर लागत आती थी। इसलिए मेरठ से मूर्तियों की डिमांड लगातार बढ़ रही है।

कोटस-

देश के प्रमुख बाजारों में ज्यादातर मेरठ की मूर्तियां बिक रही हैं। चीनी मूर्तियां पूरी तरह से गायब हो चुकी हैं। लोग सिर्फ अपने ही देश में बनी देवी-देवताओं की मूर्तियों की मांग कर रहे हैं।

- विशू, शिल्पकार

कुछ सालों पहले तक देसी मूर्तियों की डिमांड को चाइनीज ने कम कर दिया था, लेकिन इस साल देसी कारीगरों की मूर्तियों की डिमांड काफी अधिक बढ़ी है। दिल्ली सबसे अधिक डिमांड हो रही है।

- मनीष, होलसेलर

मूर्तियां बनाने में सबसे अधिक खर्च अब रंग करने में आ रहा है जिस कारण से मूर्तियों के दाम इस साल बढे़ हैं। लेकिन मूर्तियों की डिमांड भी अधिक जिसका फायदा कारीगरों को भी हो रहा है।

- संजय, मूर्ति विक्रेता