खुलेआम नियमों से खिलवाड़ कर रहे हैं टैंपो चालक

ALLAHABAD: स्कूली बच्चों की ढोने वाले डग्गामार वाहन खुलेआम मासूमों की जान से खिलवाड़ कर रहे हैं। हम बात कर रहे हैं आउट डेटेड टैंपो-टैक्सी की। सवारी ढोने पर प्रतिबंध के बाद भी यह स्कूली बच्चों को लाने ले जाने का काम कर रहे हैं। आरटीओ प्रशासन यह सब जानते हुए भी अनजान बना है। कोई कार्रवाई नही की जा रही है।

पहचान छिपाने के लिए हटा दिए नंबर

टैंपो चालक किस प्रकार नियमों की ऐसी तैसी कर मासूमों की जाने से खिलवाड़ कर रहे हैं। इसकी तस्दीक दैनिक जागरण आई नेक्स्ट रिपोर्टर ने खुद की। रियलिटी चेक के दौरान छुट्टी के मौके पर स्कूलों के आसपास खड़ी टैंपो के नंबर नदारद थे। या तो उन्हें मिटा दिया गया था या छिपाया गया था। कारण यह है कि इन डग्गामार वाहनों को आरटीए यानी रीजनल ट्रांसपोर्ट अथॉरिटी के अध्यक्ष कमिश्नर डॉ। आशीष गोयल पहले ही बैन कर चुके हैं।

इन्हें नही है सजा का खौफ

नियमानुसार प्रतिबंधित डग्गामार वाहन अवैध रूप से स्कूली बच्चों को ढोते पकड़े जाते हैं तो उनके खिलाफ जुर्माने की कार्रवाई होगी। परमिट और फिटनेस के नाम पर 8000 रुपए वसूला जाता है और परिवहन एक्ट 207 के तहत वाहन को हमेशा के लिए जब्त कर लिया जाएगा। आरटीओ विभाग के अधिकारियों को जब हकीकत से रूबरू कराया गया तो उन्होंने जल्द ही कार्रवाई किए जाने का आश्वासन भी दिया।

कौन है दोषी, पैरेंट्स या प्रशासन?

कुशीनगर में हुए हादसे के बाद सवाल यह उठता है कि मासूमों पर मंडरा रहे खतरे के दोषी कौन हैं? प्रशासन या पैरेंट्स। क्या जान बूझकर पैरेंट्स ऐसे डग्गामार वाहनों में अपने बच्चों को भेज रहे हैं। उन्हें इससे भविष्य में होने वाले खतरे का जरा भी अंदाजा नही है। या फिर अधिकारी दोषी हैं। जो इन गाडि़यों को प्रतिबंधित करने के अपने कर्तव्य का ठीक से पालन नही कर रहे हैं। कुल मिलाकर दो हजार डग्गामार टैंपो को बैन किया जा चुका है, जिनमें से 25 से 30 फीसदी चोरी छिपे अभी भी स्कूलों में बच्चों को ढोने का काम कर रही हैं।

जो वाहन प्रतिबंधित हैं उनके खिलाफ अभियान चलाकर शहर से बाहर किया जा रहा है। अब यहां केवल सीएनजी वाहन ही संचालित होंगे। इस बारे में सीधे आरटीए ने अपनी गाइड लाइन जारी की है।

सगीर अहमद अंसारी,

आरटीओ, इलाहाबाद मंडल

पूर्व में ऐसे वाहनों के खिलाफ अभियान चलाकर उन्हें जब्त किया गया था। आपने यह जानकारी दी है तो फिर से डग्गामार वाहनों की धर पकड़ की जाएगी। थोड़ा सा पैरेंट्स को अपनी जिम्मेदारी निभानी होगी।

सुरेंद्र प्रताप,

एआरटीओ प्रवर्तन, इलाहाबाद मंडल