वित्त मंत्री ने ट्वीट कर दिया आश्वासन
वित्त मंत्री ने सोशल मीडिया पर चल रही तमाम खबरों का खंडन करते हुए कहा कि नया कानून ग्राहकों के हितों को और मजबूत करेगा। साथ ही पुराने कानून में जो ग्राहकों के हितों की रक्षा का प्रवधान है उसे खत्म नहीं किया जाएगा। सरकारी बैंकों की ओर से जो भी ग्राहक हित है उसका सरकार खयाल रखती आई है और रखती रहेगी। नये कानून से किसी को घबराने की और चिंता करने की जरूरत नहीं है।


अब परमानेंट नोटबंदी की तैयारी, संसद के शीतकालीन सत्र में पेश होगा FRDI बिल-2017

पहले चली थी खबर कि FRDI बिल-2017 से होगी नोटबंदी जैसा असर
इससे पहले खबर चली थी कि सरकार अब परमानेंट नोटबंदी की तैयारी में जुट गई है। नोटबंदी और जीएसटी के बाद वित्तीय सुधारों पर की ओर मोदी सरकार अब अगला कदम उठाने जा रही है। नये कानून की जद में न सिर्फ बैंक बल्कि बचत खाता धारक सामान्य नागरिक भी आएगा। नये कानून का मसौदा संसद के शीतकालीन सत्र में पेश करने की पूरी तैयारी है। चूंकि संसद में एनडीए का बहुमत है तो इसके पारित होकर कानून बनने में भी कोई अड़चन नहीं है। ... पढ़ें पूरी खबर क्या है FRDI बिल-2017
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बताया था वित्तीय सुधारों में मील का पत्थर होगा नया कानून
सरकार का दावा है कि नये कानून आने से सरकारी और प्राइवेट दोनों तरह के बैंक, इंश्योरेंस कंपनियां और दूसरी वित्तीय संस्थानों के दीवालिया होने जैसी समस्या से रोकने मदद मिलेगी। इंश्योरेंस सेक्टर में विदेशी निवेश की मंजूरी, सरकारी बैंकों के रिकैपिटलाइजेशन और बैंकिंग में बड़े रिफॉर्म की शुरुआत होगी। इससे देश के फाइनेंशियल सेक्टर में एक ढांचा तैयार होगा जो वित्तीय सुधारों की ओर एक अहम कदम होगा।
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नोटबंदी जैसा बेल-इन! इस कानून से साइप्रस में जब्त हो गए थे बैंकों में जमा लोगों के धन
एफआरडीआई में बेल-इन का जिक्र है जो नोटबंदी जैसा ही है। इस नियम के तहत बीमार हालत में खस्ताहाल बैंकों को उबरने के लिए सरकार बेल आउट पैकेज नहीं देती है। बल्कि बैंकों को ग्राहकों की जमा पूंजी से ही अपनी माली हालत सुधारनी पड़ती है। इस कानून को बेल-इन कहते हैं। इस कानून के तहत बैंकों के पास अधिकार होता है कि वह ग्राहकों की जमा राशी को अपनी सुविधा अनुसार जब्त कर अपनी खस्ताहाल सुधारने में उपयोग कर सकती है। साइप्रस में इस तरह के कानून के तहत बैंकों ने ग्राहकों की करीब आधी जमा राशी जब्त कर ली थी।
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