आगरा। दुष्कर्म के मामले में आरोपी आसाराम बापू की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। मामले के एक गवाह कृपाल सिंह की गोली मारकर हत्या करने के बाद पूरे देश में आसाराम के आश्रमों को लेकर अधिकारी अलर्ट हो गए हैं। गोपनीय तरीके से आश्रमों की निगहबानी भी शुरू हो गई है। आगरा में सिकंदरा स्थित आसाराम का आश्रम भी इसकी जद में है। ये बात अलग है कि इस आश्रम की निगरानी इतनी आसान भी नहीं है। क्योंकि इस आश्रम से गायब होने के लिए पीछे वाले गेट से एक खुफिया रास्ता है।

हाईवे से सटा आसाराम आश्रम

थाना सिकंदरा एरिया में आसाराम का आश्रम बना हुआ है। एनएच-2 पर स्थित इस आश्रम के जाने के लिए बाकायदा एक पक्की सड़क भी अंदर गई है। तकरीबन सौ-डेढ़ मीटर अंदर का फासला पार करने के बाद आश्रम का एक प्राथमिक द्वार बना हुआ था। जिसके पिलर अब भी यहां बने हुए हैं। कुछ कदम अंदर जाकर इस आश्रम के दूसरे और तीसरे गेट भी बने हुए हैं। जहां तक पहुंचने वाले पर आश्रम में रहने वाले आसाराम के चेलों द्वारा नजर रखी जाती है। किसी भी बाहरी व्यक्ति के पहुंचने की खबर आश्रम के हर कोने में पहुंच जाती है।

चेलों के बचाव को जंगल का यूज

भविष्य में इस तरह की स्थिति पैदा हो सकती है, शायद इसका आभास आसाराम को पहले ही था। यही वजह रही कि आश्रम के पीछे की तरफ खुद आसाराम ने द्वार भी बनवाया। जिसका इस्तेमाल कर बहुत ही आसानी से कोई भी व्यक्ति चंद मिनटों में आश्रम से जंगल में ओझल हो सकता है। यही वजह है कि अगर पुलिस आश्रम के अंदर की निगहबानी करना भी चाहे तो उसके लिए यह इतना आसान काम नहीं होगा। एक बार जंगल में घुसने के बाद आसाराम के चेले कहीं से कहीं निकल सकते हैं। जंगल के अंदर के रास्ते कुछ ही किमी बाद न केवल नेशनल हाईवे के दूसरे एरिया में निकाल देते हैं, बल्कि जंगल पार कर यमुना नदी की तलहटी भी शुरू हो जाती है। नदी में कम पानी होने की स्थिति या फिर तैराक बहुत ही आसानी से नदी के दूसरे किनारे पर साफ निकल सकते हैं। ऐसे में पुलिस और प्रशासन के सामने निगाह रखने की मुश्किल चुनौती सामने आ रही है।

जंगलात के रास्ते गैर जनपद में

आसाराम आश्रम के पीछे जो जंगल सटा हुआ है, वह कोई छोटा-मोटा जंगल नहीं है। बल्कि जंगलात का एरिया कई किमी में फैला हुआ है। इस जंगल में किसी की छानबीन करना भी इतना आसान नहीं है। वजह है जंगलात के अंदर विलायती बबूल के कंटीली झाडि़यां। इसके साथ ही इस जंगली जानवरों की भरमार है। जिसकी वजह से पुलिस इस जंगल में घुसने से घबराती है। जंगल का एक किनारा नेशनल हाईवे के करीब खुलता है तो दूसरे किनारे यमुना नदी से सटे हुए हैं। जंगल के रास्ते अंदर ही अंदर और नदी पार करने के बाद तीस-चालीस मिनट में ही कोई भी आसानी से दूसरे जिले की सीमा में बहुत ही आसानी से दाखिल हो सकता है।

तहसील नाप चुकी है आश्रम

आसाराम की गिरफ्तारी के समय आसाराम के इस आश्रम की नाप-जोख भी की जा चुकी है। तहसीलकर्मियों द्वारा फीता डाला जा चुका है। फॉरेस्ट भी अपनी जमीन की सीमा का सीमांकन कर चुका है। उस समय यूपीएसआईडीसी की जमीन पर आश्रम का द्वार पाया गया था। जिसे प्रशासन ने हटवा दिया था। जंगल के अंदर दखल को लेकर फॉरेस्ट ने आश्रम से जुड़े पदाधिकारियों को चेताया था। हाल के दिनों में दुष्कर्म मामले के गवाह कृपाल सिंह की गोली मारकर हत्या कर दिए जाने के बाद एक बार फिर से आसाराम आश्रम में आने-जाने वालों की भूमिका शक के दायरे में आ गई है। जिसके बाद पुलिस प्रशासन खासा अलर्ट हो गया है। हालांकि इस मामले में बोलने के लिए कोई भी अधिकारी तैयार नहीं है।