रंगोली कंपटीशन के दौरान स्टूडेंट्स को आसाराम की सीडी देना गलत है। आसाराम आरोपी है। अगर वह खुद को बेगुनाह मानते हैं और इसकी सफाई देना चाहते है तो जनता के बीच में दें। उनकी इस सीडी से बच्चों की मन स्थिति पर विपरीत असर पड़ता है। यह उनके अधिकारों का हनन भी करती है। सीडी का यह सबसे संवेदनशील पहलू है। चाइल्ड वेलफेयर कमेटी की चेयरपर्सन कमलेश कुमारी ने इस पर गंभीर रुख अपनाया है। उनका कहना था कि ये गलत है। बच्चों को सीडी नहीं दी जानी चाहिए। सीडी देना गैरकानूनी भी है। इस तरह के मामलों पर संज्ञान लेती है। हम इस मामले को भी देखेंगे।

सीडी संवेदनहीनता की हद  

समाज में बच्चों के सामने गलत बात करना भी अपराध माना जाता हो वहां उनको रेप जैसे मामले से जुड़ी सीडी देना बच्चों के लिए किसी बम से कम नहीं है। चाइल्ड राइट्स एक्टिविस्ट और चाइल्ड वेलफेयर संस्थाओं के पदाधिकारी इस मामले में आसाराम के खिलाफ कठोर कार्रवाई की मांग कर रहे हैं।

रुक सकता है विकास

चाइल्ड वेलफेयर एक्स्पर्ट का कहना है कि सीडी में जो संवेदनशील मैटर है उसे देखने के बाद स्टूडेंट्स के मन में कई सवाल उठेंगे। इनमें से वह कुछ सवाल अपने पेरेंट्स ने शेयर नहीं कर सकेंगे। यही परेशान करने वाली बात है। ऐसे मामले  कहीं ना कहीं बच्चों का विकास तक प्रभावित कर सकते हैं। इस मामले से बच्चे मानसिक व शारीरिक रूप से कहीं ना कहीं इन्वॉल्ब हुए है। यह उनके साथ खिलवाड़ है।  

एडवोकेट्स के अनुसार सीडी

चाइल्ड राइट्स का वायलेशन है। चाइल्ड वेलफेयर कमेटी को इस पर प्रॉपर एक्शन लेना चाहिए। बाल हित की बात करने वालों को यह बात भी अखर रही है कि जिन स्कूल्स के बच्चों को सीडी दी गयी उनका मैनेजमेंट चुप क्यों है.परेंट्स को भी इस पर ऐतराज प्रकट करना चाहिए क्योंकि यह उनके बच्चों से जुड़ी घटना है। इस पर आपत्ति उठाते हुए पुलिस-प्रशासन से कंप्लेन करनी चाहिए।

आसाराम स्कूल के प्रिंसिपल ने मानी गलती  

आसाराम स्कूल के प्रिंसिपल जगदीश शर्मा ने भी सीडी बांटने को गलत बताया है। आई नेक्स्ट ने जब इस संबंध में उनसे बात की तो पहले उन्होंने सीडी बांटने के मामले से पहले अनभिज्ञता प्रकट की। लेकिन जब हमने खुद को एक बच्चे का पेरेंट बताया तो उनका कहना था कि स्कूल के बाहर किसी ने बच्चों को पकड़ा दी होगी। उनसे यह पूछा गया कि स्कूल से बाहर सड़क पर कोई आसाराम की सीडी बच्चे को क्यों देगा तो कहा कि हो सकता है स्कूल के बाहर और आश्रम के अंदर ही किसी ने सीडी दी हो। रेप के आरोपी से जुड़ी सीडी को स्कूली बच्चे को देने का सवाल खड़ा किया तो स्कूल प्रिंसिपल ने इसे गलत बताया और कहा कि बच्चों को यह नहीं देनी चाहिए थी।

संजय तोमर,

डायरेक्टर, अप्सा

जब मुझे यह पता चला कि स्कूल में सीडी बांटी गई हैं तो मैंने प्रिंसिपल को अल्टीमेटल दिया कि अगर दोबारा ऐसा कोई मामला सामने आया तो स्कूल को डीबार कर देंगे। अप्सा का रंगोली कॉम्पटीशन का वेन्यु चार महीने पहले ही डिसाइड कर दिया गया था। आसाराम का मामला तो बाद में सामने आया था।

अपनी बात रखें लेकिन कोर्ट में

आसाराम ने सीडी के जरिए जो किया है वह पूरी तरह से गलत है। यह तरीका सही नहीं है। ऐसे तो कल कोई आतंकवादी भी अपनी सफाई में सीडी जारी कर लोगों को बरगलाने लगेगा। आई नेक्स्ट के ऑफिस में सीडी देखने के बाद कानून के जानकारी की कुछ यही प्रतिक्रिया थी।

कानून की अवमानना है सीडी

पूर्व जिला जज, सिटी के सीनियर एडवोकेट्स आसाराम की सीडी को एक तरह से न्यायिक प्रक्रिया को प्रभावित करने वाला मानते हैं। मैटर पर डिस्कशन करते हुए उनका कहना था कि जब कोई मामला कोर्ट में विचाराधीन हो तो उस पर अपनी राय रखने का अधिकार किसी को नहीं है। अपना पक्ष रखने का अधिकार है। इसका भी एक तरीका है। लॉ का किसी भी रूप में मिसयूज नहीं किया जा सकता है। अगर पीडि़त पक्ष इस मामले की सीडी को कोर्ट के सामने रख देता है तो कोर्ट अवमानना मानकर कार्रवाई सकता है।