-मंडलीय हॉस्पिटल बना लावारिसों का अड्डा

-ओपीडी की गैलरी में आधा दर्जन लोग फरमाते है आराम, अधिकारी अंजान

अगर आप मंडलीय हॉस्पिटल में इलाज के लिए पहुंचे हैं और वहां ओपीडी की गैलरी कुछ लोग आराम फरमाते दिख जाए तो ज्यादा हैरान होने की जरुरत नहीं है। दरअसल ये मरीज नहीं बल्कि यहां डेरा जमाने वाले लावारिस लोग हैं। हॉस्पिटल की ओपीडी और डिस्पेंसरी से लगायत गैलरी में ऐसे एक-दो नहीं आधा दर्जन से ज्यादा लोग हैं। खाने-पीने और सोने की व्यवस्था लिए ये लोग हमेशा गैलरी के फर्श पर लेटे रहते हैं। इसमें महिलाओं की संख्या ज्यादा है। बगैर किसी रोक टोक के बीच रास्ते में सोए रहने वाले इस लावारिस लोगों की वजह से मरीजों को आने जाने में काफी दिक्कत का सामना करना पड़ता है। जिसकी हॉस्पिटल प्रबंधन को नहीं है।

कहां से आए हैं ये

गैलरी के फर्श पर डेरा जमाए ये लोग कहां से और कैसे आए हैं इसकी जानकारी किसी को नहीं है। इनसे जब इनका नाम पता पूछा गया तो इन्होंने कुछ भी कहने से इंकार कर दिया। इन्हीं में से एक ने कहा कि वे यहां इलाज कराने के लिए आए हैं। जबकि यह शख्स अक्सर यहां सोया रहता है। कर्मचारियों का कहना है कि ये लोग इलाज के नाम पर यहां आकर आराम फरमाते रहते हैं। ये न तो अपनी बीमारी के बारे में बताते और न ही पता। इसलिए इन्हें लावारिस ही माना जाता है।

नहीं पड़ती अधिकारियों की नजर

हॉस्पिटल में लावारिसों का जमावड़ा लगने का सिलसिला लंबे समय से चला आ रहा है। यहां किसी किसी तरह की कोई सुरक्षा व्यवस्था और प्रशासनिक कंट्रोल न होने के चलते यहां करीब-करीब हर जगह इस तरह के लावारिस लोग नजर आ जाते है। मर्चरी स्थित पेड़ के नीचे भी एक-दो लावारिस लोग बैठे रहते हैं। वहीं नई ओपीडी के आस-पास भी ऐसे कई लोग मरीजों से मदद मांगते फिरते हैं।

वार्ड में भी लावारिस

लावारिसों की फौज सिर्फ ओपीडी और हॉस्पिटल कैंपस तक सीमित नहीं है। हॉस्पिटल प्रबंधन की उदासीनता के चलते ऐसे लोगों का धाक वार्डो में भी है। यहां मरीज होने के नाम पर लावारिस लोग महीनों तक बेड पर पड़े रहते है। किसी का कोई अता पता न होने से इन्हें डिस्चार्ज भी नहीं किया जाता।

ऐसे लोगों को कई बार हटाया जा चुका है। सिक्योरिटी की कमी की वजह से ऐसा हो रहा है। फिर भी इन्हें यहां से हटवा दिया जाएगा।

डॉ। अरविंद सिंह, एमएस मंडलीय हॉस्पिटल