-महिला चिकित्सालय में प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान योजना गई ठंडे बस्ते में
-हर माह की 9 तारीख को लगने वाले कैंप को लेकर न अधिकारी, न ही डॉक्टर दिखा रहे दिलचस्पी
-गर्भवती महिलाओं के स्वास्थ्य को कितनी मिलेगी सुरक्षा, खड़ा हुआ सवाल
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पीएम मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट में से एक प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान योजना (पीएमएसएमए) का स्वास्थ्य पीएम के संसदीय क्षेत्र में ही खराब हो गया है। स्वास्थ्य विभाग में इस योजना की सुरक्षा नहीं की जा रही है। हर माह की 9 तारीख को इस योजना के तहत चलने वाले अभियान को लेकर न तो स्वास्थ्य अधिकारी दिलचस्पी दिखा रहे हैं और न ही डॉक्टर। ऐसे में गर्भवती महिलाओं के स्वास्थ्य को कितनी सुरक्षा मिलेगी यह कह पाना मुश्किल है। यही नहीं जिले के महिला चिकित्सालय में यह योजना ठंडे बस्ते में चली गई है। पिछले एक साल से यहां किसी भी 9 तारीख को ये अभियान नहीं चलाया गया। और जहां चल भी रहा है वहां भी सिर्फ खानापूर्ति भर की जा रही है।
जांच होनी है एक दिन, कर रहे डेली
महिला चिकित्सालय के स्वास्थ्य अधिकारियों की मानें तो पीएमएसएमए के तहत महीने में सिर्फ एक दिन स्पेशलिस्ट डॉक्टर्स से गर्भवती महिलाओं का फुल चेकअप कराना है। लेकिन राजकीय महिला चिकित्सालय में डेली सैकड़ों गर्भवती महिलाओं की जांच यहां की स्पेशलिस्ट डॉक्टर के माध्यम से होती है। इसलिए यहां इस योजना का कोई मतलब नहीं है। फिलहाल यह अभियान सीएचसी, पीएचसी व ग्रामीण क्षेत्रों में चलाया जा रहा है।
प्राइवेट डॉक्टर को होना है शामिल
अभियान को सफल बनाने और ज्यादा से ज्यादा गर्भवती महिलाओं की जांच के लिए प्राइवेट स्पेशलिस्ट चिकित्सकों की मदद लेने का फरमान है। लेकिन किसी तरह की कोई धनराशि न मिलने की वजह से प्राइवेट महिला चिकित्सक इस योजना से दूरी बना रही हैं।
जानकारी नहीं तो कैसे पहुंचे?
एक तरफ जहां इस अभियान में डॉक्टर और अधिकारी रुचि नहीं ले रहे हैं। वहंी गर्भवती महिलाएं भी अब इससे दूर होती जा रही हैं। वजह जानकारी का अभाव होना है। अभियान को लेकर कहीं कोई प्रचार प्रसार न होने से जांच के लिए आने वाली महिलाओं की संख्या बढ़ने के बजाए घट रही है।
योजना का उदे्दश्य
इस योजना का उद्देश्य गर्भवती महिलाओं को सुरक्षित शिशु और स्वस्थ जीवन प्रदान करने के साथ ही गर्भावस्था के दौरान या बच्चे को जन्म देते समय मातृ मृत्यु दर और शिशु मृत्यु दर को कम किया जा सके। योजना का लाभ सिर्फ गर्भवती महिलाएं ही उठा सकती हैं।
ये है गाइड लाइन
-जिले की ज्यादा से ज्यादा गर्भवती महिलाओं को डिलीवरी से पूर्व देखभाल की गुणवत्ता सुनिश्चित करना।
-लाभार्थियों को हर महीने की नवीं तारीख को प्रसव पूर्व देखभाल सेवाएं देना।
-यह सेवाएं शहरी व ग्रामीण क्षेत्रों में पीएचसी, सीएचसी, डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल व शहरी स्वास्थ्य केंद्रों पर उपलब्ध कराना है।
-जांच के दौरान हाई रिस्क प्रेगनेंसी को आईडेंटीफाई करना है ताकि मातृ व शिशु मृत्यु दर को कम किया जा सके।
यहां ज्यादातर रेफरल केस आते हैं। यह अभियान ग्रामीण क्षेत्रों की उन महिलाओं के लिए है जो स्वास्थ्य केन्द्र तक नहीं पहुंच पाती हैं। यहां रोज ही सैकड़ों प्रेगनेंट वूमेन की जांच होती है। इसलिए अभियान की जरूरत नहीं।
डॉ। आरपी कुशवाहा, एसआईसी, महिला चिकित्सालय
ऐसा नहीं है कि अभियान नहीं चलाया जा रहा है। महिला चिकित्सालय में यह अभियान चलाना उतना जरूरी नहीं है। स्वास्थ्य केन्द्रों में हर माह कैंप लगता है। जो भी खामी है उसे दूर किया जाएगा।
संतोष सिंह, डीपीएम, एनएचएम
एक नजर
800 से 900
महिलाओं का पूरे जिले में हर माह होता है चेकअप
30
पीएचसी हैं जिले में
10
सीएचसी हैं जिले में