- घंटों बाद दूर हो रहा फॉल्ट, ट्रांसफार्मर बदलने में भी आ रही दुस्वारियां

-संसाधन एवं सुरक्षा की मांग पर अड़े जूनियर इंजीनियर

राज्य विद्युत परिषद जूनियर इंजीनियर संगठन उप्र। के आहृवान पर मांगों को लेकर बनारस के जूनियर इंजीनियर्स का चल रहा आंदोलन अब बिजली उपभोक्ताओं पर भारी पड़ रहा है। पिछले करीब से 10 दिन लगातार मांग पूरी करवाने पर अड़े जूनियर इंजीनियर्स की समस्याओं की सुनवाई तो नहीं हो रही, लेकिन इनके बगैर बिजली समस्या दूर न होने से उपभोक्ता बेहाल जरूर हो रहे है। जिसकी फिक्र न तो न यूपीपीसीएल के शीर्ष अधिकारियों को है और न सरकार को जिन्होंने जनता को 24 घंटे बिजली देने का वादा किया है।

शाम 5 बजे के बाद काम बंद

इन दिनों पूर्वाचल विद्युत वितरण निगम के समस्त जेई शाम 5 बजे से सुबह 10 बजे तक के लिए काम ठप कर दे रहे है। इस 17 घंटे के बीच अगर कही कोई समस्या या कोई बड़ा फॉल्ट आ रहा है तो वह काम अगले दिन के लिए टल जा रहा है। यही नहीं 5 बजे के बाद सभी जेई मोबाइल तक बंद कर दे रहे है ताकि किसी भी अधिकारी या उपभोक्ताओं से शिकायत संबंधी कोई बात न हो सके।

15 घंटे में दूर हो रहा फाल्ट

जूनियर इंजीनियर्स के आंदालन का खामियाजा सीधे तौर पर बिजली उपभोक्ताओं को उठाना पड़ रहा है। शहर में जहां कही भी बिजली संबंधित कोई समस्या आ रही है उसे दूर करने में घंटों लग रहे है। सबसे खराब हालत ग्रामीण क्षेत्रों की है। शहर में जहां फॉल्ट दूर होने में आठ से 10 घंटे लग रहे है। वहीं ग्रामीण क्षेत्रों में 15 से 17 घंटे लग रहे है। यही नहीं अगर किसी क्षेत्र में ट्रांसफार्मर खराब या जल जाता है तो वहां एक से दो दिन बाद ही बिजली आ रही है। इस दौरान उपभोक्ता अंधेरे में ही रात गुजार रहे है।

भूख हड़ताल के बाद भी नहीं सुनी

संगठन पदाधिकारियों की मानें तो प्रदेश भर में चल रहे इस आंदोलन को के तहत यूपीपीसीएल के शीर्ष अधिकारियों का ध्यानाकर्षण के लिए संगठन द्वारा 48 घंटे का सामूहिक भूख हड़ताल किया गया, लेकिन अधिकारी टस से मस नहीं हुए। अब दो अक्टूबर को भीखारीपुर स्थित एमडी कार्यालय पर फिर से भूख हड़ताल होगा। जिसमें पूरे पूर्वाचल के करीब एक हजार जेई एवं एसडीओ शामिल होंगे। तब भी बात नहीं सुनी गई तो अनिश्चितकालिन हड़ताल आरंभ हो जाएगा।

मानसिक दबाव में अभियंता

अभियंताओं की मानें तो 95 फीसदी से भी अधिक विद्युत चोरी में एफआईआर अवर अभियन्ताओं द्वारा दर्ज कराई जाती है, बिजली चोरी रोकने, लाइन लास को कम करने के लिए रेड अभियान में उच्च अधिकारियों के मौजूद होने के बाद भी चोरों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराकर सफल बनाने की जिम्मेदारी भी उन्हीं पर दे दी गई है। इसके अलावा ऑन लाइन शिकायतों का निस्तारण, मीटर स्थापित करवाना, सौभाग्य योजना के अंतर्गत कनेक्शन निर्गत करने आदि की जिम्मेदारियां भी अवर अभियन्ताओं के ऊपर बिना पर्याप्त संसाधन के डाल दी गयी है, जिससे वी मानसिक व शारीरिक दबाब में कार्य करने को मजबूर है।

ये है मांग

कॉरपोरेशन में संसाधनों की कमी दूर करना

-अवर अभियंता के 1800 पदों को भरना

-राजस्व वसूली का दबाब दूर करना

-परिवर्तकों को समय पर बदलवाना

एक नजर

95

हजार जेई है जिले में

25

एसडीओ है जिले में