-प्रदेश के कई जिलों में डिप्थीरिया से बच्चों की हो चुकी है मौत

- बनारस सहित प्रदेश के सभी जिलों को किया गया है अलर्ट

पश्चिमी उत्तर प्रदेश के कई जिलो में डिप्थीरिया (गलघोटू) से होने वाली मौतों की रिपोर्ट के आने के बाद रेपिड रेस्पोंसेस (आर.आर.टी.) टीमों को अलर्ट कर दिया गया है। इसके साथ ही आवश्यक दवाओं और टीके की उपलब्धता भी सुनिश्चित की गयी है। अधिकारियों की मानें तो पश्चिमी उत्तर प्रदेश में यह बीमारी तेजी से फैली है। यदि बच्चों में सांस लेने में कठिनाई, गर्दन में सूजन, त्वचा का रंग नीला एवं बुखार के लक्षण दिखते हैं तो उसे तत्काल हॉस्पिटल ले जाएं।

206 संभावित में डिप्थीरिया के लक्षण

राष्ट्रीय वेक्टर जनित रोग नियंत्रण कार्यक्रम के निदेशक डॉ। मिथलेश चतुर्वेदी के मुताबिक़ स्वास्थ्य विभाग और विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा एक व्यापक टीकाकरण अभियान चलाया जा रहा है, मामलों की पहचान करने और तत्काल इलाज कर उन्हें दूर करने के तुरंत प्रयास किये जा रहे हैं। डॉ। चतुर्वेदी ने कहा कि जिलों के मुख्य चिकित्सा अधिकारियों को बीमारी के खिलाफ सतर्क कर दैनिक रिपोर्ट भेजने के लिए कहा गया है। स्वास्थ्य अधिकारियों के मुताबिक एक अक्टूबर से इन जिलों में एक सर्च अभियान शुरू किया गया था, जिसके दौरान 206 संभावित लोगों मे डिप्थीरिया के लक्षणों की पहचान की गई थी। उनके थ्रोट स्वेब एकत्रित किये गये, जिनमें से 62 रोगियों के धनात्मक नमूने पाए गए।

न हुआ इलाज तो हो सकती है मौत

डॉ। चतुर्वेदी ने कहा कि सात साल से कम उम्र के सभी बच्चों का टीकाकरण करने के लिए एक अभियान शुरू किया गया है। जिला प्रतिरक्षण अधिकारी डॉ। बीएस राय ने बताया कि डिप्थीरिया एक संक्त्रामक बीमारी है जो जीवाणु कोरिनेबैक्टीरियम डिप्थीरि के कारण होती है। यह मुख्य रूप से गले और ऊपरी वायुमार्ग को संक्रमित करती है, और अन्य अंगों को प्रभावित करने वाले टोक्सिन यानि जहर को उत्पन्न करती है। यदि इसका समय से इलाज न किया गया तो बच्चे की मौत भी हो सकती है।

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डिप्थीरिया के लक्षण

-इस बीमारी के लक्षण संक्त्रमण फैलने के दो से पांच दिनों में दिखाई देते हैं

-डिफ्थीरिया होने पर सांस लेने में कठिनाई होती है

-गर्दन में सूजन हो सकती है, यह लिम्फ नोड्स भी हो सकता है

-बच्चे को ठंड लगती है, लेकिन यह कोल्ड से अलग होता है

-संक्रमण फैलने के बाद हमेशा बुखार रहता है।

डिप्थीरिया से बचाव

-वैक्सीनेशन से बच्चे को डिप्थीरिया बीमारी से बचाया जा सकता है। -नियमित टीकाकरण में पेंटावेलेंट्स के संयुक्त टीके में डीपीटी के लगाये जाते है।

-बच्चे को छठवें, 10वें और 14वें सप्ताह में टीकाकरण किया जाता है

-16 से 24 माह पर डी.पी.टी। का पहला बूस्टर और 5 साल में दूसरा बूस्टर लगाया जाता है।

-गंभीर परिस्थिति में बच्चे को एंटी-टोक्सिन भी दिया जाता है।

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पश्चिमी उत्तर प्रदेश में आए मामलों को देखते हुए बनारस समेत समस्त जिलों के अधिकारियों को बीमारी के खिलाफ सतर्क करने के साथ डेली रिपोर्ट भेजने के लिए कहा गया है।

डॉ। मिथलेश चतुर्वेदी, निदेशक, राष्ट्रीय वेक्टर जनित रोग नियंत्रण कार्यक्रम