-आम लोग ही नहीं चाहते साफ हो कचरा, सफाई के लिए 1.60 पैसा देने लोगों के छूट रहे पसीने

-कार्यदाई संस्था को डोर टू डोर कूड़ा कलेक्शन का नहीं मिल रहा दाम

स्मार्ट सिटी बनारस के गली मुहल्लों में फैल रहने वाले कूड़े-कचड़े के लिए हर बार दोषी नगर निगम को ही माना जाता है, लेकिन हकीकत में ऐसा है नहीं। सफाई के बाद भी घरों के बाहर होनी वाली गंदगी के लिए जिम्मेदार शहर के लोग ही खुद है। ऐसा इसलिए कि लोगों को साफ-सफाई भी फ्री में चाहिए। नगर निगम ने मुहल्लों में साफ-सफाई व्यवस्था बनाएं रखने की जिम्मेदारी शहर की दो प्राइवेट एजेंसी को दे रखी। ये एजेंसियां सिटी के आधे से ज्यादा वार्डो में सुबह-शाम झाड़ू लगवाने का काम करती है। यही नहीं पब्लिक प्लेस पर कचरा जमा न हो, इसलिए इन एजेंसियों को 50 रूपए प्रति माह की दर से डोर टू डोर कूड़ा कलेक्शन करने की जिम्मेदारी भी दी गई है। लेकिन अफसोस कि लोग कर्मचारियों को कूड़ा तो दे रहे है, लेकिन जब पैसे देने की बारी आती है तो पीछे हट जाते है। यही वजह है कि शहर को कचरे से मुक्ति नहंी मिल पा रही।

1.60 रुपए देने में छूट रहे पसीने

अधिकारियों का कहना हैं कि नगर निगम के कर्मचारी डेली सुबह शाम झाड़ू लगाने के साथ ही कूड़ा मुहल्लों से उठाने का काम करते है, लेकिन एरिया के लोग कूड़ा उठने के बाद तक घरों से कचरा लाकर फेंकते रहते है। जिसके चलते वहां हर वक्त कूड़ा जमा रहने की शिकायत मिलती रहती है। इस समस्या को खत्म करने के लिए निगम ने एजेंसी के माध्यम से डोर टू डोर कचरा कलेक्शन की शुरुआत की। घर से कूड़ा उठाने के लिए 50 रूपए प्रति माह का किराया लिया जाता है। मतलब डेली का 1.60 पैसा, लेकिन इसमें भी लोगों के पसीने छूट रहे है।

सिर्फ 15 हजार घर ही दे रहे है पैसा

शहर के 29 वार्ड में कूड़ा कलेक्शन और साफ-सफाई करने वाली एजेंसी कियाना की माने तो बनारस के लोगों को हर सुविधा मुफ्त में लेने की आदत पड़ गई है। वर्तमान में एजेंसी इन वाडर््स के 35 हजार घरों से कूड़ा कलेक्शन का काम कर रही है, लेकिन इसमें सिर्फ 15 हजार घरों से ही पैसा मिल पा रहा है। एजेंसी का नाम न खराब हो, इसलिए जहां से पैसा नहंी मिलता वहां भी सफाई व्यवस्था दुरुस्त रखी जाती है।

एजेंसी को हो रहा लॉस

नगर निगम की कार्यदाई संस्था कियाना सॉल्यूशन के सीईओ शरद वर्मा का कहना है कि शहर के 35 में से सिर्फ 15 हजार घरों से ही पैसा मिलने से एजेंसी को हर माह करीब 10 लाख का नुकसान हो रहा है। लेकिन फिर भी किसी तरह से मैनेज कर कर्मचारियों को सैलरी दी जा रही है। उनका कहना हैं कि अगर किसी एरिया में 200 घरों से कचरा कलेक्ट होता है और उसमें 150 लोग पैसा देते है 50 नहीं, फिर भी उनका कचरा कलेक्ट करवाया जाता है, ताकि उस एरिया के अन्य लोगों को दिक्कत न आए, लेकिन जहां कोई भी पैसा नहंी देता वहां कचरा कलेक्ट न करना मजबूरी है।

दूसरी एजेंसी का काम पूअर

वहीं आईएल एंड एफएस के साथ भी कचरा कलेक्शन के पैसे न मिलने की समस्या है। हालांकि इस एजेंसी का काम उतना संतोषजनक नहीं है जितना कि अन्य का। इसके कर्मचारियों का आरोप है कि यह एजेंसी उन्हे समय पर सैलरी नहीं देती है।

नगर निगम ने उन्हे जिन वार्डो में साफ-सफाई की जिम्मेदारी दी है, उन्हे निभाया जा रहा है, लेकिन डूर टू डोर कूड़ा कलेक्शन के लिए लोगों को 50 रूपए महीने देने में पसीने छूठ रहे है। इससे एजेंसी को काफी लॉस हो रहा है। अगर शासन कोई व्यवस्था करें तो यह समस्या दूर हो सकती है।

शरद वर्मा, सीईओ, कियाना सॉल्यूशन

यह सही है कि कूड़ा कलेक्शन के लिए लोगों को 50 रूपए महीने देने में तकलीफ होती है। अगर कोई आपके घर से कूड़ा लेकर जा रहा है, तो उसे पैसा तो देना ही होगा। इसी पैसे उनकी सैलरी बनती है।

डॉ। एके दूबे, स्वास्थ्य अधिकारी, नगर निगम

एक नजर

90

वार्ड है नगर निगम क्षेत्र में

29

वार्ड में कूड़ा उठाने और सफाई की जिम्मेदारी कियाना को दी गई है

23

वार्ड में कूड़ा उठाने और सफाई की जिम्मेदारी आईएल एंड एफएस को

38

वार्ड में नगर निगम खुद खुद कराता है सफाई

35

हजार घरों से कूड़ा कलेक्शन करता है कियाना

15

हजार घरों से ही मिलता है 50 रूपए महीना