लुटेरों से सरेराह भिड़ गई थी विकास नगर की आशा

-पर्स लूटकर भाग रहे बदमाशों से संघर्ष में हुई थी घायल

-पुलिस की बेरुखी, मौत के बाद दर्ज की एफआईआर

LUCKNOW : लुटेरों को सरेराह नाको-चने चबवाने वाली आशा की जिंदगी ने छह दिन तक चली जंग के बाद हार मान ली। सोमवार को ट्रामा सेंटर में आशा ने आखिरी सांस ली। बहादुरी और जज्बे की मिसाल बनी आशा के इस संघर्ष में राजधानी पुलिस का संवेदहीन चेहरा एक बार फिर उजागर हुआ। आलम यह कि छह दिनों तक पुलिस ने एफआईआर दर्ज करने की जहमत नहीं उठाई, मौत की खबर मिलते ही अपनी गर्दन बचाने के लिए घर जाकर छोटी बेटी से तहरीर लिखाई और एफआईआर दर्ज करा ली।

बेटी के साथ जा रही थीं

विकासनगर के सेक्टर 8 में रहने वाली आशा चौहान (59) वन विभाग में प्रशासनिक अधिकारी के पद पर कार्यरत थीं। जबकि, उनके पति मुन्नाधारी चौहान केबल टीवी का व्यवसाय करते हैं। बीती 6 फरवरी की शाम आशा अपनी 22 साल की बेटी रूपांशी के साथ स्कूटी से एक शादी समारोह में शामिल होने के लिये महानगर स्थित कुंती कन्हैया कुटीर मैरेज लॉन जा रही थीं। जब वे दोनों महानगर स्थित क्लासिक चौराहा पहुंची, तभी पीछे से वहां आ पहुंचे बाइकसवार बदमाशों ने झपट्टा मारकर आशा के हाथ में मौजूद पर्स लूटने की कोशिश की। पर, आशा ने बहादुरी का परिचय देते हुए पर्स नहीं छोड़ा। पहली कोशिश में नाकाम रहने पर बदमाशों ने एक बार फिर झपट्टा मारा। इस बार भी आशा ने पर्स नहीं छोड़ा लेकिन, इस छीनाझपटी में रुपांशी ने स्कूटी पर से नियंत्रण खो दिया और मां-बेटी स्कूटी समेत रोड पर गिर पड़ीं। उन्हें जमीन पर गिरता देख बदमाश वहां से फरार हो गए। चलती स्कूटी से गिरी आशा के पैर की हड्डी टूटकर बाहर निकल आई। रुपांशी ने फौरन पुलिस कंट्रोल रूम को कॉल कर घटना की सूचना दी। लेकिन, एक भी पुलिसकर्मी वहां नहीं पहुंचा। काफी देर तक आशा वहीं रोड पर पड़ी तड़पती रहीं। उनकी हालत देख शॉपिंग करने आए डॉक्टर अमित ने उन्हे अपनी कार से आनन-फानन ट्रॉमा सेंटर पहुंचाया। जहां रविवार रात उनकी मौत हो गई।

संवेदनहीन बनी रही पुलिस

बेटी रुपांशी ने बताया कि घटना के फौरन बाद उसने पुलिस कंट्रोल रूम को कॉल किया लेकिन, कोई मदद नहीं मिली। निशातगंज पुल के पास खड़ी पुलिस जीप को देख रुपांशी वहां पहुंची और पुलिसकर्मियों को पूरी घटना बताई लेकिन, उन्होंने भी उसे टरका दिया। रुपांशी ने बताया कि उनकी मां के हॉस्पिटल में एडमिट होने के बाद भी कोई पुलिसकर्मी उनके पास नहीं पहुंचा। पर, रविवार रात मां आशा की मौत होने के खबर मिलने के बाद पुलिसकर्मी सोमवार सुबह उनके घर पहुंचे और उनसे पूरे घटनाक्रम पर तहरीर मांगी। रुपांशी ने बताया कि उसने अंग्रेजी में तहरीर लिखकर दी लेकिन, घर पहुंचे दारोगा ने हिंदी में तहरीर लिखने को कहा। इसी बीच रुपांशी के पास मच्र्युरी से उनके चाचा का फोन पहुंचा। उन्होंने बताया कि वे लोग डेडबॉडी लेकर आ रहे हैं। यह सुनते ही पुलिसकर्मी अंग्रेजी की तहरीर लेकर वहां से रफूचक्कर हो गए। रुपांशी ने बताया कि मामले की जानकारी होने के बावजूद पुलिस ने बदमाशों की पहचान करना तो दूर एफआईआर तक नहीं दर्ज की।