-उत्तराखंड की आशा कार्यकर्ताओं ने किया सरकार का विरोध

-थाली और चम्मच बजाकर केंद्र और प्रदेश सरकार के विरोध में दिखाया आक्रोश

DEHRADUN: विश्व महिला दिवस के अवसर पर स्वास्थ्य सेवाओं से जुड़ी महिलाओं ने सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। उत्तराखंड आशा स्वास्थ्य कार्यकत्री यूनियन के बैनर तले सरकार से निराश आशा ने सड़क पर उतरकर विरोध प्रदर्शित कर अपने अधिकार की मांग उठाई। महिलाओं ने कहा कि सीएम द्वारा आशाओं को 800 रुपये सालाना देने की जो घोषणा की है, यह आशाओं का अपमान है।

हाथों में प्लेट और चम्मच

आशा कार्यकर्ता मंगलवार को दून के परेड ग्राउंड में एकत्रित हुईं। यहां से बैनर, झंडे लेकर जुलूस भी निकाला। आशाओं के हाथ में प्लेट और चम्मच थी। परेड ग्राउंड से सीएम आवास की ओर कूच करनी आशा कार्यकर्ताओं को कनक चौक पर पुलिस ने बैरीकेडिंग कर रोक लिया। रोके जाने के दौरान पुलिस से आशाओं की झड़ भी हुई। विरोध स्वरूप आशा कार्यकत्री सड़क पर ही धरना-प्रदर्शन पर बैठ गईं। गुरुवार को सीएम से मुलाकात के बाद ही आशाओं ने ज्ञापन पत्र एसीएम को सौंपा। सीटू की ओर से घोषणा की गयी है कि कल सीएम से मिलने के बाद भी अगर मांग नहीं मानी गयी तो क्0 मार्च को सीटू के बैनर तले सभी ट्रेड यूनियंस एकत्रित होकर विरोध करने के लिए सड़क पर उतरेंगी।

ये हैं मांगें

-आशा कार्यकर्ता के कार्य को प्राइवेट हाथों (एनजीओ) को नहीं दिया जाए।

-अन्य स्कीम वर्करों की भांति आशाओं को भी न्यूनतम वेतन-मानदेय दिया जाए।

-सन ख्0क्ख्, ख्0क्फ् और क्भ्, तीनों सालों की पांच हजार रुपये सालाना के हिसाब से प्रोत्साहन राशि का भुगतान किया जाए।

-सीएम द्वारा आशाओं को 800 रुपये सालाना देने की घोषणा की गयी है, यह आशाओं का अपमान है। जबकि बंगाल, केरल में प्रतिमाह मानदेय दिया जा रहा है।

-ब्भ्वें श्रम सम्मेलन के फैसले के अनुसार आशा कार्यकर्ता को कर्मकार घोषित किया जाए।