बीएचयू में इंटरनेशनल समिट ऑन पीस एण्ड हारमोनी में बोले आध्यात्मिक गुरु श्रीएम

यूएन के जनरल सेक्रेटरी के विशेष सलाहकार, बीएचयू के चांसलर डॉ कर्ण सिंह भी हुए शामिल

VARANASI

आज धर्म के नाम पर जो दंगे आदि हो रहे हैं उसकी वजह राजनीतिक महत्वाकांक्षा है। राजनीति के लिए जानबूझ कर आग भड़काई जाती है। कोई धर्म या संप्रदाय ऐसा करने की इजाजत नहीं देता। कुछ लोग देश को जाति व धर्म के नाम पर बांटने की कोशिश में लगे रहते हैं। पर वह धर्म की नहीं राजनीति की लड़ाई कर रहे हैं। यह बातें रविवार को आध्यात्मिक गुरु श्रीएम ने बीएचयू के स्वतंत्रता भवन में कही। वह इंटरनेशनल समिट ऑन पीस एंड हारमोनी में बतौर चीफ गेस्ट बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि लोगों ने धर्म का अर्थ अलग अलग लिया है। पर वास्तविक अर्थ से सभी दूर हैं। धर्म किसी एक व्यक्ति के लिए अलग और दूसरे के लिए अलग नहीं हो सकता।

पूरी दुनिया मान रही भारत का लोहा

समिट के उद्घाटन उद्बोधन में बीएचयू के चांसलर व प्रख्यात विद्वान डॉ। कर्ण सिंह ने कहा कि भारत ही एक ऐसा देश हैं जहां विभिन्न धर्मो, जातियों, संप्रदाय के लोग एक साथ रहते हैं। वहीं ऐसे भी देश हैं जहां धर्म के नाम पर लोगों के गले काटे जा रहे हैं। भारत की व्यवस्था पूरे विश्व में एक उदाहरण है। जिसका लोहा सभी मान रहे हैं। उन्होंने कहा कि नवीनतम ज्ञान ही विज्ञान है। इसके बावजूद अपनी प्राचीनता को भूलना घातक होगा। इस लिए जरूरी है कि यहां की प्राचीन संस्कृतियों को साथ में लेकर नवीन बनें।

भारत दिखायेगा रास्ता

संयुक्त राष्ट्र महासचिव के विशेष सलाहकार आडमा डिऐंग ने राजनितिक एवं सामाजिक अस्थिरता को हिंसा का सबसे प्रधान कारण बताया। उन्होंने भारत को विभिन्नताओं सहजीविता के एक महान आख्यान का देश बताते हुए यह कहा कि शांति की कोई भी भविष्य मार्गदर्शिका भरत से होकर ही जाएगी। मानवधिकारों के सम्मान और धर्मो के बीच आपसी संवाद के बिना यह संभव नही है। उन्होंने अपने भाषण की शुरुआत शांति, सलाम और अंत सुखिनो भवंतु एवं धन्यवाद से की।

समाज में संतुलन है जरूरी

अध्यक्षता करते हुए बीएचयू के वीसी प्रो गिरीश चंद्र त्रिपाठी ने कहा कि समाज 'लेने वाले' और 'देने वाले' के बीच संतुलन से चलता है, जिसे किसी भी कीमत पर नहीं तोड़ा जाना चाहिए। कार्यक्रम में बतौर गेस्ट ऑफ ऑनर अमेरिका के मैन विश्वविद्यालय के प्रो। डगलस एलेन ने गांधी के संघर्ष निवारण तकनीकाें को शांति का स्थायी उपाय बताया। पूर्व राजदूत अशोक सज्जनहार ने अपने विचार व्यक्त किये। यूनेस्को चेयर प्रोफेसर प्रियंकर उपाध्याय ने अतिथियों का स्वागत और रीना बराल ने संचालन किया। इस मौके पर रजिस्ट्रार डॉ। केपी उपाध्याय, प्रो। आरपी सिंह, प्रो। ओके पांडेय, प्रो। एम साहू, प्रो। धनंजय पांडेय, आदि उपस्थित थे।