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MEERUT : वर्ल्ड कप से लेकर कॉमनवेल्थ और अब एशियन गेम्स में शूटिंग प्रतियोगिताओं में अपना परचम लहराने वाले मेरठ के शूटर्स की संख्या हर साल बढ़ती जा रहा है। एक समय में अमीरों का खेल माने जाने वाली शूटिंग में अब गांव-देहात के गरीब परिवारों की प्रतिभाएं भी उभरकर सामने आ रही हैं। इसी का ताजा उदाहरण हैं मेरठ के रवि कुमार और सौरभ चौधरी। ये दोनों ही खिलाड़ी गांव में मामूली किसान परिवार से जुड़े होने के बाद भी आज एशियन गेम्स में ना सिर्फ भारत का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं बल्कि गोल्ड जीत रहे हैं।


प्राइवेट रेंज तक सीमित शूटिंग
शूटिंग प्रेक्टिस के लिए सुविधाओं या कोचिंग की बात करें तो मेरठ में कैलाश प्रकाश स्पोट्र्स स्टेडियम में शूटिंग केवल बेसिक कोचिंग तक सीमित है। आधुनिक मशीनरी ना होने के कारण अधिकतर खिलाड़ी एडवांस ट्रेनिंग के लिए दिल्ली या निजी शूटिंग रेंज का रुख कर लेते हैं।


मेरठ की प्रमुख रेंज
मेरठ में कई प्रमुख प्राइवेट शूटिंग रेंज हैं, जिनसे हर साल शूटिंग के अच्छे खिलाड़ी निकल रहे हैं।
* द्रोणाचार्य * एकलव्य * स्टार शूटिंग रेंज * करन पब्लिक स्कूल * पिन पाइंट शूटिंग रेंज


इन खिलाडिय़ों ने नाम किया रोशन

* मो. असद * रवि कुमार * शपथ भारद्वाज * शार्दुल विहान * अभिनव प्रताप * शहजर रिजवी


शूटिंग के लिए एयर राइफल काफी महंगी आती है इसलिए यह गेम हर किसी खिलाड़ी के बजट में नही है। ऐसे में स्टेडियम में पुरानी गन से प्रैक्टिस करना मजबूरी है।
अभिनव चौहान

खिलाड़ी अपने स्तर पर यदि पैसा खर्च कर महंगी पिस्टल या गन खरीद सकता है तो उसके लिए इस खेल में बेहतरीन विकल्प हैं। बाकि निजी रेंज की फीस भी अधिक है।
उत्कर्ष चौधरी

स्टेडियम में कोचिंग अच्छी है लेकिन संसाधनों का अभाव है। ऐसे में खिलाडिय़ों को खुद की पिस्टल या गन खरीदना पड़ती है या फिर निजी कोचिंग में सीख सकते हैं।
अंकित

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