500 डॉलर फीस के भुगतान संग कराया विरोध दर्ज
भारतीय मुक्केबाजी दल ने 500 डॉलर की फीस के भुगतान के साथ विरोध दर्ज कराया है. अगर समीक्षा में शुरुआती फैसले को सही पाया जाता है तो यह फीस वापिस नहीं होगी. दल के एक सदस्य ने कहा कि फैसले के खिलाफ विरोध दर्ज कराया गया है. भारत की 32 वर्षीय मुक्केबाज सरिता को रिंग के बाहर इस फैसले के खिलाफ विरोध करते हुए देखा गया, क्योंकि उन्होंने पहले राउंड में पार्क का डटकर सामना किया और इसके बाद वह अधिक आक्रामक हो गईं थीं और उन्होंने उनको कई सटीक पंच भी जड़े थे. पूर्व एशियाई चैंपियन सरिता को आखिर में हालांकि निराशा ही हाथ लगी, क्योंकि मुकाबले में अधिकतर समय बैकफुट पर रही पार्क को जजों ने आखिरकार विजेता घोषित कर दिया था.

पार्क को उतरना पड़ा था बचाव में
भारतीय खिलाड़ी इतनी आक्रामकता से सटीक घूंसे जड़ रही थी कि पार्क को अपने बचाव में उतरना पड़ा. विरोधी मुक्केबाज की नाक से खून भी निकलने लगा था. सरिता का शानदार खेल जजों को प्रभावित नहीं कर पाया जिन्होंने तीसरे और चौथे राउंड में दक्षिण कोरियाई को विजेता घोषित किया, जबकि वह भारतीय खिलाड़ी के लगातार घूंसों से जूझ रही थी.

सरिता को मिला कोच और मैरीकॉम का समर्थन
सरिता को इस बीच लंबे समय से भारत के क्यूबाई कोच बी आई फर्नांडिस और फाइनल में जगह बनाने वाली साथी मुक्केबाज एमसी मैरीकोम का समर्थन मिला है. फर्नांडिस ने कहा है कि यह सब पूर्व निर्धारित था. 3-0 के फैसले से साफ जाहिर हो जाता है. रिंग में जो कुछ हुआ उसे देखकर मुकाबला बीच में रोक देना चाहिए था. फर्नाडिस ने कहा कि सरिता स्पष्ट विजेता थी, लेकिन यहां पैसे का बोलबाला चल रहा है. इन जजों को उठाकर बाहर फेंक देना चाहिए. इससे पहले 1988 में सोल ओलंपिक के दौरान भी ऐसा हुआ और अब फिर ऐसा हो रहा है. लगता है कि कुछ भी नहीं बदला है. नये नियमों से भी कोई अंतर पैदा नहीं हुआ. मैरीकोम ने भी इसपर निराशा जताई है. उन्होंने कहा कि मैं सकते में हूं और निराश भी हूं. साफ दिख रहा था कि सरिता विजेता है. ऐसा नहीं होना चाहिए था.

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