मेडिकल पत्रिका 'लैंसेट' में प्रकाशित इस शोध के मुताबिक जिन लोगों को अनुवांशिक रुप से कैंसर का ख़तरा अधिक था उनमें एसप्रिन के ज़रिए आंत के कैंसर का ख़तरा 60 फ़ीसदी तक कम हो गया।

दुनियाभर में कई डॉक्टर हृदयाघात से बचाव के लिए नियमित रुप से एसप्रिन खाने की सलाह देते हैं। एसप्रिन खून के बहाव को नियंत्रित करती हैं। हालांकि इस दवा के नियमित सेवन के चलते कुछ विपरीत परिणाम भी सामने आए हैं।

'सटीक और उत्साहजनक नतीजे'

इस शोध पर काम करने वाले वैज्ञानिक दल के प्रमुख और न्यूकैसेल विश्वविद्यालय में प्रोफेसर सर जॉन बर्न के मुताबिक, 'शोध के नतीजे सटीक और बेहद उत्साहजनक जान पड़ते हैं.'

इस संबंध में पहले आ चुके शोध नतीजों का हवाला देते हुए अन्य वैज्ञानिकों का कहना है कि एक बार फिर इस धारणा को बल मिला कि कैंसर का कारगर दवा खोजने और उससे लड़ने की क्षमता विकसित करने में एसप्रिन महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है।

861 मरीज़ों पर किए गए इस शोध में सामने आया कि जिन मरीज़ों को नियमित रुप से एसप्रिन दी गई उनमें सामान्य मरीज़ों की 34 की संख्या के मुकाबले 19 ट्यूमर ही पैदा हुए। वैज्ञानिकों का मानना है कि एसप्रिन आंत ही नहीं बल्कि कोख और पेट के कैंसर में भी कारगर साबित हो सकती है।

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