आंतरिक सुरक्षा पर मुख्यमंत्रियों की एक बैठक को दिल्ली में संबोधित करते हुए पी चिदंबरम ने कहा कि आंतरिक सुरक्षा को सबसे विकट खतरा वामपंथी चरमपंथ से है और शासन की सुरक्षा व्यवस्था इस खतरे से निपटने के लिए पूरी तरह तैयार नहीं है।

उन्होंने कहा, "राज्यों में पुलिस फोर्स और पुलिस स्टेशनों की भारी कमी है, हथियार नहीं है, सड़के जर्जर स्थिति में हैं और केंद्र और राज्यों ने मिलकर नक्सल प्रभावित क्षेत्रों के लिए जो विशेष विकास योजना तैयार की थी वो उन क्षेत्रों में प्रशासनिक व्यवस्था की कम मौजूदगी या गैर मौजूदगी की वजह से लागू नहीं हो पा रही है."

गृह मंत्री ने केंद्र की ओर से दी जानेवाली कई तरह की आर्थिक मदद की राशि पूरी तरह से खर्च न हो पाने का उदाहरण दिया और राज्यों से आग्रह किया कि वो पूरी तरह से इनका इस्तेमाल करें ताकि वो वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी से इसे बढ़ाने की मांग कर सकें।

वामपंथी चरमपंथ

बैठक में पी चिदंबरम के अलावा प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और केंद्रीय वित्तमंत्री प्रणव मुखर्जी और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बर्नजी को छोड़कर लगभग सभी राज्यों के मुख्यमंत्री मौजूद थे।

मनमोहन सिहं ने कार्यक्रम का उदघाटन किया जहां दिए गए भाषण में उन्होंने भी वामपंथी चरमपंथ के खतरे को देश के लिए सबसे बड़ा खतरा बताया और साथ ही कहा कि अब नक्सली विदेशी नागरिकों और पर्यटकों का अपहरण भी करने लगे हैं।

प्रधानमंत्री का इशारा ओडिशा में हाल में हुई घटना की ओर है जहां माओवादियों ने दो इतालवी नागरिकों को बंदी बना लिया था जिन्हें तब छोड़ा गया जब उनकी रिहाई के बदले में राज्य शासन ने नक्सलियों की शर्तें मानीं।

अपने भाषण के दौरान पी चिदंबरम ने साफ किया कि सुरक्षाबलों ने झारखंड के सेरेंडा और कोएल संख के जंगलों के उन नक्सल-प्रभावित इलाकों में कार्रवाई की जहां पुलिस अबतक नहीं पहुंची थी। ऐसी ही कार्रवाई छत्तीसगढ़ के अबुझमाढ़ इलाके में भी की गई लेकिन बहुत बड़ी सफलता हाथ नहीं लग पाई।

गृह मंत्री का कहना था कि हालांकि पिछले साल देश भर में हिंसा की वारदातों में कमी आई है लेकिन जो दो बड़ी घटनाएं हुईं - मुंबई में कई स्थानों पर बम धमाके और दिल्ली हाई कोर्ट हमला - उसमें मुख्य भूमिका निभाने वाले लोग भारतीय नागरिक थे जिनका पहले किसी तरह का कोई पुलिस रिकार्ड नहीं था।

उन्होंने चेतावनी दी कि कट्टरपंथी विचारधारा के फैलाव का नतीजा ये हुआ है कि आज देश में कई ऐसे चरमपंथी गुट हैं जो कहीं भी हमले करने की क्षमता रखते हैं।

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