सीबीएसई ने पांच हजार स्कूलों से एसेसमेंट एवीडेंस मांगे। इन एवीडेंसेज की स्टडी करने के बाद सिर्फ 31.57 परसेंट स्कूल ही अच्छे से एसेसमेंट करने वाले पाए गए। जबकि 49.69 परसेंट स्कूल एवरेज और 18.28 परसेंट स्कूलों को सुधार की जरूरत बताई गई है।

क्या है मामला

कई सालों से सीबीएसई लगातार एजूकेशन सिस्टम में तरह-तरह के चेंजेज कर रहा है। ये चेंज सही तरह से इंप्लीमेंट हों इसके लिए समय-समय पर बोर्ड स्कूलों को इंस्पेक्शन और उनसे डिफरेट एक्टिविटीज के एवीडेंस भी मांगता है। नए पैटर्न पर स्कूल सही से अमल कर रहे हैं या नहीं। ये जानने के लिए बोर्ड ने 2012 सितंबर टर्म के एग्जाम के बाद देश भर के करीब पांच हजार स्कूलों से एसेसमेंट एवीडेंस मांगे। इन एवीडेंस को एनालाइज करने के बाद बोर्ड ने अपनी रिपोर्ट सार्वजनिक की है।

Question paper गायब

बोर्ड ने पाया है कि कई स्कूल एवीडेंस अपने रीजनल सेंटर की जगह दूसरे सेंटर के पते पर भेज रहे हैं। यानी उन्हें अपने सेंटर के बारे में जानकारी ही नहीं है। वहीं कई स्कूलों में पैकेट्स पर लेबलिंग और नंबरिंग सही नहीं हो रही। बात एसेसमेंट की करें तो स्कॉलिस्टिक एसेसमेंट के में 50 परसेंट स्कूलों ने आंसरशीट साथ क्वेश्चन पेपर नहीं भेजे।

समझ नहीं पाए सीसीई पैटर्न को

बोर्ड ने अपनी रिपोर्ट में सीधे तौर पर तो नहीं। लेकिन माना है कि अभी तक टीचर्स सीसीई पैटर्न को समझ नहीं पाए हैं। बोर्ड ने स्कूलों को सुझाव दिया है कि वो टीचर्स को सीसीई पैटर्न समझाने के लिए ज्यादा से ज्यादा सेमिनार और वर्कशॉप आयोजित करें।

Main points of report

- 25 परसेंट स्कूल फॉरमेटिव एसेसमेंट में सिर्फ दो ही टास्क करते हैं। जबकि पांच परसेंट स्कूल दस टास्क करते हैं।

-सिर्फ 14.28 स्कूलों में टास्ट चैलेंजिंग थे। 72.57 में एवरेज टास्क रहा।

- 28.55 परसेंट स्कूलों के टास्क वाइड वेराइटी वाले थे, 54.27 के एवरेज वेराइटी, जबकि 15 परसेंट ने टास्क के बजाए लिखित एग्जाम ही लिया।

- 75.49 परसेंट स्कूलों में इंडिविजुवल एसेसमेंट होता है जबकि सिर्फ 8 परसेंट में ग्रुप एसेसमेंट कराया जा रहा है।

- अधिकतर को-स्कॉलिस्टीक एक्टिविटीज में से राइट-अप गायब मिले।

- चौंकाने वाली बात ये है कि 30 परसेंट स्कूलों में लैब एक्टिविटीज नहीं कराई जा रही हैं।

- सिर्फ 34 परसेंट स्कूल ही एसेसमेंट के एवीडेंस उपलब्ध करा रहे हैं। 37 परसेंट के एवीडेंस अधूरे पाए गए और 19 परसेंट ने तो एवीडेंस प्रोवाइड ही नहीं कराए।

- प्रोजेक्ट वर्क की बात करें तो प्रोजेक्ट डेकोरेटिव तो बन रहे हैं लेकिन उनमें डेप्थ की कमी है। 57 परसेंट स्कूलों में बच्चे अकेले-अकेले प्रोजेक्ट बना रहे हैं। सिर्फ 8 परसेंट में ही ग्रुप में प्रोजेक्ट बन रहे हैं। जबकि प्रोजेक्ट ग्रुप में बनाए जाने चाहिए।

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