सहायक अध्यापक लिखित परीक्षा के लिए नहीं तय हो सका है उत्तीर्ण प्रतिशत

-बेहतर अंक हासिल करने के बाद भी कई अभ्यर्थियों के टूटेंगे सपने

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PRAYAGRAJ: परिषदीय स्कूलों में सहायक अध्यापक के पदों पर होने वाली लिखित परीक्षा के पूर्व ही विवाद शुरू हो गया है। शासन के निर्देश पर एक दिसंबर को जारी किए शासनादेश में लिखित परीक्षा में इस बार उत्तीर्ण प्रशित निर्धारित नहीं किया गया है। इसके बाद इस परीक्षा में कोई फेल या पास नहीं होगा। इसका लाभ अभ्यर्थियों के सिर्फ एक वर्ग को ही मिलेगा, जबकि कई योग्य अभ्यर्थी अच्छे अंक हासिल करने के बाद भी चयन से दूर रहेंगे। इसी बात को लेकर अभ्यर्थियों ने विरोध शुरू कर दिया है। अभ्यर्थियों का कहना है कि कट ऑफ निर्धारित किया जाए। तभी लिखित परीक्षा कराने का मतलब पूरा हो सकेगा।

पहले शैक्षिक मेरिट पर होता था चयन

परिषदीय स्कूलों में सहायक अध्यापक के पदों पर नियुक्ति की प्रक्रिया अभी तक शैक्षिक मेरिट के आधार पर होती थी। सूबे में सत्ता परिवर्तन के बाद नई व्यवस्था लागू किए जाने के बाद लिखित परीक्षा के जरिए सहायक अध्यापक के पदों पर नियुक्ति देने की व्यवस्था की गई। पिछले वर्ष पहली बार लिखित परीक्षा का आयोजन हुआ। जिसके बाद उसमें कई विवाद हुए। वहीं इस बार आयोजित हो रही शिक्षक भर्ती लिखित परीक्षा का मतलब ही बदल दिया गया। कटऑफ निर्धारित नहीं होने से योग्य और अयोग्य का अंतर ही समाप्त कर दिया गया है।

शिक्षामित्रों को ही मिलेगा लाभ

उत्तीर्ण प्रतिशत न होने का सबसे अधिक लाभ सिर्फ शिक्षामित्रों को ही मिलना तय है। क्योंकि उन्हें शीर्ष कोर्ट के निर्देश पर वेटेज अंक दिए जाने के आदेश है। उनकी शैक्षिक मेरिट भी ठीक है लिखित परीक्षा में कम अंक मिलने की भरपाई वेटेज अंक से हो जाएगी। लिखित परीक्षा से बनने वाली मेरिट में यह अंक जोड़े जाएंगे। वेटेज अंक से कम अंक पाने वाले शिक्षामित्र भी चयन सूची में सबसे ऊपर पहुंच सकते हैं। एक तरह से परीक्षा में शामिल होने वाले हर शिक्षामित्र का चयन होना लगभग तय है।

चयन प्रक्रिया में लगेगा लंबा समय

कटऑफ के बगैर लिखित परीक्षा के जारी होने वाले परिणाम के बाद नियुक्ति और चयन में लंबा समय लगने की उम्मीद है। इसके पीछे सबसे बड़ा कारण यह है कि परिणाम आने के बाद हर जिले से सीटों के सापेक्ष कटऑफ जारी होगा, तब अभ्यर्थी आवेदन कर सकेंगे। ऐसे में अच्छे अंक वाले अभ्यर्थी एक से अधिक जिलों में दावेदारी करेंगे। ऐसे में चयन एक ही जिले में होगा। जबकि पहली अन्य जिलों में अच्छे अंक पाने वाले अभ्यर्थियों द्वारा सीट ब्लाक रहेगी। जिसमें फिर से मेरिट सूची तैयार करनी पड़ेगी। ऐसे में चयन प्रक्रिया पूरी करने में समय लगना तय है। गौरतलब है कि सूबे में टीईटी 2011 के बाद 72825 शिक्षक भर्ती में भी टीईटी मेरिट के आधार पर नियुक्ति होनी थी। जिसमें अभ्यर्थियों ने एक से अधिक जिलों में आवेदन किया था। जिसके बाद भर्ती प्रक्रिया पूरी करने में लंबा समय लगा था।