एसोसिएशन ऑफ फिजिशियन ऑफ इंडिया यूपी चैप्टर द्वारा 34वें एनुअल कांफ्रेंस यूपी एपीकॉन 2016 में एक्सप‌र्ट्स

सोडा बीयर के सेवन से हार्ट अटैक का खतरा, चेताया मत कहिये बड़े दिनो के बाद मिली है ये दारू

ALLAHABAD: यूरिक एसिड एंटी आक्सीडेंट का काम करता है। यह एल्जाइमर्स एवं पार्किंसन्स जैसे रोगों से बचाता है। लेकिन, शरीर में यूरिक एसिड की अधिकता से गुर्दे, पथरी में शिकायत के अलावा हार्ट अटैक भी हो सकता है। यूरिक एसिड बढ़ने पर तत्काल उपचार की आवश्यकता है। दारू के साथ सोडा, बीयर और फ्रेक्टोज का सेवन यूरिक एसिड को बढ़ावा देता है। ऐसे में इनसे दूर ही रहें तो बेहतर होगा। ये बातें डॉ। एके सोनी ने एसोसिएशन ऑफ फिजिशियन ऑफ इंडिया यूपी चैप्टर द्वारा 34वें एनुअल कांफ्रेंस यूपी एपीकॉन 2016 के दूसरे दिन फोर डी प्रिवेंशन इन मेडिसिन पर बोलते हुए कहीं।

रिसर्च के लिए नकल की अकल से रहें दूर

होटल कान्हा श्याम में आर्गनाइज प्रोग्राम में मेडिकल साइंस एरिया की एमिनेंट पर्सनैलिटीज ने अपनी बात रखी। इस दौरान उन्होंने देश विदेश में चल रही कई सारी रिसर्च पर रोचक जानकारी दी। एम्स नई दिल्ली से आये डॉ। नीरज निश्चल ने कहा नई खोज के लिए खुद के रिसर्च पर भरोसा रखें और और स्वयं के दिमाग का उपयोग करें। उन्होंने कहा कि नकल हमेशा भटकाव पैदा करती है और कुछ नया करने से आपको पीछे की ओर ले जाती है। दिल्ली से ही आये डॉ। आदर्श कुमार ने चिकित्सा क्षेत्र में लापरवाही के प्रति आगाह करते हुये कहा कि मरीज और चिकित्सक के बीच मधुर संबंध होना जरूरी है। कहा कि डॉक्टर्स को यह ध्यान रखना चाहिये कि इलाज का खर्च महंगा न हो। केजीएमयू लखनऊ के डॉ। हिमांशु ने कहा कि टीबी एक सामान्य रोग है। जिसके कभी कभी आसामान्य लक्षण प्रकट हो जाते हैं। इससे बुखार व जोड़ों में दर्द हो सकता है। टीबी की वजह से आर्थराइटिस हो सकती है। इसके इलाज में मरीज के बीते हुये जीवनकाल का भी इम्पार्टेंट रोल होता है। उन्होंने आगाह करते हुये कहा कि एंटीबायोटिक के अत्यधिक इस्तेमाल से टीबी की पहचान करना कठिन हो जाता है।

जीवन की गुणवत्ता होती है कम

फैजाबाद से आये डॉ। वीरेन्द्र सिंह ने बताया कि खर्राटा लेना नुकसानदेह हो सकता है। इससे जीवन की गुणवत्ता कम होती है। कहा कि लोग समझते हैं कि जिसे खर्राटा आता है वह चैन की नींद सो रहा है। लेकिन, यह कई प्रकार की बीमारियों का कारण है। देश में इसके प्रति जागरुकता बहुत कम है। बताया कि नींद के दौरान सांस लेने में दिक्कत, नींद का बार-बार टूटना, दिन में झपकी आना आदि खर्राटा लेने के लक्षण हैं। कार्यक्रम में डॉ। मिलिन्द नाडेकर ने स्मारिका का विमोचन किया। इस मौके पर एपीआई के सचिव डॉ। मंगेश, यूपीएपीआई के अध्यक्ष प्रो। मधुकर राय, यूपीएपीआई के सचिव प्रो। कौसर उस्मान, संरक्षक डॉ। एसपी सिंह, मेडिकल कॉलेज की शोध अधिकारी डॉ। शांति चौधरी, डॉ। सरिता बजाज आदि मौजूद रहे।

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दूसरे देशों को पीछे छोड़ रहा फैटी लीवर डिसीज- फोटो

बाबू बनारसी दास यूनिवर्सिटी लखनऊ में मेडिसिन विभाग के प्रोफेसर डॉ। अनुज माहेश्वरी ने आई नेक्स्ट से हुई खास बातचीत में बताया कि फैटी लीवर डिजीज कि शिकायत देश में लगातार बढ़ रही है। कई सारी रिसर्च में भी यह बात सामने आ रही है कि दूसरे देशों की तुलना में भारत इस मामले में काफी आगे चल रहा है। उन्होंने कहा कि इसमें लीवर में चर्बी जमा हो जाती है। जिसका इलाज पैरियाटिक सर्जरी है। इस सर्जरी में अमासय का एक हिस्सा काटकर छोटा कर दिया जाता है। फिर भी कोई गारंटी नहीं कि इस डिजीज से मुक्ति मिल ही जाये। कहा कि इससे बचाव का तरीका एक्सरसाइज और नेचुरल फूड एंड फ्रूट्स का सेवन है।

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दुनिया में स्टेम सेल के 500 से ज्यादा ट्रायल सफल- फोटो

इस बीच केजीएमयू से आये डॉ। सिद्धार्थ दास ने बातचीत में स्टेम सेल के बारे में जानकारी दी। उन्होंने बताया कि स्टेम सेल से न्यूरोजिकल, हार्ट, डायबटीज, जोड़ों और हड्डी से संबंधित रोगों का कारगर इलाज संभव है। बताया कि इसके लिए दुनियाभर में पांच सौ से ज्यादा ट्रायल हो चुके हैं। जिसमें लगभग सारे प्रयोग सफल रहे हैं। डॉ। सिद्धार्थ ने बताया कि भारत में अभी स्टेम सेल से हड्डी के रोगों का इलाज सबसे पहले शुरू होगा। इसमें पेट के फैट से सेल लेकर इजेक्शन के थ्रु हड्डी में एडजस्ट किया जायेगा। खास बात यह है कि इसका कोई साइड इफेक्ट भी नहीं होगा। इसके लिए किसी दूसरे व्यक्ति के सेल का भी प्रयोग किया जा सकता है।