-स्कूल जाने वाले 15 परसेंट बच्चे है अस्थमा के शिकार

GORAKHPUR: बच्चों को अधिक आराम कहीं अस्थमा का मरीज न बना दें। यह कोई कहावत या कहानी नहीं बल्कि हकीकत है। तभी एयर पॉल्यूशन न होने के बावजूद स्कूल जाने वाले बच्चों में 15 परसेंट बच्चे अस्थमा के शिकार है। फिर इस मंथ में न सिर्फ गर्मी अधिक परेशान करती है बल्कि अस्थमा के अटैक भी सबसे अधिक पड़ते हैं। वहीं समय के साथ अब अस्थमा में ओरल स्टेरायड टेबलेट के बजाए इनहेलर अधिक फायदेमंद है।

घर की धूल बना रही अस्थमा का मरीज

समाज का रूप बदल रहा है। ग्राउंड पर खेलने वाले बच्चे पूरा समय अपने घर पर कंप्यूटर के साथ बिताते है। मिट्टी में खेलने वालों का पूरा समय सोफे, बेड और घर की बालकनी में लगे पेड़-पौधों के साथ पेट एनिमल के बीच बीत रहा है। मगर ये सभी बच्चों का सुरक्षित टाइमपास तो करा रहे हैं, मगर साथ में अस्थमा का मरीज भी बना रहे हैं। सोफे और बेड के साथ बंद कमरा होने से धूल रहती है, जिससे एलर्जी के बाद बच्चे अस्थमा से पीडि़त हो जाते हैं। वहीं पेट एनिमल और पेड़-पौधों के परागकण से भी एलर्जी होने के चांस अधिक रहते हैं। एक रिसर्च के मुताबिक इंडिया में करीब 2 करोड़ लोग अस्थमा से पीडि़त हैं। वहीं एक सर्वे के मुताबिक 2025 तक व‌र्ल्ड में करीब 100 मिलियन लोग अस्थमा के शिकार होंगे।

गले से आए आवाज तो ले एडवाइस

चेस्ट स्पेशलिस्ट डॉ। आलोक पांडेय ने बताया कि अस्थमा एलर्जी के कारण होती है। सोते टाइम गले से अगर जरा भी साउंड आए तो तुरंत डॉक्टर की एवाइस लेनी चाहिए। क्योंकि यह अस्थमा की स्टार्टिग होती है। फेफड़े की नली सिकुड़ने से सांस लेने में तकलीफ होती है। इस डिजीज का इलाज दो तरीके से किया जाता है। कुछ पेशेंट्स का इलाज लाइफ टाइम चलता है तो कुछ का सीजन के हिसाब से टेंप्रेरी।

टेबलेट दे रही कई बीमारियां

अस्थमा के मरीज अक्सर इनहेलर से बचने के लिए ओरल स्टेरायड टेबलेट का यूज करते हैं। जबकि डॉक्टर्स भी मानते है कि अस्थमा में इनहेलर अधिक सक्सेस है। स्टेरायड टेबलेट के अधिक यूज से भले ही अस्थमा में राहत जल्दी मिलती है, मगर आस्टियोपोरोसिस, वेट लगातार इनक्रीज करना, मोतियाबिंद और ग्लूकोमा जैसी कई खतरनाक बीमारियां होने के चांसेस बढ़ जाते हैं।

-------

बचाव

-जिस चीज से एलर्जी हो, उससे बचना चाहिए।

-कोल्ड एयर से बचे

-स्ट्रेस से दूर रहे

अस्थमा की स्टार्टिग एलर्जी से होती है। इसमें लापरवाही बरतने से कंडीशन क्रिटिकल हो सकती है। अस्थमा किसी भी एज में अटैक कर सकती है। इसका प्रॉपरली इलाज कराना चाहिए।

डॉ। वीएन अग्रवाल, चेस्ट स्पेशलिस्ट