उगी हुई हैं झाडिय़ां

मुगलकाल में ताजमहल के पास नदी किनारे बनाए गए इस स्थान को देखने से ही पता चलता है कि आज इसको लेकर टूरिज्म डिपार्टमेंट कितना बेपरवाह हो गया है। जानकार बताते हैं कि हाथियों के लिए यहां पर उस समय इसका निर्माण कराया गया था। साथ ही इसकी चाहरदीवारी भी काफी ऊंची रखी गई थी। लेकिन आज आलम यह है कि इस मुगलकालीन इमारत के आसपास झाडिय़ों उग आई हैं।

आसपास हो रहा अतिक्रमण

मॉन्युमेंट के आसपास हो रहे अतिक्रमण ने इसका ऐतिहासिक महत्व भी खत्म कर दिया है। अतिक्रमणकारियों ने अपने लिए निर्माण कार्य भी कर लिया है। झाडिय़ों के बीच से इन निर्माण को देखना मुश्किल होता है। आसपास ही यहां उपले बनाकर भी जमीन को अस्थाई तौर पर लोग क?जा कर रहे हैं।

नहीं बनाया जाता टूरिस्ट को

दुनिया के अजूबे ताजमहल और तमाम

मुगल शहंशाहों को गद्दी पर बैठने का गवाह आगरा किला के पास ही बने इन ऐतिहासिक जगहों को टूरिस्ट्स को दिखाने में टूरिज्म डिपार्टमेंट कोई इंट्रेस्ट नहीं ले रहा है। नतीजा तमाम इंडियन और फॉरेनर टूरिस्ट्स इन जगहों को देखने और इनके बारे में जानने से वंचित रह जाते हैं।

किले के पास अमर सिंह का घोड़ा

आगरा किला के बाहर ही अमर सिंह के घोड़े की प्रतिमा बनी है। लाल पत्थर से घोड़े के आधे शरीर की यह प्रतिमा अपने आप में पूरी कहानी कहती है। बताते चलें कि जिस टाइम अमर सिंह इस आगरा किले से निकल भागे थे तब

उनके प्रिय घोड़े ने ही उनका साथ दिया था। बहादुर घोड़े पर सवार होकर अमर सिंह ने किले की प्राचीर से कूद लगा दी थी। इस ऐतिहासिक कूद ने ही अमर सिंह को किले की लम्बी-चौड़ी खाई को पार कराया था। इसीलिए किले के पास अमर सिंह की यह प्रतिमा बनवाई गयी। साथ ही साथ इस प्रतिमा के पास वाले दरवाजे को अमर सिंह गेट के नाम से जाना जाने लगा।

दिनेश कुमार सिंह, टूरिज्म ऑफिसर

डिपार्टमेंट की ओर से पूरा प्रयास रहता है कि टूरिस्ट आगरा में हर तरफ घूमे-फिरे लेकिन ज्यादातर टूरिस्ट ताज को अंदर से देखने के बाद किसी दूसरे स्पॉट पर जाने में इंट्रेस्ट ही नहीं लेते हैैं।

श्रवण कुमार, कॉर्डीनेटर ब्रज मंडल हेरिटेज कन्जवरेशन सोसाइटी

अगर टूरिज्म डिपार्टमेंट इन छोटी-मोटी जगहों को लेकर टूरिस्ट को अवेयर करें तो वे जरूर इनके बारे में जानने में इंट्रेस्ट लेंगे.